लंबे अंतरिक्ष अभियानों (Space Missions) में तैयारी में अंतरिक्ष (Astronauts) यात्रियों की सेहत एक बहुत बड़ी चुनौतियों में एक है. लेकिन छोटी यात्राओं में अभी अंतरिक्ष यात्रियों को कम समस्याएं नहीं होती हैं. अब जबकि सामान्य नागरिक भी अंतरिक्ष पर्यटन के जरिए अंतरिक्ष में जाने लगेंगे तो अंतरिक्ष में सेहत एक नई चुनौतियों का सामना करेगा यह एक निश्चित बात है. वैज्ञानकों को अंतरिक्ष यात्रा में अब सेहत संबंधी एक बड़ी समस्या का समाधान सुलझाना होगा. अंतरिक्ष में जाने से यात्रियों के खून में लाल रक्त कोशिकाएं (Red Blood Cells) कम होने लगती हैं. ऐसे में एनीमिया जैसी चुनौती एक बड़ी जरूरत होने वाली है.
लाल रक्त कोशिकाएं बनाए रखना
सेहत से जुड़ी कई समस्याएं अंतरिक्ष यात्राओं के लिए चुनौती पहले से तो थी हीं. अब नए शोध के मुताबिक लंबी यात्राओं के लिए एस्ट्रोनॉट्स में लाल रक्त कोशिकाओं का पर्याप्त मात्रा में बनाए रखना भी एक समस्या ऐसी होगी जिसे हल करना बहुत जरूरी होगा. यहां तक कि अंतरिक्ष पर्यटकों को भी अपने घर में ही रहना पड़ सकता है यदि उनमें एनीमिया का जोखिम हो या फिर लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो.
अस्थायी समस्या मानी जाती थी ये
उल्लेखनीय है कि स्पेस एनीमिया कोई नई बात नहीं है. लेकिन अब तक माना जाता था कि यह एक अस्थायी समस्या है. नासा के अध्ययन में कहा गया था कि यह समस्या 15 दिनों में ठीक हो जाती है. अंतरिक्ष यात्रा के दौरन लाल रक्त कोशिकाओं का खत्म होना, भारहीनता के कारण अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर में जमा हुए तरल पदार्थ की जगह बदलने से और गुरुत्व में लौटने से फिर बदलने से होती है.
अंतरिक्ष खत्म होने लगती हैं ये कोशिकाएं
ओटावा युनिवर्सटी के गाय ट्रूडेल, जिन्होंने कनाडा स्पेस एजेंस के 14 अंतरिक्ष यात्रियों का अध्ययन किया है, का कहना है कि वास्तव में एनीमीया अंतरिक्ष में जाने का मूल प्रभाव है. जब तक आप अंतरिक्ष में हैं आप ज्यादा रक्त कोशिकाएं खत्म कर रहे होते हैं और फिर लौटने पर बना रहे होते हैं.
हम नहीं जानते थे
सामान्यतया एक मानव शरीर एक सेकेंड में 20 लाख लाल रक्त कोशिकाएं मारता और उनकी जगह दूसरी स्थापित करता है. ट्रूडेल की टीम ने पाया है कि छह महीने के अभियानों मं अंतरिक्ष यात्रियों का शरीर 30 लाक लाल रक्त कोशिकाएं प्रति सेंकड मार सकता है. ट्रूडेल का कहना है कि हमें लगा था कि हम अंतरिक्ष ऐनिमिया के बारे में जानते हैं. लेकिन हम नहीं जानते थे.
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क्या होता है अंतरिक्ष में
दरअसल अंतरिक्ष यात्री पहले खत्म होने वाली लाल रक्त कोशिकाओं की जगह लेने के लिए अतिरिक्त कोशिकाएं बना लेते थे. लेकिन ट्रूडल ने सवाल उठाया है कि ऐसा कब तक मानव शरीर 50 प्रतिशत ज्यादा लाल रक्त कोशिकाएं पैदा करता रहेगा. ऐसे में यात्रा का समय और मानव शरीर की क्षमता दोनों ही इसे प्रभाविक कर सकती है.
एक समस्या बन सकती है ये बात
ट्रूडो का मानना है कि मंगल की दो साल की यात्रा में यह एक समस्या बन सकती है. उन्होंने कहा कि अगर आप मंगल पर जा रहे हैं तो आप ऐसा नहीं रख पाएंगे क्योंकि इसके लिए सभी अतिरिक्त लाल रक्त कोशिकाएं बनानी होंगी और आप ऐसे में गंभीर समस्या में फंस सकते हैं.
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अंतरिक्ष में नहीं गुरुत्व में आने पर होगी समस्या
अंतरिक्ष में कम लाल रक्त कोशिकाएं होना समस्या नहीं हैं क्योंकि वहां आपका शरीर भारहीन होता है. लेकिन धरती पर उतरने के बाद या इस तरह के दूसरे ग्रह पर उतरने के बाद परेशानी हो सकती है. ऐसे में एनीमिया की स्थिति यात्रियों की ऊर्जा, सहनशीलता और क्षमता को प्रभावित कर सकती है. नेचर मेडिसिन प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है कि अंतरिक्ष से लौटेने के एक साल बाद भी एस्ट्रोनॉट की लाल रक्त कोशिकाओं में कमी खत्म नहीं हुई है
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