किस तकनीक की बदौलत सड़क पर दौड़ेगी ड्राइवर लेस कार?

बाज़ार में आने वाली है बिना ड्राइवर की कार, ऐसे चलेगी सड़कों पर
पश्चिमी मुल्कों में इसके ट्रायल हो चुके हैं. जानिए आखिर ये ड्राइवर लेस कार कैसे सड़कों पर फर्राटा भरेंगी और इसकी पीछे क्या तकनीक है?
- Last Updated: June 25, 2018, 7:42 PM IST
सेल्फ ड्राइविंग कार या ट्रक वो वाहन हैं जिनके लिए इंसानी ड्राइवरों की जरूरत नहीं होती है. इसलिए इन्हें ड्राइवरलैस कार कहा जाता है. ये आविष्कार जल्द ही आपकी सड़कों पर दिखने को मिलेगा.
अगर आपको ये लंबी दूरी की कौड़ी लगता है तो हम बता दें कि पश्चिमी मुल्कों में इसके ट्रायल हो चुके हैं. जानिए आखिर ये ड्राइवर लेस कार कैसे सड़कों पर फर्राटा भरेंगी और इसकी पीछे क्या तकनीक है?
कैसे काम करती हैं ये गाड़ियां
इन गाड़ियों को चलाने के बड़ी और उन्नत किस्म की तकनीक का इस्तेमाल हुआ है. इसमें लगी मशीनें इसे अधिक से अधिक सुरक्षित और बेहतर बनाएगी. जानिए किस-किस तरह की मशीनों से इसे चलाया जाएगा.- कार की छत में LiDAR बीम मशीन मौजूद होती है, जो 14 लाख प्रति सेकेंड लेजर प्वाइंट से कार के आसपास 3D मैप तैयार करती है. इसी मैप की मदद से गाड़ी आगे क्या है जान पाती है.
- उबर की सेल्फ ड्राइविंग कार में करीब 20 कैमरे लगे होते हैं. जो आसपास मौजूद वाहनों, पैदल यात्रियों और अन्य दूसरी चीज़ों पर नजर रखते हैं ताकि दुर्घटना को रोका जाए.
- इसमें एक खास कैमरा इनबिल्ट होता है, जो बीम मशीन से तैयार मैप को रंगीन में तब्दील करता है. इससे कार को सड़क पर मौजूद ट्रैफिक लाइटों को समझने में मदद मिलती है.
- इसमें एक LiDAR मोड्यूल लगा होता है, जो आगे, पीछे और साइड की बाधाओं को सेंसर के जरिए समझने की कोशिश करता है. जैसे स्पीड ब्रेकर, गड्ढे आदि. ताकि कार में बैठे यात्री को तकलीफ न उठानी पड़े.

- लगातार कार की लोकेशन को बताने के लिए कार की छत पर एक एंटीना लगा होता है, जो GPS से जुड़ा होता है. इससे कार की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी हासिल की जाती है.
- इन तमाम मशीनों को ठंडा रखने के लिए कूलिंग सिस्टम भी मौजूद होता है. जो मशीनों को गर्म नहीं होने देता. दरअसल ये मशीनें ही कार का दिमाग है, जो सभी निर्देश लेती और कार को कंट्रोल करती है.
इन गाड़ियों के क्या फायदे?
सड़क पर उतरने के बाद इन गाड़ियों के क्या लाभ होंगे, इसके बारे में पूरा-पूरा बताने में वक्त लगेगा. लेकिन कुछ ऐसी चीज़ें हैं, जो ड्राइवर्स, इकनॉमी, इक्विटी और पर्यावरण पर खासा असर डालेगी.
सेफ्टी- कार के इस फायदे को लेकर दुनिया में काफी चर्चा है. उबर की कार से हुए एक्सीडेंट के बाद सवाल उठाए जा रहे हैं. लेकिन कंपनियां जो दावा करती हैं, हम उस पर नजर डाल लेते हैं. हर साल अमेरिका में हजारों और भारत में लाखों लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं.
ऐसा माना जा रहा है कि उन्नत तकनीक की बदौलत इन एक्सीडेंट्स की संख्या में कमी आएगी. सॉफ्टवेयर इंसानों की तुलना में ज्यादा बेहतर ढंग से काम करेगा.
गैर-चालकों को फायदा- सेल्फ ड्राइविंग उन लोगों के लिए ज्यादा मददगार साबित होगी, जो ड्राइव नहीं कर सकते हैं. खासकर उम्रदराज लोगों के लिए. हालांकि इससे ड्राइवरों की नौकरी पर संकट पैदा होगा.
पर्यावरण पर फायदा- वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के मुताबिक सेल्फ ड्राइविंग कार जीरो उत्सर्जन वाली गाड़ियां होंगी. जो इलेक्ट्रिक, सोलर पावर और विंड पावर से काम करेंगी. अगर ऐसा हुआ तो तेल से चलने वाली गाड़ियों की तुलना में पर्यावरण के लिए ज्यादा बेहतर साबित होंगी.
अगर आपको ये लंबी दूरी की कौड़ी लगता है तो हम बता दें कि पश्चिमी मुल्कों में इसके ट्रायल हो चुके हैं. जानिए आखिर ये ड्राइवर लेस कार कैसे सड़कों पर फर्राटा भरेंगी और इसकी पीछे क्या तकनीक है?
कैसे काम करती हैं ये गाड़ियां
इन गाड़ियों को चलाने के बड़ी और उन्नत किस्म की तकनीक का इस्तेमाल हुआ है. इसमें लगी मशीनें इसे अधिक से अधिक सुरक्षित और बेहतर बनाएगी. जानिए किस-किस तरह की मशीनों से इसे चलाया जाएगा.- कार की छत में LiDAR बीम मशीन मौजूद होती है, जो 14 लाख प्रति सेकेंड लेजर प्वाइंट से कार के आसपास 3D मैप तैयार करती है. इसी मैप की मदद से गाड़ी आगे क्या है जान पाती है.
- उबर की सेल्फ ड्राइविंग कार में करीब 20 कैमरे लगे होते हैं. जो आसपास मौजूद वाहनों, पैदल यात्रियों और अन्य दूसरी चीज़ों पर नजर रखते हैं ताकि दुर्घटना को रोका जाए.
- इसमें एक खास कैमरा इनबिल्ट होता है, जो बीम मशीन से तैयार मैप को रंगीन में तब्दील करता है. इससे कार को सड़क पर मौजूद ट्रैफिक लाइटों को समझने में मदद मिलती है.
- इसमें एक LiDAR मोड्यूल लगा होता है, जो आगे, पीछे और साइड की बाधाओं को सेंसर के जरिए समझने की कोशिश करता है. जैसे स्पीड ब्रेकर, गड्ढे आदि. ताकि कार में बैठे यात्री को तकलीफ न उठानी पड़े.

- लगातार कार की लोकेशन को बताने के लिए कार की छत पर एक एंटीना लगा होता है, जो GPS से जुड़ा होता है. इससे कार की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी हासिल की जाती है.
- इन तमाम मशीनों को ठंडा रखने के लिए कूलिंग सिस्टम भी मौजूद होता है. जो मशीनों को गर्म नहीं होने देता. दरअसल ये मशीनें ही कार का दिमाग है, जो सभी निर्देश लेती और कार को कंट्रोल करती है.
इन गाड़ियों के क्या फायदे?
सड़क पर उतरने के बाद इन गाड़ियों के क्या लाभ होंगे, इसके बारे में पूरा-पूरा बताने में वक्त लगेगा. लेकिन कुछ ऐसी चीज़ें हैं, जो ड्राइवर्स, इकनॉमी, इक्विटी और पर्यावरण पर खासा असर डालेगी.
सेफ्टी- कार के इस फायदे को लेकर दुनिया में काफी चर्चा है. उबर की कार से हुए एक्सीडेंट के बाद सवाल उठाए जा रहे हैं. लेकिन कंपनियां जो दावा करती हैं, हम उस पर नजर डाल लेते हैं. हर साल अमेरिका में हजारों और भारत में लाखों लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं.
ऐसा माना जा रहा है कि उन्नत तकनीक की बदौलत इन एक्सीडेंट्स की संख्या में कमी आएगी. सॉफ्टवेयर इंसानों की तुलना में ज्यादा बेहतर ढंग से काम करेगा.
गैर-चालकों को फायदा- सेल्फ ड्राइविंग उन लोगों के लिए ज्यादा मददगार साबित होगी, जो ड्राइव नहीं कर सकते हैं. खासकर उम्रदराज लोगों के लिए. हालांकि इससे ड्राइवरों की नौकरी पर संकट पैदा होगा.
पर्यावरण पर फायदा- वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के मुताबिक सेल्फ ड्राइविंग कार जीरो उत्सर्जन वाली गाड़ियां होंगी. जो इलेक्ट्रिक, सोलर पावर और विंड पावर से काम करेंगी. अगर ऐसा हुआ तो तेल से चलने वाली गाड़ियों की तुलना में पर्यावरण के लिए ज्यादा बेहतर साबित होंगी.