अंटार्कटिका का थ्वाइट्स ग्लेशियर
उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर के चलते आई बाढ़ के बाद से ग्लेशियर एक बार फिर से चर्चा में है. ग्लेशियर का अपेक्षाकृत छोटे टुकड़े का गिरना जब ऐसा आफत ला चुका तो ये जानना जरूरी है कि सबसे बड़ा ग्लेशियर पिघलने पर कैसी कयामत लाएगा. अंटार्कटिका का थ्वाइट्स ग्लेशियर (Thwaites glacier) वही है, जो दुनिया का सबसे बड़ा और इसलिए ही सबसे खतरनाक ग्लेशियर माना जा रहा है. अब इसपर दुनियाभर के विशेषज्ञों की निगाहें हैं.
कहां और कितना विशाल है ग्लेशियर
अंटार्कटिका के पश्चिमी इलाके में स्थित ये ग्लेशियर समुद्र के भीतर कई किलोमीटरों की गहराई में डूबा हुआ है. वहीं इसकी अंदरुनी चौड़ाई लगभग 468 किलोमीटर है. यानी समुद्र के भीतर ये एक विशालकाय दैत्य की तरह फैला हुआ है. इससे अगर मजबूत से मजबूत जहाज भी टकराए तो भयंकर दुर्घटना हो सकती है. लेकिन फिलहाल खतरा ये नहीं.
ये भी पढ़ें: Explained: तेजी से पिघलता हिमालय क्या कुछ सालों में गायब हो जाएगा?
हो चुकी तबाही की शुरुआत
इसके खतरे को समझने के लिए एक बार इसके आकार के बारे में विस्तार से जानना होगा. यहां की बर्फ पूरी दुनिया के पहाड़ों पर इकट्ठा बर्फ से भी 50 गुना से ज्यादा है. थ्वाइट्स का क्षेत्रफल 1,92,000 वर्ग किलोमीटर है. यानी तुलना करें तो ये ग्रेट ब्रिटेन के जितना है. इतना विशाल ग्लेशियर जब पिघलेगा तो सारी दुनिया में तबाही मच जाएगी. और इसकी शुरुआत हो भी चुकी है.
अमेरिकी शहर जितना बड़ा छेद हुआ
समुद्र के भीतर इस ग्लेशियर के भीतर छेद हो रहे हैं. नासा के वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया. फॉक्स न्यूज में इस हवाले की रिपोर्ट आई है. इसके मुताबिक ग्लेशियर में एक बड़ा छेद हो चुका है, जो अमेरिका के मैनहट्टन शहर का दो-तिहाई है. इसके अलावा ये 1100 फीट ऊंचा है. इस छिद्र को देखकर अनुमान लगाया गया कि ये पिघली हुई बर्फ लगभग 14 खरब टन रही होगी. ये सारी बर्फ पिछले तीन सालों के भीतर पिघली है.
ये भी पढ़ें: जानिए, ग्लेशियर कैसे बन सकते हैं खतरनाक
अमेरिका और ब्रिटेन मिलकर कर रहे काम
वैज्ञानिकों को इतना भर पता करने में खून-पसीना एक करना पड़ा. बता दें कि इस ग्लेशियर के आसपास का मौसम इतना तूफानी होता है कि इसकी सैटलाइट इमेज भी साफ नहीं आ पाती है. यही देखते हुए अमेरिका और ब्रिटेन ने केवल इस ग्लेशियर की तस्वीर निकाल सकने के लिए एक बड़ा करार किया, जिसे इंटरनेशनल थ्वाइट्स ग्लेशियर कोलेबरेशन कहते हैं. इसपर हाल ही में काम शुरू हुआ है.
ये भी पढ़ें: Explained: चीन के शिक्षा विभाग का ताजा फरमान क्यों औरतों के खिलाफ है?
इस ग्लेशियर का पिघलना क्यों वैज्ञानिकों को डरा रहा है.
दरअसल ग्लेशियर धीरे-धीरे पिघले तब तो ये प्राकृतिक रहेगा लेकिन समस्या इसका तेजी से पिघलना है. इसके विशाल टुकड़े हो रहे हैं और फिर वे चलते हुए समुद्र के पानी के संपर्क में आकर पिघल रहे हैं. इससे समुद्र का जलस्तर बढ़ा है. माना जा रहा है कि अगले 150 सालों में ग्लेशियर पूरी तरह से पिघल जाएगा. ये भारी तबाही लाएगा.
करोड़ों लोग विस्थापित होंगे
दुनियाभर के समुद्रों का स्तर 2 से 5 फीट तक बढ़ जाएगा. इसके कारण तटीय इलाके पानी से डूब जाएंगे. इस तरह से अलग-अलग देशों की करोड़ों की आबादी या तो मारी जाएगी या फिर विस्थापन का शिकार हो जाएगी. इससे इकनॉमी चरमरा जाएगी और महामंदी आ जाएगी.
कयामत लाने वाला ग्लेशियर कहते हैं इसे
जलप्रलय के अलावा इस ग्लेशियर के पिघलने के कई दूसरे दुष्परिणाम भी होंगे, जैसे पीने के पानी की कमी होना. बता दें कि दुनिया के ताजे पानी में अंटार्कटिक की बर्फ की हिस्सेदारी नब्बे फीसदी है. अब एक बार में पिघलने से जलस्तर तो बढ़ेगा लेकिन दूसरे इलाकों में पानी की कमी हो जाएगी. वे नदियां सूख जाएंगी, जिनके पानी की स्त्रोत ग्लेशियर रहा है. इन सारी वजहों को देखते हुए वैज्ञानिक इस ग्लेशियर को डूम्सडे ग्लेशियर भी कहते हैं, यानी वो ग्लेशियर जिसका पिघलना कयामत लाएगा.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Antarctica, Chamoli Glacier break, Glacier Tragedy, Uttarakhand Glacier Avalanche
Shaheen Afridi Wedding: अंशा अफरीदी की फोटो देखी या नहीं, खूबसूरती देखकर कहेंगे... क्रिकेटर से होने जा रहा है निकाह
प्रियंका चोपड़ा से विन डीजल तक, हॉलीवुड और बॉलीवुड स्टार्स जो लुटाते हैं एक-दूजे पर जान, जय-वीरू सी है दोस्ती
Income Tax : अगर आप सालाना 10 लाख, 50 लाख या 1 करोड़ रुपये कमाते हैं तो अब कितना टैक्स देना होगा