2022 में अंतरिक्ष में जाएगा पाकिस्तानी-क्यों उड़ रहा है इस घोषणा का मजाक

पाकिस्तान के पास स्पेस प्रोग्राम की कोई संरचना नहीं है लेकिन इसके बाद भी उसने ऐसी घोषणा कैसे कर दी है.
पाकिस्तान के पास स्पेस प्रोग्राम की कोई संरचना नहीं है लेकिन इसके बाद भी उसने ऐसी घोषणा कैसे कर दी है.
- News18Hindi
- Last Updated: July 26, 2019, 1:14 PM IST
पाकिस्तान का दावा है कि वो वर्ष 2022 में अपने देश से एक शख्स को अंतरिक्ष में भेजेगा. हालांकि ये सवाल तो बनता ही है कि वो ऐसा कैसे करेगा. क्योंकि ना तो उसके पास बेहतर अंतरिक्ष प्रोग्राम है, ना ही कोई स्पेस स्ट्रक्चर है और ना ही जरूरी सुविधाएं. अंतरिक्ष प्रोग्राम के मामले में वो दुनिया के सबसे पिछड़े देशों में है. इसके बाद भी पाकिस्तान ने जोरशोर से इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं. हालांकि सोशल मीडिया पर इस घोषणा का मजाक उड़ने लगा है.
पाकिस्तान के साइंस एंड टेक्नॉलॉजी मिनिस्टर फवाद चौधरी ने ये बात कही. फिर इसे ट्वीट किया. उन्होंने तफसील से बताया कि पाकिस्तान ऐसा कैसे करने जा रहा है.
जानिए क्या रहेगी चयन प्रक्रियाउन्होंने कहा कि शुरू में हम 50 पायलट्स का चयन करेंगे. इसके बाद इस लिस्ट में पहले 25 को छांटेंगे और फिर दस को. इन पायलट्स को ट्रेन किया जाएगा. इसके बाद इसमें से एक को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा.क्यों उड़ रहा है मजाक फ़वाद चौधरी की इस घोषणा ने भले ही दुनिया का ध्यान अपनी ओर नहीं खींचा हो, लेकिन उनके इस ट्वीट पर पाकिस्तान की सोशल मीडिया एक्टिविस्ट और टीवी पत्रकार गुल बुख़ारी की टिप्पणी ज़रूर चर्चा में है. अगर बात ट्विटर ट्रेंड की करें तो यह पाकिस्तान में ट्रेंड कर रहा है.
वहीं दूसरी ओर फ़वाद के ट्वीट पर भी अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
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पाकिस्तान ऐसा कैसे करेगा
आप सोच रहे होंगे कि पाकिस्तान ऐसा कैसे करेगा. हम आपको बताते हैं कि पाकिस्तान खुद के बल पर ऐसा नहीं करेगा बल्कि वो चीन के साथ मिलकर इस काम को अंजाम देगा. यानी चीन उसके एक शख्स को अपने यान के जरिए अंतरिक्ष में लेकर जाएगा. इस पूरे अभियान के लिए चीन के संसाधनों का इस्तेमाल होगा. चीन दुनिया भर में अंतरिक्ष के मामले में पांच बड़ी ताकतों में है.

पाकिस्तान कहां स्पेस प्रोग्राम में
पाकिस्तान अंतरिक्ष प्रोग्राम में बहुत पीछे है. उसके पास स्पेस प्रोग्राम के लिए अब तक कोई खास संरचना नहीं है. इसके लिए पाकिस्तान की साइंटिफिक कम्युनिटी में अक्सर उसकी आलोचना भी होती है. पाकिस्तान ने अब तक दो सेटेलाइट छोड़े हैं और दोनों ही पिछली जुलाई में उसने चीन की मदद से किए हैं. हालांकि उसका दावा है कि उसने ये दोनों जो सेटेलाइट लांच किए हैं, उसमें एक PakTES-1A पूरी तरह स्वदेशी हैं जबकि PRSS-1 को पाकिस्तान और चीन दोनों ने मिलकर विकसित किया था.

भारत और चीन हैं बहुत आगे
पाकिस्तान खुद भी मानता है कि स्पेस प्रोग्राम के मामले में चीन और भारत महाशक्ति बन चुके हैं और उन्होंने खुद को स्पेस के बड़े प्लेयर के तौर पर सेट कर लिया है. हालांकि उसका लगातार ये भी कहना रहता है भारत और चीन दोनों जितना धन अपने अंतरिक्ष प्रोग्राम पर खर्च करते हैं, वो उसके बस का नहीं है.
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पाकिस्तान के साइंस एंड टेक्नॉलॉजी मिनिस्टर फवाद चौधरी ने ये बात कही. फिर इसे ट्वीट किया. उन्होंने तफसील से बताया कि पाकिस्तान ऐसा कैसे करने जा रहा है.
पाकिस्तानी मंत्री का दावा है कि ये क्षण पाकिस्तान के लिए ऐतिहासिक मौका होगा. इसकी तैयारियां शुरू की जा चुकी हैं.पाकिस्तान में Dawn.com से बात करते हुए चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान की वायुसेना इसकी प्रक्रिया 2020 में शुरू कर रही है. उनका कहना है कि स्पेस प्रोग्राम के लिए दुनियाभर में पायलट्स का चयन किया जाता है, लिहाजा पाकिस्तान भी अपने पायलट्स का ही चयन इसके लिए करेगा. इसके लिए वायुसेना बेहतर तरीके से सेलेक्शन प्रोग्राम कर पाएगी.Proud to announce that selection process for the first Pakistani to be sent to Space shall begin from Feb 2020,fifty people will be shortlisted — list will then come down to 25 and in 2022 we will send our first person to space,this will be the biggest space event of our history
— Ch Fawad Hussain (@fawadchaudhry) July 25, 2019

पाकिस्तान का उपग्रह PRSS-01, जो उसने पिछले साल चीन की मदद से अंतरिक्ष में भेजा था.
चौधरी फ़वाद हुसैन के ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए बुखारी ने सवाल किया है, ''क्या आप उपलब्धियां बता सकते हैं? अंतरिक्ष में एक पाकिस्तानी को भेजने के लिए पैसे खर्च करेंगे? अब तक तो कोई वैज्ञानिक उपलब्धियां नहीं दिखी हैं.'' बुख़ारी के इस ट्वीट पर भारत और पाकिस्तान समेत कई कोनों से लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. सलमान हैदर ने ट्वीट किया है, हमारे पास स्वीमिंग पूल नहीं है इसलिए हम जंगल में डूबेंगे, लेकिन हम डूबेंगे.वहीद लिखते हैं "हमें इस तरह की चीज़ों की ज़रूरत नहीं है. लोग यहां भूख से मर रहे हैं और आप लोग पाकिस्तानी आवाम के पैसे को अपने ऐश ओ आराम के लिए उड़ा रहे हैं. सबसे पहले यहां ग़रीबी को दूर कीजिए उसके बाद अंतरिक्ष पर भेजने की बात कीजिए."Can you tell us the achievement here? Spend money to send a Pakistani in space? To take a hoota in a spaceship? No scientific achievement here.
Oh and the responses underneath are side splitting 😂 https://t.co/NeDd5Esk2B— Gul Bukhari (@GulBukhari) July 25, 2019
we don't need such thing here people are died with poverty and you peole spending the money of pakistani people for your luxury kindly first remove the poverty then send person to space
— Waheed Microbiologist (@wahed_yousafzai) July 25, 2019
वहीं दूसरी ओर फ़वाद के ट्वीट पर भी अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
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पाकिस्तान ऐसा कैसे करेगा
आप सोच रहे होंगे कि पाकिस्तान ऐसा कैसे करेगा. हम आपको बताते हैं कि पाकिस्तान खुद के बल पर ऐसा नहीं करेगा बल्कि वो चीन के साथ मिलकर इस काम को अंजाम देगा. यानी चीन उसके एक शख्स को अपने यान के जरिए अंतरिक्ष में लेकर जाएगा. इस पूरे अभियान के लिए चीन के संसाधनों का इस्तेमाल होगा. चीन दुनिया भर में अंतरिक्ष के मामले में पांच बड़ी ताकतों में है.

पाकिस्तान के साइंस एंड टेक्नॉलॉजी मंत्री का कहना है कि तीन साल में ऐसा करके दिखा देंगे. हमारी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं
पाकिस्तान कहां स्पेस प्रोग्राम में
पाकिस्तान अंतरिक्ष प्रोग्राम में बहुत पीछे है. उसके पास स्पेस प्रोग्राम के लिए अब तक कोई खास संरचना नहीं है. इसके लिए पाकिस्तान की साइंटिफिक कम्युनिटी में अक्सर उसकी आलोचना भी होती है. पाकिस्तान ने अब तक दो सेटेलाइट छोड़े हैं और दोनों ही पिछली जुलाई में उसने चीन की मदद से किए हैं. हालांकि उसका दावा है कि उसने ये दोनों जो सेटेलाइट लांच किए हैं, उसमें एक PakTES-1A पूरी तरह स्वदेशी हैं जबकि PRSS-1 को पाकिस्तान और चीन दोनों ने मिलकर विकसित किया था.

पाकिस्तान के मुकाबले चीन और भारत का स्पेस प्रोग्राम बहुत उन्नत अवस्था में है.
भारत और चीन हैं बहुत आगे
पाकिस्तान खुद भी मानता है कि स्पेस प्रोग्राम के मामले में चीन और भारत महाशक्ति बन चुके हैं और उन्होंने खुद को स्पेस के बड़े प्लेयर के तौर पर सेट कर लिया है. हालांकि उसका लगातार ये भी कहना रहता है भारत और चीन दोनों जितना धन अपने अंतरिक्ष प्रोग्राम पर खर्च करते हैं, वो उसके बस का नहीं है.
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