पश्चिमी देशों की यूक्रेन को टैंक (Western Tanks) की आपूर्ति के ऐलान युद्ध को नया मोड़ देने वाले साबित हो सकते हैं. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
यूक्रेन की मांग पर जैसे ही पश्चिमी देशों ने उसे टैंक की आपूर्ति Tanks supply from western countries) करने का ऐलान किया है, रूस ने उस पर ताबड़तोड़ मिसाइल (Russian Missile attack on Ukraine) के हमले शुरू कर दिए हैं. यह फैसला कई महीनों से पश्चिमी देशों की ओर से चल रही हिचक के बाद लिया गया है जिससे रूस ने यूक्रेन में अपनी सैन्य कार्रवाई (Russian Military operations) तेज कर दी है. रूस पहले ही लगातार चेता रहा था कि यूक्रेन को पश्चिमीदेशों की मदद को वह रूस पर उन देशों के हमले के रूप में देखेगा. कई विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यूक्रेन में टैंक पहुंचने से पहले ही रूस यूक्रेन के अहम क्षेत्रों पर कब्जा करके अपना सैन्य ऑपरेशन खत्म करता है.
किसकी ओर से कितने टैंक
अमेरिका ने हाल ही में ऐलान किया है कि वह यूक्रेन को 31 अबराम टैंक देने का ऐलान किया है और जर्मनी ने भी थोड़ी सी हिचक दिखाने के बाद,अमेरिकी दबाव में आकर अपने 14 लेपर्ड टैंक को यूक्रेन भेजने के लिए हामी भर दी है. इसके अलावा पिछले हफ्ते ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी अपने 14 चैलेंजर टैंक भेजने का ऐलान किया था.
कम हैं टैंक
लेकिन ये कुल मिलाकर केवल 59 टैंक ही हैं जबकि यूक्रेन ने 300 टैंक की मांग की है. लेकिन पश्चिमी देशों की ओर से यह फैसला भी कई महीनों के बाद आया है जब वे सीधे युद्ध में अपनी भागीदारी नहीं दिखाना चाहते थे. जर्मनी ने भी इस मामले में काफी संकोच दिखाया था जिसके बाद अमेरिका को उस पर दबाव डालना पड़ा.
हालत कैसे हैं अलग
बात केवल टैंक भेजने के फैसले भर की नहीं है. अमेरिका इससे पहले अनाधिकृत तौर पर यूक्रेन की इस तरह से मदद कर रहा था. वह कह रहा था कि एम1 अबराम टैंक यूक्रेन भेजना मुश्किल काम होगा भेजा. इतना ही नहीं उसने यह भी कहा था कि उसका रखरखाव महंगा है और उसे चलाना यूक्रेन की सेना के लिए मुश्किल होगा. लेकिन अब अमेरिका का यह रवैया बदल गया है. यहां तक कि उसने जर्मनी पर भी दबाव डाला है.
रूस भी अलग दिख रहा है
वहीं रूस ने भी इस बार किसी तरह की तीखी बात नहीं की है. केवल फैसलों की आलोचना की है वह भी किसी राजनैतिक और सैन्य नेतृत्व से किसी तरह के खतरे के संकेत वाले बयान आए हैं. रूस इस बार ज्यादा आत्मविश्वास से भरा दिखाई दे रहा है और इससे ऐसा लगता है कि उससे इन टैंक से कोई खतरा महसूस नहीं हो रहा है. लेकिन उसकी कार्यवाहियां कुछ अलग बात बता रही हैं.
यह भी पढ़ें: पाकिस्तान की प्रमुख गैर नाटो साथी का दर्जा खत्म करने का क्यों हो रही है कोशिश?
कोई बहुत फायदा नहीं
यूक्रेन पर रूस का हमला कोई हैरानी की बात नहीं लग रही है. पश्चिमी विशेषज्ञों का मानना है कि ये टैंक कोई युद्ध के हालात बदल देने वाले साबित नहीं होने वाले हैं जहां रूस इस मामले में पहले से ही आगे चल रहा है. उन्हें लगता है कि अब रूस बखमुट सोलेडार, जापोरिझिझिया में अपनी स्थिति टैंक पहुंचने से पहले ही मजबूत कर लेगा.
रूसी पूरी करेगा कार्रवाई
टेलीग्राम ग्रुप के विशेषज्ञ संकेत दे रहे हैं कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन टैंक पहुंचने से पहले ही यूक्रेन के कई इलाकों में पर कब्जा करने का प्रयास करेंगे और खास इलाकों पर कब्जे के बाद रूस की यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई खत्म करने का ऐलान भी कर देंगे.वहीं पश्चिमी टैंक का विध्वंस अमेरिका और जर्मनी को शर्मिंदा कर देगा जिससे वे जवाबी कार्रवाई करने को भी मजबूर हो सकते हैं.
यह भी पढ़ें: पाकिस्तान के दो प्रातों की विधानसभा भंग कर आखिर चाहते क्या हैं इमरान खान?
ऐसे में रूस चाहेगा कि ऐसी नौबत की ना आने पाए कि उसे पश्चिमी टैंक ध्वस्त करने की स्थिति का सामना ही करना पड़े. वहीं जर्मनी को अन्य यूरोपीय नाटो देशों को उसके द्वारा दिए गए लेपर्ड टैंक यूक्रेन को देने को कहा जा सकता है जिसके लिए उस प्रतिबंध को खत्म करना होगा जिसके मुताबिक जर्मनी से खरीदे गए हथियार किसी और को नहीं बेचे जाएंगे. कुल मिलाकर टैंक यूक्रेन पहुंचने में समय लगेगा जिससे पहले रूस कुछ जरूरी काम निपटना चाहेगा.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Germany, Research, Russia, Russia ukraine war, Ukraine, USA, World