AT2018cow का सपाट विस्फोट इससे पहले कहीं और नहीं देखा गया है. (तस्वीर: Phil Drury/University of Sheffield)
पृथ्वी सहित ब्रह्माण्ड में हर जब जब विस्फोट होता है उससे निकलने वाली ऊर्जा दसों दिशाओं में जाती है. यानि इसमें ऊर्जा का छोटा गोला बहुत ही तेजी से बड़ा होता चला जाता है. चाहे दिवाली का कोई पटाखा हो या फिर अंतरिक्ष में तारे के मरने के बाद सामन्य भौतिकी के नियम तो यही कहते हैं ऊर्जा इसी प्रकार हर दिशा में फैलती है. लेकिन क्या होगा कि अगर कोई विस्फोट पैदा होने के बाद ऊर्जा सपाट रूप से वैसी ही फैली जैसे तवे पर कोई तरल पदार्थ फैलता जाता है. इस विस्फोट ने वैज्ञानिको के सामने तारों के मरने की प्रक्रिया पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
एक तरह की चुनौती
पृथ्वी से 18 करोड़ प्रकाशवर्ष की दूरी पर हुए इस सपाट विस्फट ने तारों के मरने की प्रक्रिया की हमारे समझ को चुनौती दे डाली है जो अब तक का सबसे सपाट विस्फोट माना जा रहा है. इस धमाके को AT2018cow नाम दिया गया है और यह एक बहुत ही दुर्लभ किस्म का खगोलीय विस्फोट होता है जिसे फास्ट ब्लू ऑप्टिकल ट्रांजिएंट्स या FBOTs कहते हैं.
डिस्क के आकार की
मजेदार बात यह है कि अब तक की पहचाने गए चार एफबोट्स में से AT2018cow ही ऐसा है जो किसी वजह से अगल बगल ही में फैला है. यह उत्सर्जन उम्मीद के अनुसार गोलकार ना होने की जगह एक तश्तरी या चक्रिका की तरह था. चूंकि अभी तक हम यह नहीं जानते कि किसी तरह के प्रक्रियाएं इस तरह के अजीब से विस्फोट का कारण होती हैं, यह खोज खगोलविदों की कई नई खोजें और प्रक्रियाओं को समझने में सहायक हो सकती हैं.
बहुत ही अजीब विस्फोट
इस शोध की अगुआई करने वाले खगोलभौतिकविद जस्टिन माउंड का कहना है कि एफबोट विस्फोटों के बारे में बहुत कम जानकारी है, लेकिन वे उस तरह से बर्ताव नहीं करते जैसा तारों के विस्फोटों को करना चाहिए. वे बहुत चमकीले होते हैं और तेजी से फैलते हैं. ये अजीब होते हैं, लेकिन यह विस्फोट तो और भी अजीब निकला था.
कई हो सकते हैं कारण
उम्मीद की जा रही है इससे इस तरह के नए गैर गोलाकार विस्फोटों के बारे में पता चल सकेगा.अनुमान लगाया जा रहा है कि या तो इस तारे ने मरने से पहले ही इस तरह की डिस्क बना ली होगी, या फिर सुपरनोवा नाकाम हो गया होगा जहां तारों का क्रोड़ ब्लैक होल या न्यूट्रॉन तारे में बदल गया होगा और फिर बाकी के तारे को खा गया होगा. AT2018cow जिसे काउ भी कहते हैं को 2018 में सबसे पहले देखा गया था.
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नीली रोशनी का विस्तार
शुरू में बहुत चमकीला दिखाई देने वाला यह एक सामान्य सुपरनोवा विस्फोट लग रहा था बाद में पाया गया कि यह तो 10 गुना ज्यादा शक्तिशाली है. यह एक सामान्य सुपरनोवा की तुलना में तेजी से चमका और तेजी से गायब हो गया था. विस्फोट में गर्मी इतनी ज्यादा थी कि उससे नीली रोशनी ज्यादा फैल रही थी जो कि सुपरनोवा के विस्फोट में होता नहीं है.
पोलराइजेशन आंकड़ों की मदद
वैसे तो कई तरह की संभावित व्याख्या दी जाती हैं, लेकिन एफबोट का सटीक कारण अभी खगोलविद सुनिश्चित नहीं कर सके हैं. शोधकर्ताओं ने काउ के पोलराइजेशन आंकड़ों का उपयोग किया जो उहें लिवरपूल टेलीस्कोप से मिले थे. ये आंकड़े बहुत सारे अवलोकनों से जमा किए गए थे. इन्हीं आंकड़ों से वे इस विस्फोट के आकार का पता लगा सके थे.
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यह उम्मीद करना गलत नहीं होगा कि खगोलविदों को ब्रह्माण्ड में और बहुत सारे एफबोट देखने को मिल सकते हैं. उनके पोलराइजेशन आंकड़ों का विश्लेषण यह खुलासा करेगा कि क्या यह कोई अपवाद है और किसी विशेष प्रक्रिया की अति है. माउंड का कहना है कि अभी इसके आकार की गुत्थी भले ही ना सुलझी हो, यह तय है कि इसने तारों के विस्फोट के हमारे नजरिए को जरूर चुनौती दी है.
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