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Explained: क्यों 3 पूर्व US राष्ट्रपति कोरोना वैक्सीन के लिए मॉडलिंग की पेशकश कर चुके?

बिल क्लिंटन, जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा (Photo-news18 English via USA Today)

बिल क्लिंटन, जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा (Photo-news18 English via USA Today)

बिल क्लिंटन, जॉर्ड डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा ने टीवी पर प्रसारण के दौरान वैक्सीन लेने की पेशकश की. वे चाहते हैं कि इससे ...अधिक पढ़ें

    कोरोना वैक्सीन (Covid-19 vaccine) के लिए लंबा इंतजार खत्म हुआ. इंटरनेशनल दवा कंपनियों फाइजर और बायोएनटेक (Pfizer and BioNtech) की वैक्सीन के लिए फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) से इजाजत मांगी गई है. इस बीच तीन पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने वैक्सीन को सार्वजनिक तौर पर लगवाने की बात की. वे टीवी पर लाइव में टीका लगवाना चाहते हैं.

    अमेरिका कोरोना वैक्सीन संक्रमण के मामले में सबसे ऊपर है. मौतों की संख्या भी यहां काफी तेजी से बढ़ी. इस बीच बिल क्लिंटन, जॉर्ड डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा ने टीवी पर प्रसारण के दौरान वैक्सीन लेने की पेशकश की है. उनका मकसद है कि इससे अमेरिकियों में कोरोना वैक्सीन को लेकर डर खत्म हो.

    वैक्सीन के लिए एक तरह से मॉडलिंग की पेशकश करने वाले तीनों ही पूर्व राष्ट्रपति हाल के राष्ट्रपतियों की कतार से हैं. बराक ओबामा, जो अमेरिकी के 44वें राष्ट्रपति रह चुके हैं, उन्होंने कहा कि एफडीए और संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ एंथनी फाउसी के वैक्सीन को मंजूरी देते ही वे इसे लेने को तैयार हैं. लोगों को आश्वस्त करने के लिए ओबामा ने एक टीवी शो के दौरान ये एलान कर दिया.

    जॉर्ज डब्ल्यू बुश (Photo-flickr)


    इधर पूर्व राष्ट्रपति बुश के सेक्रेटरी ने भी CNN से कहा कि वे वैक्सीन लेते हुए इसे फिल्माना चाहेंगे. बता दें कि बुश की उम्र अभी 74 साल है और वे किसी गंभीर बीमारी के शिकार फिलहाल तक नहीं बताए गए हैं. बुश भी इसके लिए एफडीए और डॉ एंथनी के अप्रूवल का इंतजार कर रहे हैं.

    ठीक यही बात पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के प्रेस सेक्रेटरी ने भी कही. सेक्रेटरी के मुताबिक क्लिंटन टीके को अप्रूवल मिलने के बाद भी अपनी बारी का इंतजार करना चाहते हैं ताकि किसी जरूरतमंद से साथ कोई अन्याय न हो. साथ ही वे सार्वजनिक तौर पर टीका लेना चाहेंगे ताकि लोगों का टीके से डर खत्म हो.

    बता दें कि फिलहाल लगभग 14.5 मिलियन अमेरिकी आबादी कोरोना संक्रमित है. इसके बाद भी बड़ी संख्या में वहां लोग कोरोना वैक्सीन न लेने की बात सोच और कह रहे हैं. इसके पीछे ये सोच है कि टीकाकरण से सेहत को काफी नुकसान होता है. इन्हें एंटी-वैक्सर्स (anti-vaxxers) कहा जाता है.

    पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा


    ऐसे लोगों को तादाद लगातार बढ़ रही है. यहां तक कि पिछले ही साल वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने वैक्सीन के खिलाफ बढ़ती सोच को दुनिया के 10 सबसे बड़े खतरों में गिना था. एंटी-वैक्सर्स मानते हैं कि वैक्सीन की दुनिया को जरूरत ही नहीं है, बल्कि सारी खतरनाक बीमारियों को इंसानी शरीर ऐसे ही हरा सकता है. वे यह भी मानते हैं कि वैक्सीन के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और कई दूसरी समस्याएं भी हो सकती हैं.

    टीकों का विरोध करने वाला ये तबका कितना शक्तिशाली है, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि कई जगहों पर वैक्सीन लगाना अनिवार्य करने के लिए कानून लाना पड़ा. जैसे कैलिफोर्निया में 277 बिल लाया गया, वहीं ऑस्ट्रेलिया में इसके लिए कड़ा कानून लगा. No Jab, No Pay के तहत अगर कोई अपने बच्चे का वैक्सीनेशन नहीं कराता तो उस बच्चे को स्कूल में दाखिला तक नहीं मिलेगा. ऐसा ऑस्ट्रेलिया में वैक्सीन के खिलाफ बढ़ते अभियान को रोकने के लिए किया गया.

    गैलप (Gallup) का ताजा सर्वे बताता है कि लगभग 42 प्रतिशत अमेरिकी कोरोना का टीका नहीं लेना चाहते. यहां तक कि अगर वैक्सीन फ्री और तुरंत दी जाए तो भी उन्हें घर पर रहना मंजूर है, बजाए टीका लेने के. 26 प्रतिशत लोग तब तक इंतजार करना चाहते हैं, जब तक कि ये साबित न हो जाए कि वैक्सीन पूरी तरह से सेफ है.

    बड़ी संख्या में लोग कोरोना वैक्सीन न लेने की बात सोच और कह रहे हैं- सांकेतिक फोटो (Pixabay)


    लोगों के कोरोना के टीके पर ज्यादा अविश्वास इसलिए भी दिख रहा है क्योंकि ये काफी जल्दी तैयार की गई है. ऐसे में अमेरिका के तीन पूर्व राष्ट्रपतियों के अलावा नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी कहा कि वे भी कोरोना टीका लगवाते हुए कैमरे के सामने रहना चाहते हैं. इंडियन एक्सप्रेस ने CNN के हवाले से बताया कि बाइडन भी लोगों से डर खत्म करने के लिए ये करना चाहेंगे. यहां तक कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) प्रमुख ड्रोस एडनोम भी कोरोना वैक्सीन लेते हुए फिल्माये जाने की बात कर चुके हैं.

    इधर टीके के विरोध के बीच दक्षिण भारत की उन रानियों की कहानी सामने आई है, जिन्होंने दुनिया की सबसे पहली वैक्सीन के लिए मॉडलिंग की. साल 1805 के आसपास की ये पेंटिग बताती है कि कैसे रानी होने के बाद भी जनता की जरूरत को समझते हुए उन्होंने टीके का निशान दिखलाते हुए अपनी पेंटिंग बनवाई होगी.

    ये कहानी है राजकुमारी देवाजम्मन्नी (Devajammani) की, जो साल 1805 में लगभग 12 साल की उम्र में मैसूर राजपरिवार पहुंचीं. उनकी कृष्णराज वाडियार तृतीय (Krishnaraja Wadiyar III) से शादी हो रही थी. इसके बाद ही रानी देवाजम्मन्नी को एक नई भूमिका मिली. नई-नवेली रानी ने तब ईस्ट इंडिया कंपनी के अनुरोध पर चेचक के टीके लिए अपनी पेंटिंग बनवाई.

    कैनवास पर बनी ये ऑइल पेंटिंग उस दौर के लिहाज से काफी साहसिक है (Photo-instagram)


    कैनवास पर बनी ये ऑइल पेंटिंग उस दौर के लिहाज से काफी साहसिक कोशिश मानी जा सकती है. इसमें छोटी रानी देवाजम्मन्नी तस्वीर में दाहिनी तरफ दिखती हैं. वे अपनी सफेद-धूसर साड़ी का पल्ला ऊपर को उठाए हुए हैं. तस्वीर को देखने पर साफ पता चलता है कि साड़ी का पल्ला नीचे की तरफ हुआ करता था लेकिन इसे जानकर उठाया गया. इस तरह से रानी देवाजम्मन्नी रानी की गरिमा खोए बगैर वैक्सिनेशन का महत्व बता रही हैं.

    बाईं ओर की महिला, जो कि राजा की बड़ी रानी हैं, उनकी नाक के नीचे और चेहरे के दूसरे हिस्से कुछ बदरंग से लग रहे हैं. ये चेचक का असर रहा होगा, जो उतना भयंकर नहीं हो सका. यानी ये रानी भी एक तरह से चेचक के टीके को प्रमोट ही कर रही हैं. बीच में जो महिला है, वो वाडियार कुल की रानी लक्ष्मी अमानी हैं. वे राजा की दादी लगती थीं. रानी ने चेचक से ही अपने पति को खो दिया था, जिसके बाद से वे इसके इलाज के बारे में सोचने लगीं. माना जाता है कि रानियों को टीका लगाने और उसकी मॉडलिंग के लिए प्रोत्साहित करने में इन्हीं का सबसे बड़ा हाथ रहा.

    Tags: America, Barack obama, Coronavirus in india live updates, Coronavirus vaccine

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