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Nagaur News: अजीबोगरीब प्रथाओं को मानता है राजस्थान का यह समाज, जानकर रह जाएंगे दंग

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अजीबोगरीब

अजीबोगरीब प्रथाओं को मानता है राजस्थान का यह समाज

र्तमान समय में कई ऐसे समाज हैं, जहां शिक्षा का उजियारा 21 वीं सदी में भी पहुंच पाया है. जिस कारण यह लोग आज भी अंधविश्वा ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट-कृष्ण कुमार
नागौर.वर्तमान समय में कई ऐसे समाज हैं, जहां शिक्षा का उजियारा 21 वीं सदी में भी पहुंच पाया है. जिस कारण यह लोग आज भी अंधविश्वास व कुरीतियों के सहारे जीवन जीते हैं. आज आपको एक ऐसे समाज के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें आज भी कई प्रकार की कुरीतियां फैली हुई हैं. राजस्थान का कालबेलिया समाज अपनी संस्कृति व वेशभूषा के कारण देशभर में अपनी अलग पहचान रखता है. यह समाज नृत्य कला में मशहूर है. अपनी अलग पहचान बनाने के बावजूद इस समाज में आज भी कुरीतियां मौजूद हैं. मसलन बाल विवाह, छेड़ा प्रथा, नाता प्रथा और मृत्यु भोज जैसी अनेकों कुरीतियां इनमें मौजूद हैं.

कालेबलिया सपेरा समाज की यह है खासियत

लूमनाथ सपेरा ने बताया कि कालबेलिया समुदाय अपने दान पुण्य के लिए प्रसिद्ध है. भूखों व असहायों को भोजन कपड़ा देना इस समाज की खासियत है. कालबेलिया समाज के व्यक्ति झुंड में रहते हैं, जिसे कबीला कहते हैं. कबीले के सभी सदस्य एक-दूसरे का बहुत मान सम्मान करते हैं. कबीले के मुखिया को सरदार कहा जाता है, जो इस पूरे समूह को एकता और अनुशासन में रखता है. ये लोग वन्य जीवों एवं प्रकृति को अपनी धरोहर मानते हुए पूजा करते हैं और उनकी रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. कबीले के रूप में संगठित रहने के कारण सभी सदस्य आपस में एक दूसरे का पूरा ख्याल रखते हैं और किसी भी तरह के विकार इनसे दूर रहते हैं. साथ ही ये लोग हर खुशी गम को मिलकर उत्साह पूर्वक मनाते हैं.

बहरूपिया समाज
वहीं लूमनाथ सपेरा ने बताया कि एक दूसरा समुदाय है बहरूपिया, जो बहिष्कृत लोगों का संगठन है. जो अपने मूल रूप में नहीं रहते अपितु भेष बदलकर लोगों का मनोरंजन करने से प्राप्त हुई भिक्षा, दक्षिणा से अपना जीवनयापन करते हैं. ये समुदाय किसी को अपना मुखिया नहीं मानता, समुदाय का प्रत्येक सदस्य अपने आपको श्रेष्ठ साबित करने के चक्कर में कई बार हंसी का पात्र बन जाता है. इस समुदाय के लोग आपस में ही एक दूसरे से वैवाहिक संबंध भी बना लेते हैं, जिसकी वजह से ही ये समाज से बहिष्कृत है. आज के दौर में भी इस समाज को शिक्षा का लाभ नहीं मिला है. जिस कारण इनमें बाल विवाह, छेङा प्रथा, नाता प्रथा व मृत्यु भोज आदि कुरीतियां विद्यमान हैं.

समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए होगा सम्मेलन

इस समाज में फैली इन कुरीतियों को कम करने और लोगों शिक्षा के प्रति प्रेरित करने के लिए यहां एक बहुत बड़े सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. लूमनाथ सपेरा ने बताया इस सम्मेलन का आयोजन ग्राम पंचायत बागोट तहसील परबतसर नागौर में होने जा रहा है. यह सम्मेलन 13 मार्च को आयोजित होगा.

Tags: Nagaur News, Rajasthan news

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