अभी तक पृथ्वी (Earth) से बाहर जीवन की तलाश की बात करें तो हमारे सौरमंडल ही कई उम्मीदवार हैं. मंगल की स्थिति डावाडोल ही रही है, ये भले ही स्पष्ट होता जा रहा हो की अभी मंगल पर जीवन का कोई प्रारूप नहीं हो, वहीं जमीन के नीचे या फिर पुरातन समय पर जीवन के सकेंत मिल सकते हैं. लेकिन मंगल के अलावा गुरु और शनि (Saturn) ग्रहों के चंद्रमाओं (Moon) में पानी की महासागर मिलने की उम्मीद बढ़ रही है. लेकिन रोचक अध्ययन करते हुए वैज्ञानिकों को पहली बार ऐसे प्रमाण मिले हैं जो बताते हैं शनि ग्रह के सबसे पास स्थित उसके चंद्रमा मिमास में एक आंतरिक महासागर है.
कुछ और ही साबित करने जा रहे थे शोधकर्ता
साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध करने के लिए कि शनि के अंदर की ओरफ का चंद्रमा एक जमा हुआ तटस्थ उपग्रह है, एक प्रयोग किया. लेकिन इस अध्ययन के नतीजों से उन्हें चौंकाने वाली जानाकरी मिली. उन्हें इस बात के प्रमाण मिले कि मिमास में एक तरल आंतरिक महासागर है.
कैसिनी यान ने लगाया पता
नासा का कैसिनी अंतरिक्ष यान ने एक रोचक बात पता लगाई कि शनि के इस चंद्रमा के घूर्णन में एक रोचक स्पंदन हो रहा है जो ऐसी भूगर्भीय तौर पर सक्रिय पिंड की ओर इशारा करता है जो आंतरिक महासागर की समर्थन करता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस मीमास में ऐसा महासागर होने की बड़ी संभावना है.
एक अलग ही संसारों को प्रदर्शित करता है ये
इंस्टीट्यूट के बर्फीले उपग्रह की भूभौतिकी के विशेषज्ञ डॉ एलायसा रोडेन का कहना है कि अगर मीमास के पास ऐसा महासागर है तो यह एक श्रेणी की छोटी छिपी हुई दुनिया को प्रदर्शित करता है. जिसकी सतह ऐसी हैं जो महासागर के अस्तित्व को नहीं नकारती हैं. डॉ रोडेन का महासागरों वाले उपग्रहों और विशाल ग्रहों के उपग्रह तंत्रों का विशेषतौर पर अध्ययन किया है.
25 साल में बड़ी खोज
पिछले 25 सालों में अभी तक ग्रह विज्ञान में सबसे बड़ी खोज जो हुई है, वह यही है कि चट्टानों और बर्फ के नीचे महासागरों का होना हमारे सौरमंडल में एक सामान्य बात है. ऐसे संसारों में सुदूर प्लूटो जैसे ग्रहों सहित यूरोपा, टाइटन, और एनसॉलेडस जैसे विशाल ग्रहों की बर्फीले उपग्रह शामिल हैं.
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एक बड़ी संभावना
पृथ्वी जैसे संसार जहां सतह पर महासागर हैं वे अपने तारे से बहुत ही कम दूरी के दायरे में रहते हैं जिससे वे तरल महासागरों की कायम करने वाले तापमान बनाए रखें. लेकिन दूसरी अंतरिक पानी के महासागरीय संसार या इंटीरियर वाटर ओशीन वर्ल्ड्स (IWOWs) बहुत ही बड़े दायरे में पाए जाते हैं . इससे पूरी गैलेक्सी में आवास योग्य संसारों के मिलने की संभावनाओं को बहुत ज्यादा बढ़ा देती हैं.
यूं हो गया था भ्रम
मीमास की सतह पर क्रेटर बहुत ज्यादा हैं, इसलिए शोधकर्ताओं का लगा कि वह केवल एक जमी हुई बर्फ का पिंड है. लेकिन एनसेलाडस और यूरोपा जैसे पिंडों में टूटने की संभावना होती है जो उनके भूगर्भीय सक्रियता के संकेतों से जाहिर होता है. मीमास की सतह शोधकर्ताओं का भ्रमित कर रही थी. रोडेन का कहना है कि नई जानकारी ने हमारे सौरमंडल और उसके बाहर संभावित आवासीय दुनिया की परिभाषा काफी विस्तारित कर दी है.
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शोधकर्ताओं ने मीमास के मामले में भी पाया है कि महासागर को मिलने वाली गर्मी कारण ज्वारीय ऊष्मा है. जो समुद्र को तरल रखने के लिए पर्याप्त है, लेकिन सतह को पिघलाने के लिए काफी नहीं है. शोधकर्ताओं का कहना है कि ऊष्मा- कक्षा का विकास दूसरे उपग्रहों पर भी लागू हो सकता है. उन्हें साल 2024 में प्रक्षेपित होने वाले नासा के यूरोप क्लिपर से काफी उम्मीदें हैं.
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