भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में 13 मई का दिन बहुत महत्व रखता है. इस दिन साल 1952 में भारत की पहली संसद (First Parliament Session) का पहला सत्र बुलाया गया था. यह आधुनिक भारतीय लोकतंत्र (Indian Democracy) की शुरुआत माना जाता है जिसके बाद देश ने कुछ उतार चढ़ाव देखने के अलावा सफलता लोकतंत्र ही देखा है. तमाम चुनौतियों के बाद भी आज भारतीय संविधान (Indian Constitution) और उसकी संसदीय व्यवस्था अक्षुण्ण है जो उसकी कामयाबी ही दर्शाती है.
17 करोड़ ने चुनी अपनी लोकसभा
15 अगस्त 1947 को आजादी के बाद भारत पर एक अंतरिम सरकार ने शासन किया जो संविधान सभा से बनी थी. पहले भारतीय संविधान अपनाने के बाद उसी के अनुसार 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 तक पहला आम चुनाव हुआ जिसमें 36 करोड़ की आबादी में से 17 करोड़ लोगों ने अपने व्यस्क मताधिकार का उपयोग किया था.
पहले दिन होनी थी सभी सांसदों की शपथ
लोकसभा और राज्यसभा का पहला सत्र 13 मई को बुलाया गया था. दोनों सदनों की कार्यवाही सुबह 10:45 बजे शुरू हुई. सांसदों को शपथ दिलाने की शुरुआत करने से पहले स्पीकर मावलंकर ने कहा कि जहां तक संभव होगा मैं सभी सदस्यों का नाम सही ढंग से लूंगा. फिर भी कोई गलती हो जाए तो मुझे उसके लिए क्षमा करें. पहले दिन शपथ लेने वालों में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल भी थे.
पूरा नहीं हो सका स्पीकर का वादा
पहले दिन सभी सांसद शपथ नहीं ले पाए थे. देश के पहले लोकसभा स्पीकर गणेश वासुदेव मावलंकर के नेतृत्व में पूरी संसदीय कार्यवाही की गई. वे इस पद पर 27 फरवरी, 1956 तक रहे. उनके निधन के बाद एमए अय्यंगर लोकसभा के स्पीकर बनाए गए. इससे पहले वे डिप्टी स्पीकर थे.

गणेश वासुदेव मालवंकर (GV Mavalankar) लोकसभा के पहले स्पीकर थे. उन्हें आज भी देश में महान स्पीकर के र पर याद किया जाता है., (फाइल फोटो)
कांग्रेस का बहुमत
इस चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनसंघ, रिपब्लिकन पार्टी, समाजवादी पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने हिस्सा लिया था. इस संसंद उस समय 489 लोकसभा सीटें थीं. इसमें से 364 पर कांग्रेस ने जीत हासिल कर पहली लोकसभा में बहुमत हासिल किया था. इसके बाद 1952 में 3 अप्रैल को राज्यसभा और 17 अप्रैल को लोकसभा का गठन हुआ था.
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सांसदों की शिक्षा
कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा 37 निर्दलीय सांसद जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. पहली संसद में बड़ी संख्या में सांसद स्नातक थे. करीब 75 सांसद कानून में स्नातक या स्नातकोत्तर थे. करीब 35 सांसद कला या विज्ञान में स्नातक थे. विदेश से स्नातक डिग्री हासिल करने वाले सांसदों की संख्या 15 से ज्यादा थी.

पहले दिन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) शपथ लेने वालों में शामिल थे (फाइल फोटो)
इन दिग्गजों ने हासिल की थी विदेशी डिग्री
. इनमें बीआर अंबेडकर ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कैंब्रिज में ट्रिनिटी कॉलेज के हैरो स्कूल, मेजर जनरल हिम्मत सिंहजी ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के माल्वेन कॉलेज, सरदार वल्लभभाई पटेल ने इंग्लैंड के मिडिल टेंपल, हृदयनाथ कुंजरू ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और एचजी मुदगल ने न्यूयॉर्क कॉलेज से लॉ में डिग्री हासिल की थी.
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सांसदों का आयुवर्ग
पहली संसद में 20 प्रतिशत सांसदों की आयु 56 वर्ष या उससे अधिक थी. वहीं, 70 साल से ज्यादा उम्र का कोई भी सांसद इस संसद में नहीं था. इसके अलावा 26 प्रतिशत सांसदों की आयु 40 वर्ष या उससे कम थी. कांग्रेस के अलावा भारतीय जनसंघ को पहली लोकसभा के लिए हुए चुनाव में 3, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को 16, फारवर्ड ब्लॉक (एमजी) को 1, अखिल भारतीय हिंदू महासभा को 4, कृषिकर लोक पार्टी को 1, किसान मजदूर प्रजा पार्टी को 9, राम राज्य परिषद को 3, रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी को 3, शेड्यूल कास्ट फेडरेशन को 2, सोशलिस्ट पार्टी को 12, अन्य को 34 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.
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Tags: History, Indian Parliament, Parliament, Research
FIRST PUBLISHED : May 13, 2021, 06:36 IST