नई दिल्ली: वैज्ञानिक तमाम शोधों के साथ यह प्रयास भी कर रहे हैं कि वे पेड़-पौधों की तरह कृत्रिम तरीके ऊर्जा बना सकें. इस दिशा में उनका एक प्रयास यह भी है कि वे कृत्रिम क्लोरोप्लास्ट (Artificial Chloroplast) बना सकें जिससे ऊर्जा के साथ सूर्य की रोशनी और हवा की मदद से कार्बन पदार्थ (Organic Compound) बना सकें.
क्लोरोप्लास्ट क्यों है अहम
पेड़ पौधों में इस दिलचस्पी का कारण यह है कि जहां इंसान अपने भोजन के लिए पेड़ पौधे और अन्य जीवों पर निर्भर है, वहीं पेड़ पौधे हवा पानी और सूर्य की रोशनी की मदद से अपना भोजन खुद तैयार कर लेते हैं. इस काम में अहम भूमिका होती है क्लोरोप्लास्ट की.
क्या भूमिका है क्लोरोप्लास्ट की
क्लोरोप्लास्ट में ही पौधे कार्बन डाइऑक्साइड, पोषक तत्व, और सूर्य प्रकाश का उपयोग कर जैविक पदार्थ बनाते हैं. इस प्रक्रिया में एक उत्पाद ऑक्सीजन भी होती है जो हमारे श्वसन प्रक्रिया में काम आती है. ऐसे में वैज्ञानिकों का ध्यान कृत्रिम क्लोरोप्लास्ट बनाने पर है तो हैरानी की बात नहीं है.
कृत्रिम क्लोरोप्लास्ट क निर्माण अब होगा संभव
कृत्रिम क्लोरोप्लास्ट के निर्माण से इंसान की कई समस्याएं हल हो सकती हैं. इससे हम ऊर्जा, ईंधन बना सकते हैं. और तो और इससे हम जैविक पदार्थों का निर्माण भी कर सकते हैं. मैक्स प्लैंक सोसाइटी की मैक्ससिनबायो नेटवर्क के शोधकर्ताओं की टीम ने कोशिका के आकर का कृत्रिम क्लोरोप्लास्ट निर्माण करने की आधारशिला तैयार कर ली है. ये क्लोरोप्लास्ट बिलकुल प्राकृतिक क्लोरोप्लास्ट की तरह काम कर सकते हैं.
प्रयोग में बन सका क्लोरोप्लास्ट
शोध के सह लेखक टोबिआस एर्ब का कहना है कि उनका शोध बताता है कि पहली बार स्वतः काम करने वाला फोटोसिंथेटिक सिस्टम बन सकता है जो सूक्ष्म स्तर पर काम करेगा. इससे हमें वैकल्पिक जैविक समाधान मिल सकेंगे जो प्रकृति में अभी तक नहीं हुए हैं. यह कार्बन डाइऑक्साइड से कार्बन पदार्थ बनाने का पहला लगातार बहुस्तरीय प्रदर्शन है.

यह कृत्रिम क्लोरोप्लास्ट पौधों के क्लोरोप्लास्ट से 10 गुना ज्यादा तेज काम करता है.
कैसे बना यहा क्लोरोप्लास्ट
टीम ने CETCH साइकल नाम के पदार्थ का उपोयग किया जो साल 2019 में टोपियास की प्रयोगशाला में विकिसित हुआ था. यह पदार्थ प्राकृतिकफोटोसिंथेसिस का ही काम करता है. लेकिन पौधों से ज्याद कारगर तरीके से काम करते हुऐ. बहुत से प्राकृतिक और कृत्रिम एंजाइम पर निर्भर करता है.
पालक से अलग किया खास पदार्थ
शोधकर्ताओं ने साइंस जर्नल में प्रकाशित इस शोधपत्र में इसके निर्माण की प्रक्रिया सविस्तार बताई है. इसमें उन्होंने CETCH साइकल को थायलैकॉइड मैम्बरेन पर पानी-तेल के सूक्ष्मकणों में लगाया. इसके लिए शोधकर्ताओं ने सिंथेटिक बायोलॉजी और माइक्रोफ्ल्यूडिक्स का उपयोग किया. थायलैकॉइड मैम्बरेन को वैज्ञानिकों ने पालक से अगल किया था.
काम कर गया है कॉम्बिनेशन
इस वातावरण से कोशिका आकार के खाने बन गए जहां हजारों CETCH साइकल और थायलैकॉइड मैम्बरेन स्वतंत्र खाने बन गए और प्रक्रिया शुरू हो सकी. लेकिन इससे पहले CETCH साइकल को अन्य कृत्रिम क्लोरोप्लास्ट के साथ प्रयोग किया गया तब वैज्ञानिकों को सफलता नहीं मिली थी. लेकिन यह कदम उनके लिए बहुत बड़ी सफलता है क्योंकि यह फोटोसिंथेसिस के इंसानी उपोयग की दिशा में दूरगामी होगा.
पौधे में धीरे होती है यह प्रक्रिया
कार्बन डाइ ऑक्साइड से कार्बन पदार्थ बनाने की प्रक्रिया एक एंजाइम से शुरू होती है जिसे RuBisCO कहते हैं यह कार्बन डाइऑक्साइड की रासायनिक क्रिया शुरू कराने में भूमिका निभाता है. जिसके बाद चेन रिएक्शन शुरू हो जाते हैं और पौधों में जरूरी पदार्थ बनाने लगते हैं. पौधो में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले RuBisCO के साथ समस्या यह है कि वह धीमा है. यह एक बार में केवल 5 से 10 अणु की अभिक्रिया कर पाता है. लेकिन RuBisCO की जगह CETCH साइकल 10 गुना ज्यादा तेज है.
इससे भविष्य में सक्रिय सूक्ष्म स्तर पर कृत्रिम कोशिकाएं बनाने की दिशा में मदद मिलेगी जो विभिन्न बायोटेक्नोलॉजी कार्यों में उपयोगी सिद्ध होगी.
यह भी पढ़ें:
जानिए क्या है डार्क मैटर और क्यों अपने नाम की तरह है ये रहस्यमय
जानिए सूर्य पर गए बिना वैज्ञानिकों कैसे जाना कि क्या है वहां
910 साल पहले एक महीने तक गायब हो गया था चांद, वैज्ञानिकों को पता लगी वजह
क्या वाकई किसी घोर अनिष्ट का संकेत है पुच्छल तारे का पृथ्वी के पास से गुजरना?.
Tags: Research, Science
FIRST PUBLISHED : May 10, 2020, 22:15 IST