गुब्बारों (Balloon) का जासूसी के लिए उपयोग बहुत ही सामान्य बात है इसलिए अमेरिका में गुब्बारे का दिखना चिंता का विषय हो गया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
अमेरिका के आसमान (Sky of USA) में भारतीय समायनुसार शनिवार को एक चीनी गुब्बारे (Chinese Hot Air Balloo देखने से हड़कम्प मच गया. अमेरिका के अतिसंवेदी सुरक्षा तंत्र को देखते हुए यह एक बहुत ही बड़ी घटना थी. हैरानी की बात यह थी कि इस गुब्बारे को काफी समय तक आसमान में भटकने दिया गया और इस बात पर बहस छिड़ गई कि आखिर अमेरिका को इस गुब्बारे को मार गिराने (Shooting down the balloon) में इतनी मुश्किल क्यों हो रही है. बहरहाल, भारतीय समयानुसार रविवार की सुबह को अमेरिका के तीन एयरपोर्ट बंद करने के बाद इस गुब्बार को देश के पूर्वी तट पर गिरा दिया गया. लेकिन यह बहस जारी है कि इसमें इतना समय क्यों लगाया गया.
क्या हुआ था
अमेरिका के पैंटागन ने शुक्रवार को बताया था कि अमेरिका के वायुक्षेत्र में तीन बसों के आकार जितना बड़ा चीनी गुब्बारा देखा गया है. तभी से अमेरिका में बिना किसी शक के यह माना जा रहा था कि चीनी गुब्बारे को जासूसी के लिए ही भेजा गया है. माना जाता है कि जऐसे ही गुब्बारों का उपयोग जासूसी के लिए बहुत होता है.
तो क्या हलके मे ले रहा था अमेरिका
इस घटना को अमेरिका ने हलके में बिलकुल नहीं लिया बल्कि पूरी संवेदनशीलता से लिया. अमेरिका के विदेशमंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने अपने चीनी यात्रा को टाल दिया. बताया जा रहा है कि यह कदम चीन द्वारा अमेरिकी वायुक्षेत्र में चीनी घुसपैठ के विरोध में उठाया गया है.
खतरा कितना बड़ा
लेकिन केवल इतना ही नहीं हुआ. इस पर बहस भी छिड़ गई कि इसे मार गिरना नें देर क्यों हुई. एएफपी की खबर के मुताबिक एक अमेरिकी विशेषज्ञ ने शुक्रवार को कहा था कि यह पहला चीनी निगारानी गुब्बारा है जिसे पैंटागन ने अतिसंवेदनशील अमेरिकी बैलास्टिक मिसाइल इलाकों के ऊपर उड़ता पाया है जो कि उन्नत आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस तकनीक से निर्देशित हो सकता है.
एक और गुब्बारा?
पैंटागन ने यह भी बताया कि लैटिन अमेरिका के ऊपर भी एक और चीनी गुब्बारा बाद में उड़ता हुआ दिखाई था जिसका सटीक स्थिति की जानकारी नहीं दी गई. वहीं जहां तक इन्हें मार गिराने की बात है इसमें वॉशिंगटन की मैराथन थिंक टैंक के सर्विलिएंस बलून्स के विशेषज्ञ विलियम किम का कहना है कि गुब्बारे बहुत कीमती अवलोकन जरिया होते हैं जिन्हें मार गिराना मुश्किल होता है.
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यह भी कहा गया
लेकिन सवाल यही उठता है कि जब मामला इतना संवेदनशील होने के साथ गंभीर था तो गुब्बारे को तुरंत क्यों नहीं मारा गया. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति ने बयान दिया था कि वे इस मामले को संभाल लेंगे. वहीं पेंटागन और व्हाइट हाउस दोनों ने कहा था कि यह गुब्बारा किसी तरह का सैन्य और लोगों के लिए खतरा नहीं है.
क्या परेशानी होती है
ये गुब्बारे हीलियम गैस का उपयोग करते हैं इनके साथ ऐसा नहीं होता है कि उन्हें मार दिया और वे जल कर उड़ जाएंगे. गुब्बारे में छेद करने से गैस का रिसाव बहुत धीरे होता है. उन्होंने बताया कि इससे पहले 1998 में कनाडा की वायुसेना ने एक भटके हुए मौसम के गुब्बारे को गिराने का प्रयास किया था. उस पर हजारों फायर करने के बाद भी उसे गिरने में छह दिन लगे थे. इन्हें मारने से इनमें विस्फोट नहीं होता है. यह भी साफ नहीं था कि सतह से हवा पर वार करने वाली मिसाइल काम करपाएगी या नहीं क्योंकि उनका गाइडिंग सिस्टम तेज चलने वाली मिसाइल या विमान से टकराने पर बचने के लिए डिजाइन किया जाता है.
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बताया यह भी जा रहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने तो गुब्बारे को गिराने के आदेश पहले ही दे दिए थे, लेकिन उन्हें सलाह दी गई थी कि जल्दबाजी करने से गुब्बारा गिरते गिरते जमीन पर भी पहुंच सकता है जिससे सभी सुरक्षा पहलुओं को सुनिश्चित करने के बाद ही इसके गिराने के कार्य को अंजाम दिया गया. इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर चीन अमेरिका के बीच संबंधों को तनाव में ला दिया है.
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