सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने कांग्रेस के मुसीबत के समय राजनीति में प्रवेश किया था. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की पत्नी और कांग्रेस की प्रमुख शीर्ष नेता सोनिया गांधी 9 दिसंबर को अपना 76वां जन्मदिन (Sonia Gandhi Birthday) मना रही है. सोनिया गांधी का जीवन एक दिलचस्प कहानी से कम नहीं है. वे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के बेटे राजीव से प्रेम कर उनकी पत्नी बन भारत आईं और उसके बाद तमाम पारिवारिक उतार चढ़ावों के बाद भी खुद को राजनीति से दूर रखा और फिर अंततः राजनीति में प्रवेश किया. शुरु में मुश्किल से ही हिंदी बोलने वाली सोनिया गांधी ने खुद को कांग्रेस का सबसे प्रभावशाली नेता के तौर पर स्थापित किया और उनका यह दर्जा अब भी कायम है.
इटली के एक गांव से कैम्ब्रिज
सोनिया माइनो का जन्म 9 दिसंबर1946 को स्टेफानो और पओला माइनो की पुत्री के रूप में इटली के लुसियाना में हुआ था. परंपरागत रोमन कैथोलिक क्रिश्चियन परिवार में सोनिया, नादिया और अनुषका की बहन हैं. वे फ्लाइट अटैंडेंट बनने के उद्दश्य से कैम्ब्रिज में आई थीं. कैम्ब्रिज में सोनिया गांधी की मुलाकात राजीव गांधी से हुई थी. वहीं दोनों में प्यार हुआ और दोनों ने भारत आकर शादी कर ली.
पहले पति का हुआ राजनीति में प्रवेश
शादी के बाद राजीव गांधी ने पायलट के रूप में अपना करियर चुना जबकि उनकी मां देश की प्रधानमंत्री थीं और उनके छोटे भाई संजय गांधी मां के साथ राजनीति में सक्रिय थे. लेकिन 1981 में संजय गांधी की मौत ने इंदिरा गांधी को दुखी कर दिया और उनके लिए राजीव गांधी राजनीति में आ गईं. सोनिया गांधी खुद भी नहीं चाहती थीं कि राजीव गांधी राजनीति में आएं लेकिन वे उन्हें रोक नहीं सकीं.
पति की मौत के छह साल बाद राजनीति में आगमन
इसके बाद 1984 में इंदिरा गांधी की मौत, राजीव गांधी का प्रधानमंत्री बनना और उसके सात साल बाद खुद राजीव गांधी की मौत ने सोनिया गांधी को भावनात्मक तौर पर राजनीति से और दूर कर दिया. लेकिन वे ज्यादा साल तक राजनीति से दूर ना रह सकीं और अपने परिवार की विरासत को बचाने के लिए 1997 में कांग्रेस में आईं और उसके एक साल बाद कांग्रेस की मुखिया बन गईं.
लगातार दस साल तक गठबंधन सरकार का नेतृत्व
सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस 2004 के चुनाव के बाद गठबंधन की सरकार बनाने में सफल हुई इसके बाद से उनका यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलाएंस (UPA) पर भी खासा दबदबा रहा और उनके नेतृत्व में साल 2009 में भी यूपीए ने एक बार फिर से सत्ता संभाली और गठबंधन ने लगातार दस सालों तक सत्ता में बने रहने में सफलता हासिल की.
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प्रधानमंत्री पद को ठुकराया
लेकिन सोनिया गांधी ने 2004 में देश के प्रधानमंत्री पद ठुकरा दिया था, लेकिन वे गठबंधन की नेता बनी रहीं और नेशनल एडवाइजरी काउंसिल की भी प्रमुख रही. अपने करियर में सोनिया गांधी कई परिषदों की प्रमुख रही हैं जिनमें सूचना का अधिकार, फूड सिक्यूरिट बिल, मनरेगा जैसी संस्थाओं की प्रमुख रहीं. 2004 में जब उन्हें प्रधानमंत्री पद का प्रस्ताव दिया गया तो उन्हें विदेशी मूल के नागरिक होने के कारण विरोध झेलना पड़ा.
लंबे समय तक कांग्रेस का नेतृत्व
यूपीए सरकार की दूसरी पारी के उत्तरार्ध में ही सोनिया की गांधी की सेहत के कारण राजनीति में उनकी सक्रियता कम होने लगी थी. इसके बाद 2017 में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. लेकिन अगस्त 2019 में फिर पार्टी का नेतृत्व संभाल लिया. आज कांग्रेस में उनके बेटे राहुल गांधी अपने परिवार की परंपरा को संभाल रहे हैं. हाल ही में कांग्रेस में चुनाव होने के बाद पार्टी को लंबे समय बाद गैर गांधी परिवार अध्यक्ष मिला है.
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लेकिन इन तमाम बातों के बावजूद सोनिया गांधी का पार्टी में दबदबा कम नहीं हुआ है. वे लंबे समय तक पार्टी की मुखिया रहीं और आज भी एक मुखिया की ही तरह मानी जाती हैं. इस बात को लेकर उन्हें समय समय पर आलोचना का शिकार होना पड़ता है कि उनकी पार्टी लेकतंत्र की जगह एक ही वंश से चलती है. और उनके नाम सबसे लंबे समय तक कांग्रेस अध्यक्ष बने रहने का रिकॉर्ड है. लेकिन वे अब भी दुनिया की सबसे प्रभावशाली या ताकतवर महिला मानी जाती हैं.
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