रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) को एक साल होने को है लेकिन इसे फैलने से रोकने की कोशिशें भी हो रही हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
इस समय रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) को बड़े या विश्व युद्ध (World War) में बदलने से रोकने की कोशिशें हो रही है. सच तो यह ये सभी ऐसी ही कोशिशें हैं जिनसे विश्वयुद्ध बदलने की जिम्मेदारी से बचा जा सके. अब हाल ही में बेलारूस (Belarus) ने ऐलान किया है कि वह तब तक युद्ध का हिस्सा नहीं बनेगा जब तक कि खुद उसी पर हमला नहीं होगा. वहीं रूस भी बहुत बड़ी कार्रवाई से बचने की कोशिश में है जिससे उस पर बड़ा युद्ध उकसाने का आरोप ना लगे. कुल मिला कर जैसा कि पिछले एक साल से हो रहा है, हर पक्ष से इस युद्ध को केवल यूक्रेन तक ही सीमित करने का प्रयास किया जा रहा है.
शुरू से ही रखा गया ध्यान
युद्ध की शुरुआत से ही हर पक्ष की ओर से इस बात का ध्यान रखा गया है कि इस तरह का नैरेटिव जाए कि युद्ध बढ़ाने के लिए वह जिम्मेदार नहीं है. पहले रूस को ही लें वह लगातार चेतावनी देता रहा है कि यूक्रेन नाटो से अपनी नजदीकियों से बाज आ जाए नहीं तो उसे अंजाम भुगतना होगा. आखिरकार पुतिन ने यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई के नाम पर पिछले साल 24 फरवरी को अपनी सेना भेज दी.
शुरुआती कोशिशें
वहीं पश्चिमी देशों ने, जिसमें नाटो के रूप में अमेरिका और यूरोपीय देश प्रमुख रूप से शामिल थे, यूक्रेन का साध देने का ऐलान तो कर दिया, लेकिन उसकी सीधे तौर पर सहायता से बचते रहे जिससे युद्ध विश्व युद्ध में तब्दील ना हो जाए. वहीं रूस ने भी साफ कहा कि किसी दूसरे देश का सीधा दखल युद्ध को व्यापक स्तर पर ले जाएगा जिसके लिए वह खुद जिम्मेदार नहीं होगा.
युद्ध भड़काने की जिम्मेदारी से बचाव
इसका नतीजा यह रहा कि युद्ध को एक साल पूरा होने को है. वह अब भी जारी तो है, लेकिन किसी को भी यह पता नहीं है कि वह कैसे रुक सकता है. अमेरिका रूस के खिलाफ मुखर तो बहुत है लेकिन यूक्रेन को हथियार धीरे धीरे दे रहा है जिससे उस पर रूस के युद्ध फैलाने के लिए उकसाने का जिम्मेदार ना कहा जा सके. यही हाल जर्मनी का भी है हाल ही में अमेरिका को जर्मनी को यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति के लिए मनाना पड़ा.
हाल में बदलता दिख रहा है काफी कुछ
वहीं युद्ध में रूस धीरे धीरे यूक्रेन की हालात खराब कर रहा है और पश्चिमी देशों के हथियार उसे बढ़ने से रोक रहे हैं हैरानी नहीं होनी चाहिए कि भविष्य में यह पता चले कि यूक्रेन पश्चिमी देश और रूस की युद्ध की प्रयोगशाला में बदल गया था. जो भी हो यह साफ है कि पिछले कुछ हफ्तों से घटनाएं यही संकेत दे रही हैं कि दूसरे देश जताने की कोशिश कर रहे हैं कि वे युद्ध को बड़े युद्ध में बदलने देना नहीं चाहते हैं.
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बेलारूस का बयान
इस कड़ी में बेलारूस के तानाशाह एलेक्जेंडर लुकाशेंको ने कहा है कि उनकी सेना रूस यूक्रेन युद्ध में तभी शामिल होगी जब उनके देश पर पहला हमला होगा. बहुत कम प्रेस कॉन्फ्रेस करने वाले लुकाशेंको ने कहा कि वे रूस के साथ युद्ध करने के लिए तैयार हैं, लेकिन ऐसा तभी होगा जब कोई एक यूक्रेन सैनिक भी उनके क्षेत्र में घुस कर उनके लोगों को मारने का प्रयास करेगा.
एलन मस्क भी
इससे पहले ट्विटर और स्पेस एक्स के मुखिया एलन मस्क आलोचना का शिकार हो रहे हैं क्योंकि उन्होंने अपने स्टारलिंग सैटेलाइट के हाई स्पीड ब्रॉडबैंड सेवा को यूक्रेन में सीमित कर दिया था. लेकिन कई विशेषज्ञों का कहना है कि वे लगातार यूक्रेन को सहायता तक पुतिन को कोई मौका नहीं देना चाहते हैं. उनका कहना है कि वे स्पेस एक्स को लंबे युद्ध का स्थाई हिस्सा नहीं बनने देना चाहते.
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गौर तलब है कि पिछले साल के अंत तक युद्ध को खत्म करने की बातें खत्म ही हो गई थीं. यूक्रेन में मारे गए लोगों के आंकड़े भी दुनिया के बड़े नेताओं को इसके लिए बात करने के लिए उकसा नहीं सके, अक्टूबर में खुद मस्क ने युद्ध खत्म करे के लिए प्रस्ताव दिया था. वहीं इसी महीने अमेरिका ने भी कहा था कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कहा था कि वे युद्ध रोकने के लिए जो भी प्रयास करेंगे उनका देश उसका स्वागत करेगा. साफ है कि युद्ध को फैलने से रोकने के उपायों को भी खोजा जाने लगा है.
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