लॉकडाउन के कारण 2020 में हाउसहोल्ड सेविंग्स में इजाफा दर्ज किया गया है.
देश में वेतनभोगियों के बीच सबसे लोकप्रिय निवेश कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) है. सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत आने वाली ये योजना कर्मचारियों के बीमा और पेंशन जैसी सुविधाओं पर ध्यान देती है. पहले कर्मचारियों के लिए न तो ये योजना थी और न ही सुरक्षित भविष्य की खास उम्मीद. साल 1952 के 23 फरवरी को देश में कर्मचारी भविष्य निधि कानून लागू हुआ, जिसके बाद काफी सारे बदलाव आए.
ईपीएफओ होता क्या है?
ईपीएफओ (Employee Provident Fund Organization) यानी ‘कर्मचारी भविष्य निधि संगठन’ भारत सरकार का एक संगठन है, जो अपने सदस्यों को रिटायरमेंट के बाद आय सुरक्षा देने के लिए कई योजनाएं चलाता है. हर उस कंपनी को ईपीएफओ में खुद को रजिस्टर्ड कराना होता है, जहां कर्मचारियों की संख्या 20 से अधिक हो. इसके बाद नियोक्ता एवं कर्मचारी दोनों के द्वारा वेतन का 12 प्रतिशत भविष्य निधि में जमा किया जाता है, जो कर्मचारी के आवेदन पर या सेवानिवृति पर मिलता है.
आंशिक राशि निकाल सकते हैं
कुछ विशेष हालातों में जैसे घर बनवाने पर, या शादी या फिर उच्च शिक्षा पाने के लिए पैसों की जरूरत पर आंशिक तौर पर इससे राशि निकाली जा सकती है. लंबे समय तक भविष्य निधि के रूप में धन की बचत की जाए तो यह कर्मचारी के लिए भविष्य में काफी फायदेमंद होती है. इसके अलावा नौकरी छोड़ने के बाद दो महीनों तक बेरोजगार रहने की स्थिति में भी इस राशि पर क्लेम किया जा सकता है. हालांकि ये विकल्प काफी कम ही लोग अपनाते हैं. इस निवेश को लंबी अवधि के इनवेस्टमेंट की तरह देखा जाता है इसलिए इसका उपयोग तभी करना चाहिए जब पैसे निकालना आखिरी विकल्प हो.
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कैसे बना ये संगठन
1951 के करीब कर्मचारी भविष्य निधि अध्यादेश की घोषणा की गई. 15 नवंबर, 1951 को कर्मचारी भविष्य निधि अध्यादेश को कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम, 1952 में बदला गया, जो जम्मू और कश्मीर को छोड़कर पूरे भारत में लागू हुआ. अधिनियम की धारा 5 के तहत तैयार किए गए कर्मचारी भविष्य निधि योजना को चरणों में लागू करने के बाद एक नवंबर, 1952 को पूरी तरह लागू किया गया. फिलहाल ईपीएफओ में काम करने वाले कुल लोगों की संख्या 20,000 से अधिक है, जिसमें सभी स्तर शामिल हैं.
दायरे में कितने संगठन?
ईपीएफओ के दायरे में आने वाले संगठनों की संख्या बढ़ रही है. 2015-16 में ईपीएफओ में 9.21 लाख पंजीकृत संगठन थे. 2016-17 में यह संख्या बढ़कर 10.2 लाख हो गई. ईपीएफओ के पास फिलहाल पांच करोड़ सक्रिय सदस्य हैं. फिलहाल ये नियम जम्मू -कश्मीर को छोड़कर भारत के सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में लागू है.
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हुए हैं कई बदलाव
फिलहाल ईपीएफओ काफी आधुनिक होता हुआ ऑनलाइन हो चुका है. लोग अपने खाते की तमाम जानकारी ऑनलाइन ही पा सकते हैं. साथ ही इसके लिए ऑनलाइन पासबुक भी मिलती है. इसके लिए रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद पासबुक डाउनलोड हो सकती है, जिसमें खाते में आई राशि का पूरा ब्यौरा होता है. ये उनके लिए आसान तरीका है, जो समय-समय पर अपने खाते की जानकारी बैंक की ही तर्ज पर चाहते हैं.
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शिकायत भी कर सकते हैं
अगर कंपनी नियम के तहत आने के बाद भी कर्मचारी के खाते में अपने लिए निर्धारित राशि नहीं डालती है तो वो शिकायत भी कर सकता है. ऑनलाइन शिकायत करने की प्रक्रिया खास मुश्किल नहीं और इसके बाद समय-समय पर ये जानकारी भी ले सकते हैं कि शिकायत संबंधी कार्रवाई कहां तक पहुंची.
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