Advertisement

क्या है PM मोदी की स्पीच में, जिसकी तुलना नॉर्थ कोरिया से हो रही है

Last Updated:

कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus) के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार रात राष्ट्र को संबोधित किया. इसके साथ ही पीएम की स्पीच की तुलना उत्तर कोरिया (North Korea) के एक शब्द Juche से की जाने लगी.

क्या है PM मोदी की स्पीच में, जिसकी तुलना नॉर्थ कोरिया से हो रही हैइस सेक्टर के लोगों के लिए सरकार ने शुरू की 50000 करोड़ की योजना, मिलेगा रोजगार
दुनियाभर में कोरोना संक्रमितों की संख्या 43 लाख पार कर चुकी है. भारत भी संक्रमितों देशों की सूची में 12वें स्थान पर खड़ा दिख रहा है, जहां संक्रमण का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है. इसी बीच 12 मई को पीएम मोदी ने देश को संबोधित किया, जिसके साथ ही ट्विटर पर उनकी बात का मिलान उत्तर कोरिया से होने लगा. इसके लिए एक टर्म भी दिया गया Juche, जो कि नॉर्थ कोरियन शब्द है. जानिए, क्या है इसका मतलब और पीएम के भाषण में ऐसा क्या था.

Juche एक कोरियन शब्द है, जिसका मतलब है- आत्मनिर्भरता. ये मूल रूप से कोरिया की आइडियोलॉजी है, जो देश के संस्थापक Kim Il-sung ने दी थी. इसका मतलब है देश हर मायने में आत्मनिर्भर हो, चाहे वो राजनीति हो, कृषि, उद्योग या मेडिसिन. उत्तर कोरिया ये दावा भी करता है कि वो हर तरह से आत्मनिर्भर है और उसे किसी क्षेत्र में किसी मदद की जरूरत नहीं. पीएम मोदी ने भी अपने भाषण में लोकल उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की भी घोषणा की. इसी को लेकर ट्वविटर पर उत्तर कोरियाई शब्द Juche चल निकला है.



उत्तर कोरिया की आत्मनिर्भरता
सबसे पहले साल साल 1952 में देश के तानाशाह Kim Il-sung ने देश को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से आत्मनिर्भर होने की बात कही थी. तबसे लेकर आज तक देश का दावा है कि वो सारे काम खुद करता है. मजाक में यहां तक कहा जाता है कि हैमबर्गर खाने के शौकीनों ने अपने लिए स्थानीय हैमबर्गर बना लिया, जिसे वहां डबल ब्रेड विद मीट कहते हैं.

उत्तर कोरिया के आत्मनिर्भर होने के पीछे एक वजह है इस देश का अलग-थलग रहने पर यकीन करना



वैसे उत्तर कोरिया के आत्मनिर्भर होने के पीछे एक वजह है इस देश का अलग-थलग रहने पर यकीन करना. ये फिलहाल दुनिया के सबसे रहस्यमयी देशों में से एक माना जाता है, जहां की बातें पता लगाना आसान नहीं. यहां तक कि इस देश में सबसे बड़े लीडर की मौत के बारे मे भी तभी पता लगता है, जब शाही परिवार चाहे. खुफिया एजेंसियां भी कोरिया के राज पता लगाने में अक्सर नाकाम रहती हैं और सिर्फ अटकलें ही लगाई जाती हैं. जैसे हाल ही में सैन्य तानाशाह किम जोंग की मौत की अटकलें लगाई जाती रहीं, जबकि 20 दिनों बाद वे एक पब्लिक गेदरिंग में दिखे. इसके बाद से ये कयास भी लग रहे हैं कि ये किम का हमशक्ल है. हालांकि कोई भी एजेंसी दावे से कोई बात नहीं कह पा रही.

अब लौटते हैं नॉर्थ कोरिया की आत्मनिर्भरता की ओर. देश के किसी पर भी निर्भर न होने की ऐसी सख्ती के पीछे विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है. जैसे University of Southern California में उत्तर कोरियाई मामलों के विशेषज्ञ डेविड कांग (David Kang) के मुताबिक उस देश में न केवल तानाशाह, बल्कि आम लोग भी यही सोचते हैं कि उन्हें किसी दूसरे देश का किसी भी मामले में मोहताज न होना पड़े.

साल 1952 में देश के तानाशाह Kim Il-sung ने देश को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से आत्मनिर्भर होने की बात कही थी


वैसे नॉर्थ कोरिया के Juche के पीछे राजनैतिक वजहें भी हैं. साल 1950 में ये एक गरीब Marxist देश था, जो सोवियत यूनियन और चीन के बीच पिस रहा था. नया होने के कारण इसके पास खुद को साबित करने का भी दबाव था. तभी तत्कालीन लीडर किम संग ने Juche टर्म ईजाद किया. उसका मानना था कि इससे चीन और रूस में से किसी एक का साथ देने का दबाव भी खत्म हो जाएगा और देश किसी का मोहताज भी नहीं होगा.

Juche के पीछे एक दिलचस्प वजह ये भी है कि इस देश के लोग खुद को ईश्वर की संतान मानते हैं और सर्वश्रेष्ठ मानते हैं. यही वजह है कि वे किसी दूसरे देश से मेलजोल नहीं रखना चाहते. यहां तक कि वहां स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम में ये चैप्टर है कि कैसे इवॉल्यूशन के दौरान सबसे पहला इंसान इसी देश की राजधानी प्योंगयांग (Pyongyang) में जन्मा. ये पहला इंसान किम परिवार का मुखिया था. यही वजह है कि कोरिया के लोग अब किम परिवार को ही अपना ईश्वर मानने लगे हैं.

उत्तर कोरिया मेडिसिन के क्षेत्र में भी किसी पर निर्भर नहीं



उत्तर कोरिया मेडिसिन के क्षेत्र में भी किसी पर निर्भर नहीं. यहां तक कि उसका दावा है कि वहां के चिकित्सकों ने कैंसर, एड्स इबोला और मर्स जैसी जानलेवा बीमारियों का पक्का इलाज खोज लिया है. Korean Central News Agency (KCNA) ने देश के वैज्ञानिकों के हवाले से साल 2016 में ही ये दावा कर दिया था,. जबकि अब तक दुनिया के किसी भी देश ने ऐसा कोई दावा नहीं किया है. हालांकि दावे के बाद भी कोरिया ने अपने मेडिकल ट्रायल या दवा की प्रोसेस या दवा को ही क्लेम नहीं किया, जिससे इस बात की जांच अब तक नहीं हो सकी है कि इन दावों में कितनी सच्चाई है.

ये भी पढ़ें:

अगर ये कदम उठाया गया तो खत्म हो जाएगी ईरान और अमेरिका के बीच तनातनी!

कोरोना वायरस में म्यूटेशन को खतरनाक क्यों नहीं मान रहे हैं एक्सपर्ट्स?

जानिए मिजोरम सहित 4 राज्यों के बारे में जो हुए कोरोना मुक्त

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homeknowledge
क्या है PM मोदी की स्पीच में, जिसकी तुलना नॉर्थ कोरिया से हो रही है
और पढ़ें