उत्तराखंड 'जल प्रलय': जानिए कैसे टूटते हैं ग्लेशियर, जिससे मचती है तबाही

आईटीबीपी (ITBP) प्रवक्ता ने कहा कि रैणी गांव के पास एक पुल के ध्वस्त हो जाने की वजह से बॉर्डर पोस्ट से कनेक्टिविटी टूट गई है.
Uttarakhand Glacier Burst: ग्लेशियर ठोस रूप में बर्फीला पानी होता है, जो पहाड़ की तरह जमा होता है. इसके टूटने से पानी का प्रवाह शुरू हो जाता है और बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है. ग्लेशियर को हिमनद कहते हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: February 8, 2021, 8:35 PM IST
नई दिल्ली. नंदादेवी ग्लेशियर (Nandadevi Glacier) रविवार की सुबह सुर्खियों में रहा. दरअसल ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने से उत्तराखंड (Uttarakhand) में अप्रत्याशित बाढ़ (Flash Flood) आ जाने से जोशीमठ के इलाकों में जान-माल का काफी नुकसान हुआ है. बाढ़ के चलते 150 लोगों के गायब होने और दो लोगों की मौत की खबर है. इसके साथ ही धौलीगंगा (Dhauliganga) नदी के किनारे बसे रैणी गांव के कई सारे मकान इस बाढ़ में बह गए. पीटीआई ने भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल के प्रवक्ता के हवाले से जानकारी दी कि तपोवन-रैणी (Tapovan-Raini) में पावर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे मजदूरों के हताहत होने की आशंका है. पावर प्रोजेक्ट (Power Project) इस बाढ़ में पूरी तरह बह गया है. उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है. खबरों के मुताबिक बाढ़ के पानी के रास्ते में आने वाले मकान बह गए हैं.
निचले इलाकों में भी मानव बस्तियों के तबाह होने की आशंका है. एहतियातन कई सारे गांवों को खाली करा लिया गया है और लोगों को सुरक्षित स्थान पर भेजा गया है. आईटीबीपी (ITBP) प्रवक्ता ने कहा कि रैणी गांव के पास एक पुल के ध्वस्त हो जाने की वजह से बॉर्डर पोस्ट से कनेक्टिविटी टूट गई है. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल को राहत और बचाव कार्य के लिए घटनास्थल पर भेजा गया है. हालांकि टिहरी, रूद्रप्रयाग, देहरादून, हरिद्वार और श्रीनगर सहित कई जिलों में हाई अलर्ट घोषित किया गया है और राहत और बचाव कार्य जारी है.
नंदादेवी ग्लेशियर क्या है?नंदादेवी ग्लेशियर भारत का दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत है. इसे भारत स्थित सबसे ऊंचा पर्वत भी कहते हैं, क्योंकि कंचनजंगा नेपाल के साथ लगी सीमा पर स्थित है. दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटियों में नंदादेवी ग्लेशियर का स्थान दूसरा है. नंदादेवी ग्लेशियर के ऊपर दक्षिण क्षेत्र को दक्किनी नंदादेवी ग्लेशियर और उत्तर क्षेत्र को उत्तरी नंदादेवी ग्लेशियर कहा जाता है. ये पूरी तरह बर्फ से ढंका है और इसी के एक हिस्से के टूटने के चलते रविवार को जोशीमठ के करीब के इलाकों में बाढ़ आ गई. ग्लेशियर के टूटने से बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, दरअसल ग्लेशियर ठोस रूप में बर्फीला पानी होता है, जो पहाड़ की तरह जमा होता है. इसके टूटने से पानी का प्रवाह शुरू हो जाता है और बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है. ग्लेशियर को हिमनद कहते हैं.

ग्लेशियर टूटता कैसे हैं?
ग्लेशियर कई कारणों से टूट सकता है. जैसे प्राकृतिक क्षरण, पानी का दबाव बनना, बर्फीला तूफान या चट्टान खिसकने से... इसके साथ ही बर्फीली सतह के नीचे भूकंप आने पर भी ग्लेशियर टूट सकता है. बर्फीले इलाकों में पानी के विस्थापन से भी ग्लेशियर टूट सकते हैं.
निचले इलाकों में भी मानव बस्तियों के तबाह होने की आशंका है. एहतियातन कई सारे गांवों को खाली करा लिया गया है और लोगों को सुरक्षित स्थान पर भेजा गया है. आईटीबीपी (ITBP) प्रवक्ता ने कहा कि रैणी गांव के पास एक पुल के ध्वस्त हो जाने की वजह से बॉर्डर पोस्ट से कनेक्टिविटी टूट गई है. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल को राहत और बचाव कार्य के लिए घटनास्थल पर भेजा गया है. हालांकि टिहरी, रूद्रप्रयाग, देहरादून, हरिद्वार और श्रीनगर सहित कई जिलों में हाई अलर्ट घोषित किया गया है और राहत और बचाव कार्य जारी है.
नंदादेवी ग्लेशियर क्या है?नंदादेवी ग्लेशियर भारत का दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत है. इसे भारत स्थित सबसे ऊंचा पर्वत भी कहते हैं, क्योंकि कंचनजंगा नेपाल के साथ लगी सीमा पर स्थित है. दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटियों में नंदादेवी ग्लेशियर का स्थान दूसरा है. नंदादेवी ग्लेशियर के ऊपर दक्षिण क्षेत्र को दक्किनी नंदादेवी ग्लेशियर और उत्तर क्षेत्र को उत्तरी नंदादेवी ग्लेशियर कहा जाता है. ये पूरी तरह बर्फ से ढंका है और इसी के एक हिस्से के टूटने के चलते रविवार को जोशीमठ के करीब के इलाकों में बाढ़ आ गई. ग्लेशियर के टूटने से बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, दरअसल ग्लेशियर ठोस रूप में बर्फीला पानी होता है, जो पहाड़ की तरह जमा होता है. इसके टूटने से पानी का प्रवाह शुरू हो जाता है और बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है. ग्लेशियर को हिमनद कहते हैं.
ग्लेशियर टूटता कैसे हैं?
ग्लेशियर कई कारणों से टूट सकता है. जैसे प्राकृतिक क्षरण, पानी का दबाव बनना, बर्फीला तूफान या चट्टान खिसकने से... इसके साथ ही बर्फीली सतह के नीचे भूकंप आने पर भी ग्लेशियर टूट सकता है. बर्फीले इलाकों में पानी के विस्थापन से भी ग्लेशियर टूट सकते हैं.