गाय के भविष्य को लेकर इस देश में होने वाला है एक अहम फैसला

स्विट्जरलैंड में गायों के भविष्य को लेकर एक खास फैसला होने वाला है (रायटर)
स्विट्जरलैंड में गाय राष्ट्रीय प्रतीक भी है लेकिन वहां की गायों को एक दर्दभरी प्रक्रिया से गुजरना होता है
- News18Hindi
- Last Updated: November 23, 2018, 5:56 PM IST
स्विट्जरलैंड में गायों के भविष्य को लेकर रविवार को एक बड़ा फैसला होने वाला है. यह फैसला वोटों के जरिए होगा. दरअसल ये फैसला गाय और बकरियों के सींगों को लेकर होने वाला है.
ये मुद्दा इतना बड़ा हो गया है कि पूरा देश इस पर बंटा हुआ है. स्विट्जरलैंड में एक किसान हैं अर्माइन कपोल. 66 साल का यह किसान चाहता है कि गाय को भी सम्मान से जीने का हक है. वह नौ साल से ये अभियान चला रहे हैं कि गायों को उनकी प्राकृतिक सींगों के साथ रहने दिया जाए. अब उन्हें उम्मीद है कि गायों को ये अधिकार मिल सकेगा.
उनका कहना है कि सींगें गायों के लिए उनका गर्व भी होती हैं. जब आप उनकी ओर देखते हैं तो सिर ऊपर उठाकर वो अपने गर्व का अहसास दिलाती हैं लेकिन जब आप उनकी सींगों को निकाल देते हैं तो वो उदास हो जाती हैं.
अंडमान के खतरनाक आदिवासियों से कई बार मिल चुका है यह शख्सस्विस गायों की सींग निकाल दी जाती है
स्विट्जरलैंड में स्विस गाएं पिछले 75 सालों से राष्ट्रीय प्रतीक हैं और पर्यटकों का आकर्षण भी रहती हैं लेकिन उन सभी की सींग निकाल दी जाती है या वो जेनेटिक तौर पर सींग विहीन होती हैं.
कापोल का कहना है कि सींगें गायों के आपसी बातचीत में भी मदद करती हैं और उनके बॉडी के तापमान को रेगुलेट करती हैं. कापोल इसके लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चला रहे हैं. एक लाख से ज्यादा लोगों से साइन करा चुके हैं.

गर्म लोहे की राड से अलग की जाती है सींग
स्विटजरलैंड में लाल गर्म लोहे के जरिए बछड़े की सींगे जला दी जाती हैं. आलोचकों का कहना है कि ये बहुत दर्दभरी प्रक्रिया है और साथ अप्राकृतिक भी.
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कापोल अपने इस अभियान के चलते स्विट्जरलैंड के घर-घर में फेमस हो चुके हैं. लेकिन सरकार उनके अभियान का विरोध कर रही है. क्योंकि कापोल गायों को सींग के साथ सब्सिडी देने की मांग कर रहे हैं. इससे सरकार पर 30 मिलियन फ्रांक का बोझ पड़ेगा.

जनमत करेगा फैसला
रविवार को स्विट्जरलैंड में इसी बात पर जनमत संग्रह होगा कि उनके देश में गायों की सींग प्राकृतिक तौर पर बढ़ने देनी चाहिए या फिर मौजूदा प्रक्रिया की तरह निकाल देनी चाहिए.
एक डेयरी मालिक स्टीफन गिलगेन का कहना है कि अगर गायों के सींग होगी तो दूसरे जानवरों को चोट पहुंचा सकती हैं और मनुष्यों को भी चोट का खतरा रहेगा. उनके पास 48 गायें हैं और वो रोज 1000 लीटर दूध देती हैं.
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ये मुद्दा इतना बड़ा हो गया है कि पूरा देश इस पर बंटा हुआ है. स्विट्जरलैंड में एक किसान हैं अर्माइन कपोल. 66 साल का यह किसान चाहता है कि गाय को भी सम्मान से जीने का हक है. वह नौ साल से ये अभियान चला रहे हैं कि गायों को उनकी प्राकृतिक सींगों के साथ रहने दिया जाए. अब उन्हें उम्मीद है कि गायों को ये अधिकार मिल सकेगा.
उनका कहना है कि सींगें गायों के लिए उनका गर्व भी होती हैं. जब आप उनकी ओर देखते हैं तो सिर ऊपर उठाकर वो अपने गर्व का अहसास दिलाती हैं लेकिन जब आप उनकी सींगों को निकाल देते हैं तो वो उदास हो जाती हैं.
अंडमान के खतरनाक आदिवासियों से कई बार मिल चुका है यह शख्सस्विस गायों की सींग निकाल दी जाती है
स्विट्जरलैंड में स्विस गाएं पिछले 75 सालों से राष्ट्रीय प्रतीक हैं और पर्यटकों का आकर्षण भी रहती हैं लेकिन उन सभी की सींग निकाल दी जाती है या वो जेनेटिक तौर पर सींग विहीन होती हैं.
कापोल का कहना है कि सींगें गायों के आपसी बातचीत में भी मदद करती हैं और उनके बॉडी के तापमान को रेगुलेट करती हैं. कापोल इसके लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चला रहे हैं. एक लाख से ज्यादा लोगों से साइन करा चुके हैं.

स्विट्जरलैंड में गायें राष्ट्रीय प्रतीक तो हैं लेकिन उनकी सींग निकाल दी जाती है
गर्म लोहे की राड से अलग की जाती है सींग
स्विटजरलैंड में लाल गर्म लोहे के जरिए बछड़े की सींगे जला दी जाती हैं. आलोचकों का कहना है कि ये बहुत दर्दभरी प्रक्रिया है और साथ अप्राकृतिक भी.
जानिए किस तरह केला खाना डायबिटीज में है उपयोगी
कापोल अपने इस अभियान के चलते स्विट्जरलैंड के घर-घर में फेमस हो चुके हैं. लेकिन सरकार उनके अभियान का विरोध कर रही है. क्योंकि कापोल गायों को सींग के साथ सब्सिडी देने की मांग कर रहे हैं. इससे सरकार पर 30 मिलियन फ्रांक का बोझ पड़ेगा.

जनमत यही फैसला करेगा कि गायों की सींग प्राकृतिक तौर पर बढने दी जाए या नहीं
जनमत करेगा फैसला
रविवार को स्विट्जरलैंड में इसी बात पर जनमत संग्रह होगा कि उनके देश में गायों की सींग प्राकृतिक तौर पर बढ़ने देनी चाहिए या फिर मौजूदा प्रक्रिया की तरह निकाल देनी चाहिए.
एक डेयरी मालिक स्टीफन गिलगेन का कहना है कि अगर गायों के सींग होगी तो दूसरे जानवरों को चोट पहुंचा सकती हैं और मनुष्यों को भी चोट का खतरा रहेगा. उनके पास 48 गायें हैं और वो रोज 1000 लीटर दूध देती हैं.
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