इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) उम्मीद के ज्यादा समय के काम कर रहा है. लेकिन अब इसके और ज्यादा चलने की संभावना कम होती जा रही है. इसके बहुत से हिस्से धीरे धीरे बेकार होते जा रहे हैं. लेकिन रूस (Russia) ने इससे अलग होने का मन बना लिया है और वह 2025 तक इससे जुड़ा रहेगा. इसके साथ ही उसने खुद का स्पेस स्टेशन बनाने की तैयारी भी शुरू कर दी है. इसकी वजह कुछ समय पहले रूस-अमेरिका (Russia-US Ties) संबंधों में बदलाव हैं.
रूस अमेरिका के बीच सबसे बड़ा सहयोगी कार्यक्रम
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन साल 1998 से काम कर रहा है जिसमें रूस और अमेरिका सहित 16 अन्य देशों का सहयोग रहा है और यह अमेरिका और रूस के बीच सबसे ज्यादा सहयोग होने वाला कार्यक्रम रहा है. लेकिन अब रूस और अमेरिका के बीच संबंधों में खटास आ जाने से रूस ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से पूरी तरह से अलग होने का फैसला कर लिया है.
रूस ने की घोषणा
पिछले कुछ समय से, खासतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ गई है. इतना ही नहीं रूस के यूरोपीय एजेंसी से संबंधों में वह पहले गर्मजोशी नहीं रही. रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोसकोसमोस ने हाल ही में घोषणा की है कि उसने अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. अगर सब ठीक रहा तो इसे साल 2030 में पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया गया है.
रूस-अमेरिका संबंधों में खटास
रूस-अमेरिका संबंधों में खटास हाल ही में ज्यादा बढ़ गई जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक इंटरव्यू में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को ‘हत्यारा’ कह दिया. उन्होंने यहां तक कह दिया कि उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी. इससे पहले रूस अमेरिका के आर्टिमिस अकॉर्ड को लेकर भी अपनी आपत्ति दर्ज करा चुका है.

रूस (Russia) साल 2030 तक अंतरिक्ष में अपने स्पेस स्टेशन स्थापित कर लेगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
एक बड़ा कदम होगा
रूस का इंटरनेशनलस्पेस स्टेशन से अलग होने से अंतरिक्ष अनुसंधान में रूसी अन्वेषण का एक नया अध्याय खुलेगा. खुद रूसी स्पेस एजेंसी रोसकोसमोस के प्रमुख दिमित्री रोगोजिन ने कहा है कि रूसी स्पेस स्टेशन के कक्षा में स्थापित होना एक बड़ी उपलब्धि होगा और अंतरिक्ष अनुसंधान में यह एक बहुत बड़ा कदम होगा.
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क्या खास होगा स्पेस स्टेशन में
इस रूसी स्पेस स्टेशन की खास बात यह होगी इसमें आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस और रोबोट्स का उपयोग होगा और ISS की तरह इसे इंसान नहीं चलाएंगे और इसमें इंसानों की उपस्थिति केवल यात्रियों की तरह होगी. यानि स्टेशन में हमेशा ही लोग नहीं रहेंगे क्योंकि इस कक्षा के रास्ते में बहुत ज्यादा विकिरण का सामना करना पड़ता है.

रूस (Russia) का स्पेस स्टेशन पूरी तरह से स्वदेशी होगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
कितना खर्चा करेगा रूस
रूस इस परियोजना के लिए 6 अरब डॉलर लगाने जा रहा है. इसमें वैसे तो विदेशी यात्रियों को भी आने का मौका मिलेगा, लेकिन यह पूरी तरह से रूसी स्पेस स्टेशन होगा. स्पेस स्टेशन पृथ्वी की निचली कक्षा में उसकी सतह से 250 किलोमीटर ऊपर स्थापित किए जाते हैं. फिलहाल आईएसएस भी इसी स्थिति में हैं.
पृथ्वी के बाहर से सतह तक पहुंच रही है हर साल बड़ी मात्रा में धूल
पिछले कुछ सालों में अमेरिका के चीन और उसके बाद अब रूस से संबंध खराब होने से अंतरिक्ष में प्रतिस्पर्धा तेजी से बढ़ने की संभावना है. चीन पहले ही अमेरिका से वर्चस्व की होड़ में बहुत अलग करने का प्रयास कर रहा है. वह मंगल पर रोवर, लैंडर और ऑर्बिटर भेजने वाला दुनिया का पहला देश बनने की तैयारी में है. इसके अलावा वह खुद का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन स्थापित करने पर तेजी से काम कर रहा है. अब रूस का आईएसएस से अलग होना चिंता की बात हो सकती है.undefined
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Tags: Nasa, Research, Russia, Science, Space, USA
FIRST PUBLISHED : April 23, 2021, 08:48 IST