क्यावथाइट म्यांमार में मिला, जिसे इंटरनेशनल मिनरलॉजिकल एसोसिएशन ने मान्यता दे दी है. (फोटो: Natural History Museum of Los Angeles County)
Rarest Gemstone: दुनियाभर में जब भी कोई व्यक्ति कुछ अनूठा खरीदना चाहता है तो ज्यादातर समय वो मानव निर्मित ही होता है. ये कतई जरूरी नहीं है कि ये धरती का एक टुकड़ा ही हो. फिर भी धरती से मिलने वाली कई चीजें काफी अनूठी होती हैं. अगर पृथ्वी का भूगर्भिक बल किसी एक जगह पर एक विशेष खनिज का उत्पादन करता है तो इस बात की पूरी उम्मीद है कि ये खनिज किसी दूसरी जगह पर भी पैदा होता हो. इंटरनेशनल मिनरलॉजिकल एसोसिएशन ने धरती से निकलने वाले 6,000 खनिजों को मान्यता दी हुई है. इनमें से ज्यादातर धरती में कई प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद खनिज बनते हैं. इनमें कई अलग-अलग रासायनिक क्रियाएं होती हैं और हमें खनिज मिलते हैं.
धरती में अगर एक खनिज केवल एक बार बनता है, तो उसके नमूनों को आसानी से तोड़ा जा सकता है और एक बड़े क्षेत्र में फैलाया जा सकता है. इसके बाद भी धरती पर एक ऐसा खनिज भी मौजूद है, जिसे सिर्फ एक नमूने से पहचाना जाएगा. दरअसल, धरती पर दुर्लभतम खनिज क्यावथाइट का सिर्फ एक क्रिस्टल ही उपलब्ध है. क्यावथाइट का ये इकलौता क्रिस्टल म्यांमार के मोगॉक के पास मिला था. इसे अंतर्राष्ट्रीय खनिज संघ ने भी मान्यता दे दी है. इससे मिलते जुलते सिंथेटिक कंपाउड की पहचान पहले ही कर ली गई थी.
क्यों दुर्लभतम है क्यावथाइट?
क्यावथाइट के इकलौते नमूने को लॉस एंजिलिस के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में रखा गया है. ये एक पारदर्शी नारंगी किस्टल है, जिसमें हल्की सी लालिमा भी है. इसका वजन 1.61 कैरेट या 0.3 ग्राम है. इसका केमिकल फार्मूला Bi3+Sb5+O4 है. इसमें Bi बिस्मथ और Sb एंटीमनी यानी सुरमा के सिंबल हैं. ये दोनों भी दुर्लभ माने जाते हैं, लेकिन आसाधारण दुर्लभ नहीं माने जाते हैं. बिस्मथ सोना और एंटीमनी चांदी से ज्यादा प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. अगर क्यावथाइट में पाए जाने वाले ये दोनों तत्व इतनी बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं तो ये क्रिस्टल दुर्लभतम क्यों है? दरअसल, इसके फार्मूला में ही इस बात का राज छुपा है. इस क्रिस्टल में मौजूद ऑक्सीजन इसे इस श्रेणी में लाती है.
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किसने खोजा था क्यावथाइट?
क्यावथाइट को दुर्लभतम बनाती है, इसमें मोजूद ऑक्सीजन की प्रचुर मात्रा. दूसरे शब्दों में कहें तो इसमें मौजूद ऑक्सीजन की मात्रा से पता चलता है कि इसके बनने की प्रक्रिया के कारण क्यावथाइट दुर्लभतम खनिज है. इसमें मौजूद बिस्मथ के कारण क्यावथाइट का घनत्व पानी से आठ गुना ज्यादा है. अगर माणिक्य से इसकी तुलना की जाए तो इसका घनत्व दोगुना ज्यादा है. इसलिए इसके क्रिस्टल का आकार छोटा होने के बाद भी इसका वजन ज्यादा है. ये धरती पर उपलब्ध इकलौता बिस्मथ-एंटीमनी ऑक्साइड है. इस रत्न का नाम यांगून यूनिवर्सिटी के पूर्व जियोलॉजिस्ट डॉ. क्यावथू के पर क्यावथाइट रखा गया है.
कब दी गई क्यावथाइट को मान्यता?
क्यावथाइट का ये सैंपल पुखराज को खोजने वाले लोगों को मिला था. इसे इंटरनेशनल मिनरलॉजिकल एसोसिएशन ने भी 2015 में ही मान्यता दे दी थी. इसके बाद 2017 में इसका वैज्ञानिक ब्योरा जारी किया गया. दिलचस्प है कि धरती का दूसरा दुर्लभतम खनिज पेनस्टोन भी म्यांमार ही पैदा होता है. इस खजिन के भी मुट्ठीभर रत्न ही उपलब्ध हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, जब भारत एशिया से टकराया तब पैदा हुई गर्मी और दबाव के कारण म्यांमार में ही सबसे ज्यादा ऐसे रत्न पाए जाते हैं, जो दुर्लभ या दुर्लभतम की श्रेणी में आते हैं. माना जाता है कि दशकों दशक जंग में रहने के कारण अभी भी म्यांमार की वास्तविक खनिज संपदा के बारे में पूरी जानकारी नहीं जुटाई जा सकी है.
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