Explained: क्यों विदेशों में PAK की आलीशान संपत्ति पर नीलामी की लटकी तलवार?

अमेरिका के न्यूयॉर्क में पाकिस्तान के पास बेहद विशाल होटल है
अमेरिका के न्यूयॉर्क में पाकिस्तान (Pakistan property in America) के पास बेहद विशाल होटल है. साल 2015 में 1015 कमरों वाले इस होटल की अनुमानित कीमत 636 मिलियन डॉलर थी. अब इसे नीलाम करने की बात निकली है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 25, 2021, 4:52 PM IST
पहले से कंगाल हो चुके पाकिस्तान पर अब एक और तलवार लटक रही है. अपने ही प्रांत बलूचिस्तान की रेको डिक सोने की खदान पर कब्जा उसे इतना भारी पड़ गया कि खदान के लिए करार कर चुके विदेशी निवेशक अब पाकिस्तान की अमेरिका और फ्रांस स्थित प्रॉपर्टी को नीलाम करने की फिराक में हैं. हालांकि पाकिस्तान का कहना है कि वो अपनी संपत्ति नीलाम नहीं होने देगा.
सारा मसला ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड की एक कोर्ट से जुड़ा हुआ है. कोर्ट ने आदेश दिया कि पाकिस्तान अगर खदानों से अपना कब्जा वापस न ले तो उसकी विदेशी संपत्ति पर कब्जा और नीलामी हो सकती है. ये सारी बात आज से लगभग 28 साल पहले के एक करार से संबंधित है. उस समय अपने प्रांत बलूचिस्तान में पाकिस्तान को सोने जैसी कीमती धातुओं के भंडार का पता लगा. पाकिस्तान के पास खनन के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं थे. ऐसे में उसने विदेशी कंपनियों से बात की.

पाकिस्तान का खनन के लिए करार ऑस्ट्रेलिया की खनन कंपनी ब्रोकेन हिल के साथ साल 1993 में हुआ. काम शुरू हुआ और पाया गया कि खनन में काफी फायदा हो रहा है. ये देखते हुए पाकिस्तान की नीयत बदल गई. उसने ऑस्ट्रेलियन कंपनी के साथ करार रद्द कर दिया. इसके अलावा चिली की एक कंपनी के साथ भी पाकिस्तान का एग्रीमेंट हुआ था, उसे भी रद्द कर दिया. इसके पीछे पाकिस्तान सरकार की मंशा थी कि खदानों का सारा लाभ उसे मिल सके.
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इधर खनन कंपनियों ने पाकिस्तान पर बीच में एग्रीमेंट रद्द करने के लिए हर्जाना मांगा. बढ़ते हुए बात कोर्ट तक पहुंच गई. इसी बात पर फैसला आ चुका है और पाकिस्तान को लगभग 6 अरब डॉलर का जुर्माना भरना है. वैसे इससे पहले मामला वर्ल्ड बैंक के ट्रिब्युनल तक जा चुका था. उस दौरान भी पाकिस्तान पर विदेशी कंपनियों से करार करने और फिर रद्द करने को लेकर 8.5 अरब डॉलर का हर्जाना लग चुका था. हालांकि पाकिस्तान सरकार अब तक हर्जाना नहीं दे सकी है.

अब चूंकि पाकिस्तान के बारे में ग्लोबल स्तर पर लगातार चर्चा है कि उसकी आर्थिक हालत खराब है, ऐसे में अदालत ने सीधे पाकिस्तान की विदेशी संपत्ति की नीलामी की बात कर दी. बता दें कि पाकिस्तान के पास अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में रूजवेल्ट होटल है. ये होटल बेहद आलीशान है. कुल 1015 कमरों वाले इस होटल की साल 2015 में अनुमानित कीमत 636 मिलियन डॉलर मानी गई थी. अमेरिका के अलावा पेरिस में भी पाकिस्तान का एक होटल है. स्क्राइब नाम से ये होटल भी काफी शानदार है. ये भी पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन्स की संपत्ति है.
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इन दोनों होटलों की नीलामी को रोकने के लिए इमरान सरकार को काफी जोर लगाना होगा या फिर अदालत की तय की हुई जुर्माना राशि देनी होगी. फिलहाल कोरोना के कारण इमरान सरकार पहले से ही संकट में है. इसपर जुर्माना राशि पाकिस्तान की कुल GDP का लगभग 2 प्रतिशत है.

अब एक बार ये भी समझ लें कि जिस गोल्ड माइन के लिए पाकिस्तान ने इतना बड़ा कदम उठाया, आखिर वो कितना कीमती है. यहां के बलूचिस्तान प्रांत में रेको डिक खदान है. अफगानिस्तान और ईरान की सीमा के पास लगने वाली ये खदान दुनिया की पांचवी बड़ी सोने और तांबे की खदान मानी जाती है. इससे सालाना लगभग 3.64 अरब डॉलर का फायदा पाकिस्तान को मिलता रहा है.
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सबसे बड़ी बात ये है कि सोने का ये भंडार अच्छा-खासा है. अनुमान है कि इससे अगले 50 सालों तक सोना निकल सकता है. वहीं दूसरे देशों में सोने के भंडार खत्म होने को हैं. तो जाहिर है कि पाकिस्तान सरकार के मन में इस अकूत भंडार को लेकर लालच आ गया और उसने करार तोड़ दिया. हालांकि ये बात भी है कि करार तोड़ने के कारण लगा जुर्माना भरने की हालत में फिलहाल इमरान सरकार नहीं दिख रही.
सारा मसला ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड की एक कोर्ट से जुड़ा हुआ है. कोर्ट ने आदेश दिया कि पाकिस्तान अगर खदानों से अपना कब्जा वापस न ले तो उसकी विदेशी संपत्ति पर कब्जा और नीलामी हो सकती है. ये सारी बात आज से लगभग 28 साल पहले के एक करार से संबंधित है. उस समय अपने प्रांत बलूचिस्तान में पाकिस्तान को सोने जैसी कीमती धातुओं के भंडार का पता लगा. पाकिस्तान के पास खनन के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं थे. ऐसे में उसने विदेशी कंपनियों से बात की.

बलूचिस्तान की रेको डिक सोने की खदान
पाकिस्तान का खनन के लिए करार ऑस्ट्रेलिया की खनन कंपनी ब्रोकेन हिल के साथ साल 1993 में हुआ. काम शुरू हुआ और पाया गया कि खनन में काफी फायदा हो रहा है. ये देखते हुए पाकिस्तान की नीयत बदल गई. उसने ऑस्ट्रेलियन कंपनी के साथ करार रद्द कर दिया. इसके अलावा चिली की एक कंपनी के साथ भी पाकिस्तान का एग्रीमेंट हुआ था, उसे भी रद्द कर दिया. इसके पीछे पाकिस्तान सरकार की मंशा थी कि खदानों का सारा लाभ उसे मिल सके.
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इधर खनन कंपनियों ने पाकिस्तान पर बीच में एग्रीमेंट रद्द करने के लिए हर्जाना मांगा. बढ़ते हुए बात कोर्ट तक पहुंच गई. इसी बात पर फैसला आ चुका है और पाकिस्तान को लगभग 6 अरब डॉलर का जुर्माना भरना है. वैसे इससे पहले मामला वर्ल्ड बैंक के ट्रिब्युनल तक जा चुका था. उस दौरान भी पाकिस्तान पर विदेशी कंपनियों से करार करने और फिर रद्द करने को लेकर 8.5 अरब डॉलर का हर्जाना लग चुका था. हालांकि पाकिस्तान सरकार अब तक हर्जाना नहीं दे सकी है.

कोरोना के कारण इमरान सरकार पहले से ही संकट में है
अब चूंकि पाकिस्तान के बारे में ग्लोबल स्तर पर लगातार चर्चा है कि उसकी आर्थिक हालत खराब है, ऐसे में अदालत ने सीधे पाकिस्तान की विदेशी संपत्ति की नीलामी की बात कर दी. बता दें कि पाकिस्तान के पास अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में रूजवेल्ट होटल है. ये होटल बेहद आलीशान है. कुल 1015 कमरों वाले इस होटल की साल 2015 में अनुमानित कीमत 636 मिलियन डॉलर मानी गई थी. अमेरिका के अलावा पेरिस में भी पाकिस्तान का एक होटल है. स्क्राइब नाम से ये होटल भी काफी शानदार है. ये भी पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन्स की संपत्ति है.
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इन दोनों होटलों की नीलामी को रोकने के लिए इमरान सरकार को काफी जोर लगाना होगा या फिर अदालत की तय की हुई जुर्माना राशि देनी होगी. फिलहाल कोरोना के कारण इमरान सरकार पहले से ही संकट में है. इसपर जुर्माना राशि पाकिस्तान की कुल GDP का लगभग 2 प्रतिशत है.

ये खदान दुनिया की पांचवी बड़ी सोने और तांबे की खदान मानी जाती है- सांकेतिक फोटो (pixabay)
अब एक बार ये भी समझ लें कि जिस गोल्ड माइन के लिए पाकिस्तान ने इतना बड़ा कदम उठाया, आखिर वो कितना कीमती है. यहां के बलूचिस्तान प्रांत में रेको डिक खदान है. अफगानिस्तान और ईरान की सीमा के पास लगने वाली ये खदान दुनिया की पांचवी बड़ी सोने और तांबे की खदान मानी जाती है. इससे सालाना लगभग 3.64 अरब डॉलर का फायदा पाकिस्तान को मिलता रहा है.
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सबसे बड़ी बात ये है कि सोने का ये भंडार अच्छा-खासा है. अनुमान है कि इससे अगले 50 सालों तक सोना निकल सकता है. वहीं दूसरे देशों में सोने के भंडार खत्म होने को हैं. तो जाहिर है कि पाकिस्तान सरकार के मन में इस अकूत भंडार को लेकर लालच आ गया और उसने करार तोड़ दिया. हालांकि ये बात भी है कि करार तोड़ने के कारण लगा जुर्माना भरने की हालत में फिलहाल इमरान सरकार नहीं दिख रही.