जो चिकन आप खाते हैं, जानिए, उसे कैसी-कैसी दवाएं दी जाती हैं
News18Hindi Updated: December 2, 2019, 1:45 PM IST

इन एंटीबायोटिक्स को डब्ल्यूएचओ ने इंसान के लिए खतरनाक बता रखा है (प्रतीकात्मक फोटो)
चिकन (chicken ) को दिए जा रहे एंटीबायोटिक्स (antibiotics ) वही दवाएं (medicine) हैं, जिनके इस्तेमाल को World Health Organisation (डब्ल्यूएचओ) ने इंसानी सेहत के लिए बेहद खतरनाक बताया है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 2, 2019, 1:45 PM IST
फूड एनिमल के जरिये मानव शरीर में अनजाने में भी काफी सारा एंटीबायोटिक पहुंच रहा है. एंटीबायोटिक मुर्गे/मुर्गियों को बीमारी से बचाने और उनके तेजी से विकास के लिए दिया जाता है. ये इंजेक्शन और दानों में मिलाकर खिलाने की फॉर्म में होता है. ये एंटीबायोटिक्स खानेवालों के शरीर में पहुंचते हैं. एंटीबायोटिक्स का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने वाले पांच देशों में भारत पहले नंबर पर है.
आमतौर पर मुर्गे/मुर्गियों को दिए जाने वाले एंटीबायोटिक्स ये हैं-
-ऑक्सीटेट्रासाइक्लिन
-क्लोर टेट्रासाइक्लिन-डॉक्सीसाइक्लिन-एनरोफ्लॉक्सिन सिप्रोफ्लॉक्सिन
-नियोमाइसिन
-एमिनोग्लाइकोसाइडइन एंटीबायोटिक्स को डब्ल्यूएचओ ने इंसान के लिए खतरनाक बता रखा है.
एंटीबायोटिक्स का असर
टेट्रासाइक्लिन और फ्लूरोक्विनोलोंस एंटीबायोटिक्स कॉलेरा, मलेरिया, रेस्पायरेटरी और यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शंस के इलाज में इस्तेमाल किए जाते हैं. जानवरों पर इनके इस्तेमाल से परिणाम ड्रग रेजिस्टेंट बैक्टीरिया के रूप में सामने हैं. भारत में इसके प्रभाव से हर साल लगभग 57000 नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है. क्योंकि एंटीबायोटिक्स का असर मां के ज़रिए बच्चे पर भी पड़ता है.
सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वाइरनमेंट (सीईसी) स्टडी में कह चुका है कि ऐंटीबायॉटिक्स बीमारी होने पर दिए जाते हैं, न कि रोग से बचाव या ग्रोथ के लिए. बेवजह दवाएं देने से न सिर्फ मुर्गे/मुर्गियों पर दुष्प्रभाव होगा बल्कि उसे खाने वाले के शरीर में भी ये दवाएं बिना ज़रुरत पहुंचेंगी.

हर साल कितने एंटीबायोटिक्स खिलाए जाते हैं
सीईसी की फरवरी 2018 में आई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पोल्ट्री और मीट के लिए पाले जाने वाले पशुओं को हर साल करीब 2700 टन एंटीबायोटिक्स खिलाए जा रहे हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका (US) में हर साल करीब 15-17 मिलियन पाउंड्स एंटीबायोटिक्स खिलाए जाते हैं, ये कहना है इस मुद्दे पर सालों से स्टडी कर रहे Stuart B. Levy का.
मुर्गे/मुर्गियों क्यों दिया जाता है एंटीबायोटिक्स-
एंटीबायोटिक्स मुर्गे/मुर्गियों को हेल्दी रखने में मदद करते हैं. इनसे फूड सप्लई के दौरान बैक्टीरिया लग जाने की संभावना भी कम रहती है.
एंटीबायोटिक्स जानवरों को बीमार होने से बचाते हैं. मुर्गे/मुर्गियां जानवर बैक्टीरियल इंफेक्शन्स से बहुत जल्दी बीमार हो जाते हैं.
एंटीबायोटिक्स मुर्गे/मुर्गियों के लंबे चलने वाले प्रोडक्शन को बरकार रखने के लिए भी दिए जाते हैं.

कोलिस्टी एंटीबायोटिक भी दिया जाता है, क्या है ये
द ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म के वेबसाइट में छपे रिपोर्ट में ये दावा किया गया कि मुर्गियों को बीमारियों से बचाने के लिए कोलिस्टी नाम का एंटीबायोटिक दिया जाता है. इसके अलावा ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए इन पक्षियों का वजन जल्द ही बढ़ जाए इसके लिए भी इस एंटीबायोटिक का इस्तेमाल किया जाता है. कोलिस्टीन का इस्तेमाल गंभीर रूप से बीमार लोगों पर करना चाहिए. किसी भी अन्य परिस्थिति में ये पर्यावरण के लिए जहर बराबर है.
कोलिस्टीन पर डॉक्टर्स की राय
कोलिस्टीन को डॉक्टर्स 'लास्ट होप एंटीबायोटिक' भी कहते हैं जिसका इस्तेमाल गंभीर रूप से बीमार (जैसे निमोनिया) लोगों के इंफेक्शन को दूर करने के लिए किया जाता है. ये मानव शरीर को दवा प्रतिरोधी बनाती हैं.
चिकन खाने से मानव शरीर पर क्या असर पड़ता है
मुर्गियों को बीमारियों से बचाने और उनका वजन बढ़ाने के लिए जो एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं, वो मानव शरीर पर दवाइयों का असर ही नहीं होने देती.
ये भी पढ़ें-
क्या रहस्य है आखिर आयरलैंड के कई सौ साल पुराने शिवलिंग का
ताबूतों में रहने लगे हैं हांगकांग के लोग, एक ताबूत की कीमत है 18 हजार रुपए
आमतौर पर मुर्गे/मुर्गियों को दिए जाने वाले एंटीबायोटिक्स ये हैं-
-ऑक्सीटेट्रासाइक्लिन
-क्लोर टेट्रासाइक्लिन-डॉक्सीसाइक्लिन-एनरोफ्लॉक्सिन सिप्रोफ्लॉक्सिन
-नियोमाइसिन
-एमिनोग्लाइकोसाइडइन एंटीबायोटिक्स को डब्ल्यूएचओ ने इंसान के लिए खतरनाक बता रखा है.
एंटीबायोटिक्स का असर
टेट्रासाइक्लिन और फ्लूरोक्विनोलोंस एंटीबायोटिक्स कॉलेरा, मलेरिया, रेस्पायरेटरी और यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शंस के इलाज में इस्तेमाल किए जाते हैं. जानवरों पर इनके इस्तेमाल से परिणाम ड्रग रेजिस्टेंट बैक्टीरिया के रूप में सामने हैं. भारत में इसके प्रभाव से हर साल लगभग 57000 नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है. क्योंकि एंटीबायोटिक्स का असर मां के ज़रिए बच्चे पर भी पड़ता है.
सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वाइरनमेंट (सीईसी) स्टडी में कह चुका है कि ऐंटीबायॉटिक्स बीमारी होने पर दिए जाते हैं, न कि रोग से बचाव या ग्रोथ के लिए. बेवजह दवाएं देने से न सिर्फ मुर्गे/मुर्गियों पर दुष्प्रभाव होगा बल्कि उसे खाने वाले के शरीर में भी ये दवाएं बिना ज़रुरत पहुंचेंगी.

हर साल कितने एंटीबायोटिक्स खिलाए जाते हैं
सीईसी की फरवरी 2018 में आई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पोल्ट्री और मीट के लिए पाले जाने वाले पशुओं को हर साल करीब 2700 टन एंटीबायोटिक्स खिलाए जा रहे हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका (US) में हर साल करीब 15-17 मिलियन पाउंड्स एंटीबायोटिक्स खिलाए जाते हैं, ये कहना है इस मुद्दे पर सालों से स्टडी कर रहे Stuart B. Levy का.
मुर्गे/मुर्गियों क्यों दिया जाता है एंटीबायोटिक्स-
एंटीबायोटिक्स मुर्गे/मुर्गियों को हेल्दी रखने में मदद करते हैं. इनसे फूड सप्लई के दौरान बैक्टीरिया लग जाने की संभावना भी कम रहती है.
एंटीबायोटिक्स जानवरों को बीमार होने से बचाते हैं. मुर्गे/मुर्गियां जानवर बैक्टीरियल इंफेक्शन्स से बहुत जल्दी बीमार हो जाते हैं.
एंटीबायोटिक्स मुर्गे/मुर्गियों के लंबे चलने वाले प्रोडक्शन को बरकार रखने के लिए भी दिए जाते हैं.

कोलिस्टी एंटीबायोटिक भी दिया जाता है, क्या है ये
द ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म के वेबसाइट में छपे रिपोर्ट में ये दावा किया गया कि मुर्गियों को बीमारियों से बचाने के लिए कोलिस्टी नाम का एंटीबायोटिक दिया जाता है. इसके अलावा ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए इन पक्षियों का वजन जल्द ही बढ़ जाए इसके लिए भी इस एंटीबायोटिक का इस्तेमाल किया जाता है. कोलिस्टीन का इस्तेमाल गंभीर रूप से बीमार लोगों पर करना चाहिए. किसी भी अन्य परिस्थिति में ये पर्यावरण के लिए जहर बराबर है.
कोलिस्टीन पर डॉक्टर्स की राय
कोलिस्टीन को डॉक्टर्स 'लास्ट होप एंटीबायोटिक' भी कहते हैं जिसका इस्तेमाल गंभीर रूप से बीमार (जैसे निमोनिया) लोगों के इंफेक्शन को दूर करने के लिए किया जाता है. ये मानव शरीर को दवा प्रतिरोधी बनाती हैं.
चिकन खाने से मानव शरीर पर क्या असर पड़ता है
मुर्गियों को बीमारियों से बचाने और उनका वजन बढ़ाने के लिए जो एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं, वो मानव शरीर पर दवाइयों का असर ही नहीं होने देती.
ये भी पढ़ें-
क्या रहस्य है आखिर आयरलैंड के कई सौ साल पुराने शिवलिंग का
ताबूतों में रहने लगे हैं हांगकांग के लोग, एक ताबूत की कीमत है 18 हजार रुपए
News18 Hindi पर सबसे पहले Hindi News पढ़ने के लिए हमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें. देखिए नॉलेज से जुड़ी लेटेस्ट खबरें.
First published: December 2, 2019, 1:34 PM IST