डीआरडीओ ने VL-SRSAM मिसाइल का सफल परीक्षण किया. (सांकेतिक तस्वीर)
चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर लगातार तनाव के मद्देनजर भारत अपनी सुरक्षा में किसी प्रकार की कोई कोताही नहीं कर सकता है. कुछ ऐसा ही संदेश देने के लिए भारत ने बुधवार को इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया. भारत की यह मिसाइल 5000 से अधिक दूरी तक अपने लक्ष्य को बेहद सटीक तरीके से भेद सकती है. यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है. इसका बुधवार को शाम करीब 7:50 बजे ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से परीक्षण किया गया.
दरअसल, चीन के साथ एलएसी पर लगातार तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए भारत के इस परीक्षण को बेदह अहम माना जा रहा है. इसमें कोई शक नहीं है कि सैन्य रूप से चीन एक ताकतवर देश है, लेकिन इस वक्त भारत की मौजूदा हथियारों की ताकत को देखते हुए इसे कमतर आंकना चीन की एक बड़ी भूल हो सकती है. भारत एक परमाणु संपन्न राष्ट्र है और इसके जखीरे में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ तकनीक से लैस तमाम ऐसे हथियार हैं जो किसी भी स्थिति में अपने दुश्मनों को कड़ा जवाब देने में सक्षम हैं. आइए भारत द्वारा किए गए अग्नि-5 मिसाइल के परीक्षण के बहाने इसके पास मौजूद मिसाइलों पर एक नजर डालते हैं.
चार तरह की मिसाइलें
दुनिया की सभी प्रमुख सेनाओं के पास उनकी जरूरत के हिसाब से चार तरह की मिसाइलें प्रयोग में हैं. ये चारों तरह की मिसाइलें भारत के भी पास हैं. इनमें सबसे पहले हैं- सतह से सतह पर वार करने वाली मिसाइलें. इसमें बैलेस्टिक, क्रूज, एंटी-शिप, एंटी टैंक मिसाइलें शामिल होती हैं.
दूसरे तरह की मिसाइल एयर टू सर्फेस मिसाइलें होती हैं. इसमें हवा से सतह पर मौजूद लक्ष्य पर वार किया जाता है. तीसरी मिसाइल सतह से हवा में वार करने वाली होती हैं. इसे एंटी बैलेस्टिक मिसाइल भी कहा जाता है. और चौथी श्रेणी की मिसाइलों में हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और एंटी सैटेलाइट हथियार आते हैं.
अग्नि और पृथ्वी के अलावे मिसाइलों का एक बड़ा भंडार
भारत की सेनाएं पूरी तरह से मिसाइलों के लैस हैं. ये दुनिया की हर बड़ी सेना की तरह एक बेहद ताकतवर सेना है. इसके पास मिसाइलों का एक बड़ा भंडार है जिसमें तरह-तरह की मिसाइले हैं.
वरुणास्त्र (Varunastra)
इस मिसाइल को नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजी, विशाखासपट्टनम और भारत डायनैमिक्स लिमिटेड ने मिलकर बनाया है. यह मुख्य रूप से समंदर में जहाजों से दागी जाती है. बेहद उच्च तकनीक से लैस यह पानी के भीतर वार करने के लिए बेहद कारगर हथियार है. यह पानी के भीतर 40 किमी तक वार कर सकती है. यह अपने साथ 250 किलो विस्फोटक ले जा सकती है.
क्रूज मिसाइल
क्रूज मिसाइल श्रेणी में भारत के पास कई तरह की मिसाइलें हैं. इसमें ब्रह्मोस (Brahmos), निर्भय (Nirbhay), ब्रह्मोस-2 (Brahmos II ) और एक्जोसेट (Exocet) हैं. ब्रह्मोस को भारत और रूस ने मिलकर विकसित किया है. यह दुनिया की एक सबसे बेहतरीन मिसाइल है. यह ध्वनि की गति से सात गुना तेजी से यानी मैक-7 की स्पीड से 300 किमी के दायरे में दुश्मन को तबाह कर सकती है. निर्भय को डीआरडीओ ने विकसित किया है. वहीं एक्जोसेट को फ्रांस ने विकसित किया है. यह एक एंटी शिप क्रूज मिसाइल है जिसका रेंज 40 से 180 किमी है.
सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें
सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों के मामले में भारत दुनिया के विकसित देशों की बराबरी करता है. इसके पास प्रहार, पृथ्वी, पृथ्वी-1, पृथ्वी-2, पृथ्वी-3, शौर्य और अग्नि सीरीज की मिसाइलें हैं. इन सभी मिसाइलों का रेंज अलग-अलग हैं और ये सभी अलग-अलग परिस्थियों में अचूक वार करने लिए जानी जाती हैं. ये मिसाइलें 100 किमी से लेकर 5000 किमी के दायरे में दुश्मन को पानी पीने पर मजबूर कर सकती हैं. इसी श्रेणी में धनुष मिसाइल आता है. जो पृथ्वी मिसाइल का नौसैनिक वर्जन है.
सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें
इस श्रेणी में आकाश, आकाश एमके1एस, त्रिशुल और बाराक श्रेणी की मिसाइलें आती हैं. इन मिसाइलों का प्राथमिक लक्ष्य देश की धरती की ओर बढ़ रहे दुश्मन के लड़ाकू विमानों और मिसाइलों को समय रहते मार गिराना है. इसमें से आकाश और त्रिशुल को भारत में ही विकसित किया गया है वहीं बाराक सीरीज की मिसाइलों को इजरायल के साथ मिलकर बनाया गया है.
हवा से हवा में मार करे वाली मिसाइलें
इसमें नाग, हेलिना और अमोघा 1 शामिल हैं. इन सभी मिसाइलों की खासियत यह है कि ये बेहद हल्की और आसमान में दुश्मन के विमानों को मार गिरानें के लिए दागी जाती हैं.
पनडुब्बी से दागी जाने वाली मिसाइलें
के सीरीज- भारत पनडुब्बी से भी दागी जाने वाली मिसाइलों का विकास कर रहा है. इसका नाम महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के सम्मान में रखा गया है. के-सीरीज परमाणु हथियार ले जाने में सक्षण इंटरकंटिलेंटल मिसाइल हैं. इसकी मारक क्षमता 6000 किमी से अधिक है. नौसेना में शामिल कर लिए जाने के बाद इस मिसाइल को आईएनएस अरिहंत पर तैनात किया जाएगा.
इन प्रमुख मिसाइलों के अलावा भारतीय सेनाओं के पास और भी कई तरह की मिसाइलें हैं जिसमें सगारिका, बाराक-1 और बाराक-8, पृ्थ्वी डिफेंस सिस्टम, पृथ्वी डिफेंस वेहिकल, एडवांस एयर डिफेंस आदि जैसी कई चीजें शामिल हैं.
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Tags: Missile, Missile trial, Nuclear-capable hypersonic missile
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