श्रीनिवास रामानुजन (Shirnivas Ramanujan) को दुनिया के महान गणितज्ञों (Mathematicans) में से एक गिना जाता है. उन्हें अंकों का जीनियस कहा जाता था. बचपन से ही उन्हें संख्याएं (Numbers) आकर्षित करती थीं. पढ़ाई में वे केवल गणित विषय से ही सहज ही नहीं बल्कि विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. लेकिन उन्होंने केवल 32 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया था. उन्हें जानने वालों का कहना है कि अगर वे कुछ और साल जिंदा रह पाते तो शायद यह दुनिया ही बहुत कुछ बदल जाती.
बचपन से ही गणित में थे जीनियस
स्कूल के दिनों में रामानुजम गणित को छोड़ बाकी विषयों में कमजोर थे. इसलिए 11वीं कक्षा में केवल गणित में ही पास होने से उनकी स्कॉलरशिप छिन गई थी और उन्होंने आत्महत्या तक का प्रयास कर डाला. किसी तरह से स्कूल से पास होकर वे क्लर्क की नौकरी करने लगे. लेकिन उनका गणित से लगाव नहीं छूटा.
हार्डी को लिखे खत
क्लर्क की नौकरी से साथ गणित के अध्ययन के साथ वे एच एस हार्डी को पत्र भी लिखा करते थे जिसमें वे अपने सूत्र लिख कर उन्हें भेजा करते थे. हार्डी को लिखे पत्रों ने उनकी प्रतिभा को दुनिया के सामने लाने का मौका दिया. शुरू में हार्डी ने इन खतों को नजरअंदाज किया, लेकिन बाद में उन्हें समझ में आ गया यह किसी बहुत ही विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्ति का काम है.
हार्डी ने दुनिया से कराया रूबरू
प्रोफेसर हार्डी ने रामानुजन की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें बुलाया और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की स्कॉलरशिप दिलवाई. लंदन में उन्होंने हार्डी के साथ मिलकर 20 से ज्यादा शोध पत्र प्रकाशित किए जिनसे गणित के संसार में उनकी प्रतिभा को पहचान मिली.

श्रीनिवास रामानुजन (Shrinivas Ramanujan) बताते थे कि उन्हें सपनों में देवी आकर गणित के सूत्र बताती थीं. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
इंग्लैंड की ठंड
इग्लैंड में रामानुजम को गणित पर पूरा ध्यान देने की छूट थी. वे गणित में ऐसे डूब जाते थे कि उन्हें अपनी सेहत तक का ख्याल नहीं रहता था. रात को सोते में अचानक जाकर प्रमेय लिखने लगना उनके लिए भारत से ही नई बात नहीं थी. लेकिन इंग्लैड के ठंड वे सहन नहीं कर सके और उन्हें वहां टीबी की बीमारी हो गई.
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आखिरी समय भी नहीं छोड़ा गणित का साथ
इंग्लैंड में रामानुजन की तबियत इतनी ज्यादा खराब हो गई कि उन्हें इंग्लैंड छोड़ने का फैसला करना पड़ा. 1919 में भारत वापस आने के एक साल के अंदर ही 26 अप्रैल 1920 को उनका निधन हो गया. जनवरी 1920 में हार्डी को लिखे गए उनके आखिरी खत भी गणित के नए विचार और प्रमेय देते रहे थे. उनकी आखिरी नोटबुक जिसमें उनके अंतिम सालों की कई खोजें उल्लेखित थीं गुमगई थी जिसे गणितज्ञों ने बहुत बड़ा नुकसान माना था. बाद में यह नेटपबुक 1976 में मिली थी.

श्रीनिवास रामानुजन (Shrinivas Ramanujan) के जन्म दिन 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
रामानुजम का गणित प्रेम
रामानुजम को संख्याओं से बहुत लगाव था. संख्याओं का सिद्धांत यान थ्योरी ऑफ नबंर्स उनका प्रिय विषय था. उन्हें संख्याएं और उनकी बहुत सारी गणनाएं जबानी याद थीं. वे कई सवालों का हल जुबानी कर दिया करते थे. इसके अलावा रमानुजन की एक और विषय में दिलचस्पी थी वह थी श्रेणियां. पाई के मान की गणना के लिए दी गई सीरीज का आज भी उपयोग होता है. उनकी बहुत सी प्रमेय या फार्मूले बाद में ब्लैकहोल को समझने के लिए उपयोगी साबित हुए हैं.
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रामानुजम के निधन के बाद नेचर पत्रिका में प्रोफेसर हार्डी ने उनके सम्मान में लेख लिखा जिससे दुनिया को उन्हें जानने का मौका मिला. प्रोफेसर हार्डी ने अपने लेख में लिखा था कि उन्होंने इतना प्रतिभाशाली गणिज्ञ यूरोप में कहीं नहीं देखा. भारत में उनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है.undefined
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Tags: India, Mathematician, Research, Science
FIRST PUBLISHED : April 26, 2021, 06:33 IST