चीन के आक्रामक रवैये के खिलाफ भारत न केवल सेना के जरिए, बल्कि डिजिटल स्ट्राइल भी कर रहा है. सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बुधवार को मोबाइल गेम पबजी समेत 118 मोबाइल एप्लीकेशन पर प्रतिबंध लगा दिया. इसके पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला दिया गया है. इधर भड़का हुआ चीन इसके पीछे अजब तर्क दे रहा है. उसका कहना है कि अगर रवींद्रनाथ टैगोर चीन में लोकप्रिय हो सकते हैं तो चीन का पबजी भारत में क्यों नहीं चल सकता! इस बीच जानिए, टैगोर की चीन में कितनी लोकप्रियता है.
चीन के विदेश मंत्रालय के मुताबिक नोबेल पुरस्कार विजेता भारतीय कवि टैगोर चीन में काफी पसंद दिए जाते हैं. युवा और हर उम्र के लोग उनकी कविताएं पढ़ते हैं. इसकी शुरुआत साल 1913 के बाद से हुई. ये वही वक्त था जब गुरु रवींद्रनाथ टैगोर पहले नॉन-यूरोपियन बने, जिसे साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला. इसके तुरंत बाद ही उनकी कविताओं के संग्रह गीतांजलि की चीन में पहुंच बनी.
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तब चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की नींव बन रही थी. उसी दौर के पार्टी फाउंडर्स में से एक Chen Duxiu ने गीतांजलि की 4 कविताएं एक चीनी जर्नल Xin Qing Nian में प्रकाशित कराईं. ये चीनी में अनुवादित थीं. साल 1915 में इन कविताओं के आने के बाद से टैगोर का लगातार अनुवाद होने लगा और वे चीन में जगह बनाने लगे.

नोबेल पुरस्कार विजेता भारतीय कवि टैगोर चीन में काफी पसंद दिए जाते हैं
टैगोर की गीतांजलि को शुरुआत में प्रेम की कविताएं समझा गया. तब केवल युवाओं में इसकी लोकप्रियता थी लेकिन धीरे-धीरे समझा जा सका कि ये आध्यात्मिक मतलब भी रखती हैं. इसके बाद इसकी चर्चा बढ़ी और ज्यादा से ज्यादा कविताएं चीनी भाषा में अनुवाद की जाने लगीं.
टैगोर की लोकप्रियता उनके चीन दौरे के बाद से और बढ़ी. बता दें कि वे साल 1924 और 1929 में चीन गए थे. साहित्यकारों से मुलाकात के लिए हुए इस दौरे में उन्होंने दुभाषिये के जरिए आम लोगों से भी मुलाकात की थी. खुद चीन का बौद्धिक वर्ग टैगोर के दौरे को "earth-shaking event" की तरह मानता है. यहां तक कि टैगोर ने खुद को चीन से जोड़ते हुए कहा था कि चीन की धरती पर कदम रखते ही ऐसा लग रहा है जैसे मैं अपने ही देश में हूं.
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वे पहले दौरे में चीन में पूरे 6 महीने रहे. इसी दौरान उनकी कविताएं चीन की स्थानीय भाषाओं में फैलने लगी थीं. तब टैगोर का 63वां जन्मदिन शंघाई में मना और इसी दौरान चीन के साहित्यकारों और राजनेताओं के बीच उन्हें चीनी नाम Zhu Zhendan भी दिया गया. भारत लौटने के बाद भी टैगोर का चीन से जुड़ाव बना रहा.

टैगोर को चीन में सबसे ज्यादा न्यू कल्चर मूवमेंट में योगदान के लिए याद किया जाता है- सांकेतिक फोटो (Photo-pixabay)
हालांकि टैगोर को चीन में सबसे ज्यादा न्यू कल्चर मूवमेंट में योगदान के लिए याद किया जाता है. साल 1910 से शुरू हुए इस आंदोलन के तहत चीन में कई तरह के पश्चिमी विचारों जैसे विज्ञान और लोकतंत्र को महत्व दिया गया. कई सारे बौद्धिक लोगों के अलावा इसमें टैगोर का भी योगदान माना जाता है. खासकर टैगोर ने चीन में पुरुषवादी समाज की बजाए महिलाओं को आगे लाने पर जोर दिया. चीन में इस दौर को परंपरा और आधुनिकता के मेल की तरह देखा जाता है.
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अब अगर टैगोर की लोकप्रियता को देखा जाए तो चीन में दशकभर पहले हुआ सर्वे इसे बताता है. वहां की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने साल 2009 में एक सर्वे कराया. इसके तहत ये जांचा गया कि किन विदेशी लोगों का चीन में बड़ा असर है. इसमें पाया गया कि टैगोर 60 सबसे प्रभावशाली विदेशियों की लिस्ट में 11 नंबर पर हैं. स्थानीय लोगों की राय पर आधारित इस सर्वे के मुताबिक चीन की आम जनता मानती है कि उस दौर में टैगोर के आने का काफी असर पड़ा और चीन में अभी जो विकास दिख रहा है, उसमें उनका भी योगदान है.

केंद्र ने पबजी समेत 118 चीनी मोबाइल एप्लीकेशन पर प्रतिबंध (Chinese Apps Banned) लगा दिया है (Photo-mepixels)
वैसे बंगाली से अंग्रेजी और फिर मंदारिन में अनुवाद को लेकर कई बार चीन में विवाद भी होता रहा है. कई चीनी प्रकाशकों ने आरोप लगाया था कि साहित्यकार टैगोर की रचनाओं को अपने मुताबिक तोड़-मरोड़कर पेश कर देते हैं और इसके ऑरिजिकल और अनुवाद में फर्क हो जाता है.
अब अगर हालिया बैन की बात करें तो केंद्र सरकार ने पबजी समेत 118 चीनी मोबाइल एप्लीकेशन पर प्रतिबंध (Chinese Apps Banned) लगा दिया है. इससे पहले भी सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने टिकटॉक (TikTok), हेलो, वीचैट, यूसी न्यूज समेत चीन के 59 ऐप पर रोक लगा दी थी. मंत्रालय ने बुधवार को पबजी (PubG) समेत 118 चीनी ऐप्स पर बैन लगाते हुए कहा कि संप्रभु शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा-69A के तहत पर प्रतिबंध लगाया गया है. इसी पर चीन ने कहा कि अगर भारत के टैगोर और योग चीन में चल सकते हैं तो चीनी एप भारत में क्यों नहीं चल सकते.
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Tags: Art and Culture, India China Border Tension, Indo-China Border Dispute, Rabindranath Tagore
FIRST PUBLISHED : September 04, 2020, 07:42 IST