Explained: आखिर हिंदी के लिए क्यों लड़ रहे हैं साउथ कोरियाई यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स?

दक्षिण कोरिया में दो विश्वविद्यालय हिंदी भाषा और संस्कृति पढ़ा रहे थे
दक्षिण कोरिया में दो विश्वविद्यालय हिंदी (Hindi South Korean universities) भाषा और संस्कृति पढ़ा रहे थे. अब एकाएक उनमें से एक यूनिवर्सिटी ने हिंदी पाठ्यक्रम बंद करने का फैसला लिया, जिसपर हिंदी-प्रेमी स्टूडेंट्स भड़क उठे.
- News18Hindi
- Last Updated: January 15, 2021, 10:42 AM IST
दक्षिण कोरिया साल की शुरुआत में ही तमाम अच्छे-बुरे कारणों से चर्चा में है. सबसे पहले तो ये खबर आई कि पहली बार इस देश में जन्मदर से ज्यादा मौतें हुई हैं, जो कि वाकई में चिंता की बात है. अब आई खबर सीधे भारत से जुड़ी है. असल में यहां की बुसान यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज (BUFS) जो पिछले 37 सालों से हिंदी पढ़ा रही हैं, वहां हिंदी की पढ़ाई बंद हो सकती है. अब यूनिवर्सिटी के इस फरमान के विरोध में हिंदी-प्रेमी दक्षिण कोरियाई स्टूडेंट्स उतर आए हैं.
बंद हो रहा हिंदी पर कोर्स
बुसान यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज की योजना ये है कि भारतीय भाषा, संस्कृति और भारतीय व्यावसायिक अध्ययन में से सिर्फ भारतीय व्यावसायिक अध्ययन को ही आगे ज़ारी रखा जाए. इसके अलावा भारतीय भाषा, संस्कृति के कोर्स बंद कर दिए जाएं.
क्यों सीखने की जरूरत नहीं?इसके पीछे विश्वविद्यालय का तर्क ये है कि कोरियन छात्रों को भारतीय अर्थव्यवस्था, इतिहास और दूसरी चीजों के बारे में सीखना चाहिए. हिंदी सीखने की जरूरत इसलिए नहीं है क्योंकि भारत में रहने, काम करने के दौरान तो अंग्रेजी से भी काम चल जाता है.

ऐसे शुरू हुई हिंदी भाषा
हिंदी को लेकर कोरियाई स्टूडेंट्स का विरोध समझने से पहले एक बार यूनिवर्सिटी के बारे में जान लेते हैं. साल 1983 में बुसान यूनिवर्सिटी में हिंदी विभाग की शुरुआत हुई. इससे लगभग दस साल पहले सिओल में हेंकुक यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज में लैंग्वेज प्रोग्राम शुरू हो चुका था. यही दो संस्थान हैं, जो दक्षिण कोरिया में हिंदी पढ़ाते हैं. साथ ही भारतीय संस्कृति का भी ज्ञान मिलता है. ये सब इसलिए है ताकि भारत से जुड़ाव रखने वाले लोग इसके बारे में जान सकें और खासकर अगर युवा अपने बिजनेस के तार भारत से जोड़ना चाहें तो भाषा उनकी मदद कर सके.
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दोनों देशों के बीच संबंध हुए बेहतर
यहां ये समझना जरूरी है कि भारत और दक्षिण कोरिया में व्यावसायिक संबंध लगातार बेहतर हो रहे हैं. साल 2019 में ही दोनों देशों के बीच संबंध सैन्य स्तर पर भी मजबूत हुए और दोनों ने विशेष रणनीतिक साझेदारी (Special Strategic Partnership) की. इसके तहत जरूरत के समय दोनों ही देश एक-दूसरे के नौसैनिक अड्डों का इस्तेमाल रसद पहुंचाने या ईंधन के लिए कर सकेंगे. ये समझौता तब हुआ है जब चीन को लेकर कोरिया में खटास आई है.

भारत में कितने दक्षिण कोरियाई?
चीन के विकल्प के तौर पर दक्षिण कोरिया भारत को देख रहा है, फिर चाहे वो व्यापार के लिहाज से हो, या फिर सैन्य साझेदारी. यही कारण है कि बढ़ते हुए बाजार भारत की ओर दक्षिण कोरिया का रुझान तेजी से बढ़ा. देश में कितने कोरियाई रह रहे हैं, इसपर ताजा डाटा नहीं मिलता है लेकिन इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद और चैन्नई में आईटी कंपनियों में काफी सारे दक्षिण कोरियाई काम कर रहे हैं.
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इन वजहों से हिंदी सीखना चाहते हैं
आमतौर पर ये ऑन-साइट होते हैं और कुछ सालों बाद देश लौट जाते हैं. हालांकि इस बीच बहुत से लोग भारत के ज्यादा करीब आ जाते हैं. वे महसूस करने लगे हैं कि उन्हें सहकर्मियों और स्थानीय लोगों से मेलजोल बढ़ाने के लिए अंग्रेजी आना ही काफी नहीं, बल्कि हिंदी की भी जानकारी होनी चाहिए. यही कारण है वहां पर लगातार हिंदी को लेकर सीखने की इच्छा बढ़ी.
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कोरिया में भारतीय
दक्षिण कोरिया में भी भारतीय नौकरी या व्यापार के लिए आ-जा रहे हैं. इंटरनेशनल माइग्रेशन रिपोर्ट (International Migration Report) के अनुसार 70 के दशक ये ट्रेंड बढ़ा वरना पहले कोरियाई देशों को लेकर भारत में उतना उत्साह नहीं था. अब वहां लगभग 7,006 भारतीय हैं, जो आईटी कंपनियों में शीर्ष पदों पर हैं. भारतीयों ने यहां अपनी कम्युनिटी भी बना रखी हैं. इनमें IndiansInKorea काफी लोकप्रिय हैं, जिससे 5000 भारतीय जुड़े हुए हैं. अब भारतीयों की आवाजाही बढ़ने के साथ दक्षिण कोरिया में बॉलीवुड फिल्मों को लेकर भी रुझान बढ़ा. ये भी उनके लिए हिंदी सीखने की एक प्रेरणा बनने लगी.

भारत में क्या है दक्षिण कोरियाई भाषा के हालात
कोरिया में हिंदी सिखाने के लिए दो नामी यूनिवर्सिटीज ने अलग विभाग शुरू किया तो भारत में भी दक्षिण कोरियाई भाषा सीखने की जरूरत बढ़ी. यहां जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय में दक्षिण कोरियाई भाषा और संस्कृति सिखाई जाती है. इसके अलावा कुछ ही महीने पहले सरकार ने देश में माध्यमिक स्कूल स्तर पर पढ़ाई जाने वाली विदेशी भाषाओं में कोरियाई भाषा की पेशकश की थी. फिलहाल इसपर फैसला बाकी है.
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अब बुसान यूनिवर्सिटी ने एकाएक हिंदी भाषा सिखाना बंद करने की बात की है, जिससे दक्षिण कोरियाई स्टूडेंट्स में गुस्सा है. वे न केवल भारत को बड़े बाजार की तरह देख रहे हैं, बल्कि उसकी भाषा और संस्कृति को भी करीब से समझना चाहते हैं. यही कारण है कि इसके खिलाफ वहां वर्चुअल प्रदर्शन चलने लगे हैं. यहां तक कि प्रदर्शनकारी छात्रों ने दक्षिण कोरिया में भारत के दूतावास और हस्तक्षेप के लिए सियोल में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) की शाखा में अपनी शिकायतें दर्ज कराईं.
बंद हो रहा हिंदी पर कोर्स
बुसान यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज की योजना ये है कि भारतीय भाषा, संस्कृति और भारतीय व्यावसायिक अध्ययन में से सिर्फ भारतीय व्यावसायिक अध्ययन को ही आगे ज़ारी रखा जाए. इसके अलावा भारतीय भाषा, संस्कृति के कोर्स बंद कर दिए जाएं.
क्यों सीखने की जरूरत नहीं?इसके पीछे विश्वविद्यालय का तर्क ये है कि कोरियन छात्रों को भारतीय अर्थव्यवस्था, इतिहास और दूसरी चीजों के बारे में सीखना चाहिए. हिंदी सीखने की जरूरत इसलिए नहीं है क्योंकि भारत में रहने, काम करने के दौरान तो अंग्रेजी से भी काम चल जाता है.

बुसान यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज
ऐसे शुरू हुई हिंदी भाषा
हिंदी को लेकर कोरियाई स्टूडेंट्स का विरोध समझने से पहले एक बार यूनिवर्सिटी के बारे में जान लेते हैं. साल 1983 में बुसान यूनिवर्सिटी में हिंदी विभाग की शुरुआत हुई. इससे लगभग दस साल पहले सिओल में हेंकुक यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज में लैंग्वेज प्रोग्राम शुरू हो चुका था. यही दो संस्थान हैं, जो दक्षिण कोरिया में हिंदी पढ़ाते हैं. साथ ही भारतीय संस्कृति का भी ज्ञान मिलता है. ये सब इसलिए है ताकि भारत से जुड़ाव रखने वाले लोग इसके बारे में जान सकें और खासकर अगर युवा अपने बिजनेस के तार भारत से जोड़ना चाहें तो भाषा उनकी मदद कर सके.
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दोनों देशों के बीच संबंध हुए बेहतर
यहां ये समझना जरूरी है कि भारत और दक्षिण कोरिया में व्यावसायिक संबंध लगातार बेहतर हो रहे हैं. साल 2019 में ही दोनों देशों के बीच संबंध सैन्य स्तर पर भी मजबूत हुए और दोनों ने विशेष रणनीतिक साझेदारी (Special Strategic Partnership) की. इसके तहत जरूरत के समय दोनों ही देश एक-दूसरे के नौसैनिक अड्डों का इस्तेमाल रसद पहुंचाने या ईंधन के लिए कर सकेंगे. ये समझौता तब हुआ है जब चीन को लेकर कोरिया में खटास आई है.

भारत और दक्षिण कोरिया में व्यावसायिक संबंध लगातार बेहतर हो रहे हैं- सांकेतिक फोटो
भारत में कितने दक्षिण कोरियाई?
चीन के विकल्प के तौर पर दक्षिण कोरिया भारत को देख रहा है, फिर चाहे वो व्यापार के लिहाज से हो, या फिर सैन्य साझेदारी. यही कारण है कि बढ़ते हुए बाजार भारत की ओर दक्षिण कोरिया का रुझान तेजी से बढ़ा. देश में कितने कोरियाई रह रहे हैं, इसपर ताजा डाटा नहीं मिलता है लेकिन इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद और चैन्नई में आईटी कंपनियों में काफी सारे दक्षिण कोरियाई काम कर रहे हैं.
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इन वजहों से हिंदी सीखना चाहते हैं
आमतौर पर ये ऑन-साइट होते हैं और कुछ सालों बाद देश लौट जाते हैं. हालांकि इस बीच बहुत से लोग भारत के ज्यादा करीब आ जाते हैं. वे महसूस करने लगे हैं कि उन्हें सहकर्मियों और स्थानीय लोगों से मेलजोल बढ़ाने के लिए अंग्रेजी आना ही काफी नहीं, बल्कि हिंदी की भी जानकारी होनी चाहिए. यही कारण है वहां पर लगातार हिंदी को लेकर सीखने की इच्छा बढ़ी.
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कोरिया में भारतीय
दक्षिण कोरिया में भी भारतीय नौकरी या व्यापार के लिए आ-जा रहे हैं. इंटरनेशनल माइग्रेशन रिपोर्ट (International Migration Report) के अनुसार 70 के दशक ये ट्रेंड बढ़ा वरना पहले कोरियाई देशों को लेकर भारत में उतना उत्साह नहीं था. अब वहां लगभग 7,006 भारतीय हैं, जो आईटी कंपनियों में शीर्ष पदों पर हैं. भारतीयों ने यहां अपनी कम्युनिटी भी बना रखी हैं. इनमें IndiansInKorea काफी लोकप्रिय हैं, जिससे 5000 भारतीय जुड़े हुए हैं. अब भारतीयों की आवाजाही बढ़ने के साथ दक्षिण कोरिया में बॉलीवुड फिल्मों को लेकर भी रुझान बढ़ा. ये भी उनके लिए हिंदी सीखने की एक प्रेरणा बनने लगी.

भारतीयों की आवाजाही बढ़ने के साथ दक्षिण कोरिया में बॉलीवुड फिल्मों को लेकर भी रुझान बढ़ा- सांकेतिक फोटो
भारत में क्या है दक्षिण कोरियाई भाषा के हालात
कोरिया में हिंदी सिखाने के लिए दो नामी यूनिवर्सिटीज ने अलग विभाग शुरू किया तो भारत में भी दक्षिण कोरियाई भाषा सीखने की जरूरत बढ़ी. यहां जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय में दक्षिण कोरियाई भाषा और संस्कृति सिखाई जाती है. इसके अलावा कुछ ही महीने पहले सरकार ने देश में माध्यमिक स्कूल स्तर पर पढ़ाई जाने वाली विदेशी भाषाओं में कोरियाई भाषा की पेशकश की थी. फिलहाल इसपर फैसला बाकी है.
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अब बुसान यूनिवर्सिटी ने एकाएक हिंदी भाषा सिखाना बंद करने की बात की है, जिससे दक्षिण कोरियाई स्टूडेंट्स में गुस्सा है. वे न केवल भारत को बड़े बाजार की तरह देख रहे हैं, बल्कि उसकी भाषा और संस्कृति को भी करीब से समझना चाहते हैं. यही कारण है कि इसके खिलाफ वहां वर्चुअल प्रदर्शन चलने लगे हैं. यहां तक कि प्रदर्शनकारी छात्रों ने दक्षिण कोरिया में भारत के दूतावास और हस्तक्षेप के लिए सियोल में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) की शाखा में अपनी शिकायतें दर्ज कराईं.