काबुल एयरपोर्ट में दिल दहला देने वाले दो बम धमाकों के बाद मरने वालों की संख्या 100 के पार हो रही है. करीब 13 अमेरिकी सैनिकों की इसमें मौत हुई है. हमले के बाद इस्लामी स्टेट खुरासान नाम के आतंकी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी ली है. जानते हैं कि क्या है ये संगठन.
काबुल एयरपोर्ट पर गुरुवार को हुए दो जबरदस्त धमाकों के बाद पाकिस्तान को बेस बनाकर अपनी गतिविधियां संचालित करने वाले आतंकी संगठन इस्लामी स्टेट खुरासान ने जिम्मेदारी ली है. इस आतंकी संगठन के तार भी कभी पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े बताए जाते थे.
आईएस-के पहले भी अफगानिस्तान में हमले कर चुका है. हाल ही में तालिबान ने आईएस-के 04 दहशतगर्दों को एयरपोर्ट के बाहर पकड़ने का दावा किया था. आईएस-के अफगानी तालिबान और अमेरिका के बीच हुए समझौते से खफा है.
खुरासान, मौजूदा पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान और मध्य एशिया के कुछ हिस्सों का ऐतिहासिक नाम है. इस आंतकी संगठन के स्लीपर सेल के सदस्य पूरे पाकिस्तान और अफगानिस्तान में फैले हैं.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट के अनुसार, फिलहाल इसके दो से ढाई हजार आतंकी सक्रिय है. हालांकि अमेरिका मानता है कि इसकी ताकत अब केवल 1000 सदस्यों तक की ही रह गई है. हालांकि रूस का कहना है कि इस आतंकी संगठन में अब भी करीब 10,000 सदस्य हैं.
भारत के भी कुछ शहरों कानपुर, लखनऊ और केरल में इस संगठन से जुड़े आतंकी गिरफ्तार किए जा चुके हैं. ये आतंकी संगठन भारत पर कब्जा करने का इरादा रखता है. बीते कई बरसों से भारत में युवाओं को आतंकी बनाने की कोशिश में जुटा है.
2017 से अब तक आईएस-के अफगानिस्तान में 100 से ज्यादा हमले कर चुका है. ना जाने कितनी ही बार इसकी मुठभेड़ अमेरिकी और अफगानी सेनाओं से हो चुकी है. ये खुद को इस्लामी स्टेट कहने वाले आतंकवादी संगठन का सहयोगी है.अफ़ग़ानिस्तान के सभी जिहादी चरमपंथी संगठनों में ये सबसे ज़्यादा ख़तरनाक और हिंसक माना जाता है.
आईएस-के और हक़्क़ानी नेटवर्क के बीच तगड़े कनेक्शंस हैं.इस बुनियाद पर उनका तालिबान के साथ क़रीबी रिश्ता बन जाता है.तालिबान ने काबुल की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी जिस शख़्स को दी है, वो ख़लील हक़्क़ानी हैं.अमेरिका ने ख़लील हक़्क़ानी के सिर पर 50 लाख डॉलर का इनाम रखा है.
आईएस-के 100 से ज्यादा आतंकवाद हाल में तब काबुल के पास दो जेलों से तब फरार हो गए थे, जबकि तालिबान अफगानिस्तान की राजधानी की ओर बढ़ रहा था.
इसी साल आईएस-के काबुल में लड़कियों के एक स्कूल पर हमला करके 68 से ज्यादा लोगों को मार दिया था, जिसमें 165 घायल हुए थे. हताहतों में ज्यादातर स्कूली छात्राएं थीं.
इस आतंकी संगठन ने अफगानिस्तान के पूर्वी इलाके में हाल के बरसों में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है. खासकर अफगानिस्तान के नानगाहर और कुनार इनके मुख्य ठिकाने वाले प्रांत माने जाते हैं. पिछले साल इस आतंकी संगठन ने नानगाहर की राजधानी जलालाबाद की जेल पर हमला करके अपने कई दर्ज समर्थकों और साथियों को रिहा कराया था.
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को आईएस-के नहीं मानता. वैसे हाल के बरसों में तालिबान और आईएस-के के बीच अफगानिस्तान में अपने वर्चस्व के लिए लगातार लड़ाइयां होती रही हैं. इस हमले ने साबित कर दिया है कि अफगानिस्तान में आतंकवादियों की एक बड़ी ऐसी ताकत मौजूद है, जो तालिबान के लिए ही अब खतरा बनेगी और उसके काबू से बाहर है.
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FIRST PUBLISHED : August 27, 2021, 12:42 IST