क्या आप सोच सकते हैं कि जो शख्स लंबे समय तक भारत सरकार में केंद्रीय मंत्री रहा हो. देश में तमाम निगमों और आयोगों का प्रमुख रहा हो, उसका सगा बेटा पाकिस्तानी सेना में बड़ा अफसर. वो भी ठीक उस समय जब भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1965 का युद्ध लड़ा जा रहा था. इसके खिलाफ आवाज उठ गई.
बात भारत 60 के दशक में केंद्रीय मंत्री शाहनवाज खान की हो रही है, जो आजाद हिन्द फौज में मेजर जनरल थे. वो उन लोगों में थे, जिन्हें दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने बंदी बनाकर दिल्ली के लालकिले में रखा था. शाहनवाज समेत छह अफसरों पर तब चर्चित मुकदमा चला था. आजाद हिंद फौज के सभी अफसर बाद में रिहा हो गए थे. शाहनवाज 1947 में देश के बंटवारे के बाद भारत आ गए.
नेहरू ने बनाया मंत्री
शाहनवाज जब भारत आए तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें पहले रेलवे और परिवहन उपमंत्री बनाया. फिर वो कई विभागों के केंद्रीय मंत्री रहे. कुल मिलाकर उन्होंने मंत्री के रूप में दो दशकों से कहीं ज्यादा समय की लंबी पारी खेली.
तब शाहनवाज से मांगा गया इस्तीफा
वर्ष 1965 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई छिड़ी तो लोगों को ये जानकारी हुई कि उनका बड़ा बेटा महमूद नवाज अली तो पाकिस्तानी सेना में बड़ा अफसर है. इस पर कोहराम मच गया. विपक्षी पार्टियों ने उनसे इस्तीफा देने की मांग की. तब शाहनवाज केंद्रीय कृषि मंत्री थे. वह सियासी दलों और संगठनों के निशाने पर आ गए. शाहनवाज इतने दबाव में आ गए कि इस्तीफा देने का मन बना लिया प्रधानमंत्री से मांग की गई कि ऐसे मंत्री को हटाया जाए.
बचाव में सामने आए लाल बहादुर शास्त्री
तब लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री थे. उन्होंने न केवल उनका बचाव किया बल्कि इस्तीफा लेने से भी मना कर दिया. प्रधानमंत्री ने विपक्ष से दो टूक कहा कि वह कतई इस्तीफा नहीं देंगे. अगर उनका बेटा दुश्मन देश की सेना में बड़ा अफसर है तो इसमें भला उनकी क्या गलती. वैसे आज भी शाहनवाज के बेटे और परिवार के लोग पाकिस्तान में ऊंचे पदों पर हैं.
आजाद हिन्द फौज के सेनानी थे
शाहनवाज की पैदाइश पाकिस्तान (तब अविभाज्य भारत) के रावलपिंडी जिले के मटोर गांव में हुई थी. पढाई भी वही हुई. बाद में वह ब्रिटिश सेना में अफसर बन गए. लेकिन असल में तब चर्चा में आए जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिन्द फौज में शामिल हो गए.
भरा-पूरा परिवार छोड़कर आए थे भारत
जब आजादी के समय भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो वह हिन्दुस्तान से मोहब्बत के चलते यहां आ गए. इसके लिए उन्होंने अपने पूरे परिवार को छोड़ दिया. परिवार क्या बल्कि भरापूरा परिवार-बीवी, तीन बेटे, तीन बेटियां. प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान की मां लतीफ फातिमा को उन्होंने ही गोद लिया था. शाहरुख के पिता शाहनवाज खान के साथ ही पाकिस्तान से भारत आए थे. बाद में उन्होंने दोनों की शादी भी कराई.
चार बार मेरठ के सांसद रहे
आजाद हिंदुस्तान में वह चार बार मेरठ से सांसद चुने गए. मेरठ जैसे संवेदनशील शहर में उनके जमाने में कभी कोई दंगा-फसाद नहीं हुआ. शाहनवाज़ ने 1952 में पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मेरठ से चुनाव जीता था. इसके बाद 1957, 1962 व 1971 में मेरठ से लगातार जीतते रहे. 23 साल तक केन्द्र सरकार में मंत्री रहे.
नेताजी जांच कमीशन के अध्यक्ष भी रहे
1956 में भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत के कारणों और परिस्थितियों के खुलासे के लिए एक कमीशन बनाया था, इसके अध्यक्ष भी जनरल शाहनवाज खान ही थे.
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FIRST PUBLISHED : June 20, 2018, 15:22 IST