श्रीनिवास रामानुजन (Srinivasa Ramanujan) के दिए कई सूत्र और प्रमेय आज भी पहेली बने हुए है. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन (Srinivasa Ramanujan) के पूर्व का सबसे बड़ा गणितज्ञ (Mathematician) माना जाता है. उन्हें पश्चिम के गॉस, जकोबी या आयलर जैसे गणितज्ञों के समतुल्य माना जाता है. लेकिन रामानुजन का गणित के संसार पर जो प्रभाव है वह बहुत ही अलग तरह का है. अपने छोटे जीवन में उन्होंने जो गणितीय विचारों की ऐसी संपदा छोड़ गए हैं जो उनके जाने के एक सदी बाद भी गणितज्ञों को प्रेरित करती रहती है और 21वीं सदी की गणित को भी आकार देने का काम कर रही है. 26 अप्रैल को देश उनकी 102 वीं पुण्यतिथि (Srinivasa Ramanujan Death Anniversary) मना रहा है.
कम उम्र में ही मौत
दुनिया को रामानुजन की गणितीय प्रज्ञा का सही तरह से जानकारी उनकी मौत के बाद ही हुई. 32 साल की कम उम्र में ही रामानुजन (1887-1920) में उन्होंने गणित के लिए ऐसा योगदान दिया जो कुछ ही लोग अपने सामान्य लंबे जीवनकाल में कर पाते हैं. रामानुजन का जन्म तमिलनाडु के इरोड में 22 दिसंबर 1887 को तमिल ब्राह्मण्ड अयंगर परिवार में हुआ था.
देर से पहचाने गए प्रतिभाशाली रामानुजन
रामानुजन का गणितीय रुझान बचपन से ही दिखाई देता था, लेकिन वे परमपरागत शिक्षा व्यवस्था और अन्य विषयों से तालमेल नहीं बिठा सके थे. फिर भी गणित में उनकी प्रतिभा निखरती ही गई थी. उनकी प्रखर गणीतीय बुद्धि बहुत ही असामान्य थी. 1911 में उन्होंने पहला शोधपत्र प्रकाशित किया था. पश्चिमी गणितज्ञों को भी उनकी प्रतिभा पहचानने समय लगा और 1918 में उन्हें रॉयल सोसाइटी फैलोशिप दी जा सकी.
संख्या सिद्धांत पर ज्यादा काम
रामानुजन का सबसे बड़ा योगदान संख्याओं और संख्या सिद्धांत में रहा है. इसी वजह से उन्हें संख्याओं का जादूगर भी कहा जाता है. यहां तक कि उनके निधन के बाद उनकी पांच हजार से अधिक प्रमेय छपी थीं जिनमें से कई प्रमेयों को सुलझने में दशकों का समय लग गया तो कई सुलझाई ही नहीं जा सकीं.
टैक्सी की अजीब संख्या
रामानुजम की संख्या विशेषज्ञता के बारे में एक किस्सा सबसे मशहूर है जिसे हार्डी रामानुजन संख्या के नाम से जाना जाता है. यह संख्या है 1729. हार्डी ने इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा है कि एक बार वे बीमार रामानुजन को अस्पताल में देखने गए. तब उन्होंने रामानुजन को बताया कि उन्हें टैक्सी का नंबर बहुत ही अरुचिकर लगा. जब रामानुजन ने हार्डी से वह संख्या पूछी तब हार्डी ने बताया कि वह संख्या 1729 थी.
यह भी पढ़ें: कितना खास था अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग
रामानुजन संख्याएं
इस पर रामानुजन ने जवाब दिया कि वास्तव में यह एक बहुत रोचक संख्या है क्योंकि यह वह सबसे छोटी संख्या है जिसे दो घनों के योग में दो तरह से व्यक्त किया जा सकता है. यह 1 और 12 के घनों का भी योग है और 9 और 10 के घनों का भी योग है. इसके बाद से इस तरह की संख्याओं को रामानुजन संख्या के रूप में जाना जाता है. इसी प्रकार
23 + 163 = 93 + 153 = 4104
103 + 273 = 193 + 243 = 20683
23+ 343 = 153 + 333= 30312
9 + 34 = 15 + 33= 40033
भी रामानुजन संख्याएं हैं.
पाई और e का संबंध
रामानुजन का संख्याओं की श्रेणियों या सीरीज और सतत भिन्न (Continued fraction) में सबसे ज्यादा योगदान है. उन्होंने अचर राशि वाली पाई संख्या के मान निकालने वाले ऐसे एक से अधिक सूत्र दिए जिनसे पाई का दशमलव के कई स्थानोंतक निकल सका. उनके ये सूत्र आज भी बहुत उपयोगी माने जाते हैं. एक सूत्र उनका बहुत प्रसिद्ध है जो एक शृंखला है जिसमें e और पाई के बीच संबंध दर्शाया गया है.
यह भी पढ़ें: Charles Darwin Death Anniversary: वैज्ञानिक जिसने बदल कर रख दी पूरी दुनिया
जहां रामानुजन ने हार्डी के साथ मिलकर कई गणीतीय समस्याओं को सुलझाया तो कई दूसरे गणितज्ञों ने बाद में रामानुजन के सूत्रों की मदद से कुछ समस्याओं का हल निकालने में भी सफलता पाई. रामानुजन और हार्डी के पार्टीशियन ऑफ नबंर्स पर किए गए काम को ब्लैक होल के लिए उपयोगी माना जाता है. इसके अलावा रामानुजन केसूत्र सिग्नल प्रोसेसिंग में भी उपयोगी मानी जाते हैं.
.
Tags: India, Mathematician, Research, Science