पानी का संकट सिर्फ भारत में ही नहीं है. दुनिया के कई देश पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. लेकिन उन देशों ने अपने-अपने तरीके से जल संकट से निपटने के उपाय निकाले हैं. भारत में समस्या ज्यादा विकराल हो गई है क्योंकि इस दिशा में कोई ज्यादा काम नहीं हुआ है. दुनिया में ऐसे कई देश हैं, जिन्होंने पानी के संकट को दूर करने के लिए बेहतरीन तरीके से वाटर हार्वेस्टिंग कर रहे हैं. रेन वाटर हार्वेस्टिंग और रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग के जरिए ये देश पानी की बचत करके उसका बेहतर इस्तेमाल कर रहे हैं. भारत को इन देशों से सीखने की जरूरत है.
ब्राजील, सिंगापुर, आस्ट्रेलिया, चीन, जर्मनी और इजरायल पानी के संकट से निपटने में सबसे उन्नत तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. पानी के संकट को दूर करने का सबसे सस्ता और अच्छा उपाय है पानी की बचत, पानी का कम से कम इस्तेमाल करना. कई देशों ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग (वर्षा जल संचयन) को अपनी सेंट्रल वाटर मैनेजमेंट प्लान का हिस्सा बनाया है. उनका सबसे ज्यादा जोर वर्षा के जल को इकट्ठा करने पर है.
हालांकि इसके जरिए जमा हुए पानी का इस्तेमाल पीने के लिए नहीं किया जा सकता. लेकिन कुछ देशों ने इस दिशा में भी सफलता पाई है. 2009 में यूएन ने अपने यूनाइटेड नेशंस एनवायरमेंट प्रोग्राम में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को ज्यादा से ज्यादा पॉपुलर करने पर जोर दिया था. वर्षा जल संचयन में ब्राजील, चीन न्यूजीलैंड और थाइलैंड सबसे अच्छा काम कर रहे हैं. जर्मनी में 1980 से ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर काम हो रहा है. सिंगापुर ने नहरों और नालों को जोड़कर बाढ़ से बचने का बेहतरीन काम किया है. इससे सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी भी मिल जाता है.
ब्राजील रूफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग में सबसे आगे
ब्राजील ने रूफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग की दिशा में सबसे अच्छा काम किया है. इस तकनीक में घर की छत पर आने वाले बारिश के पानी को पाइप के जरिए बड़े-बड़े टैंक में इकट्ठा किया जाता है. ब्राजील के पास पूरी दुनिया का 18 फीसदी फ्रेश वाटर उपलब्ध है. लेकिन ब्राजील के बड़े शहरों को सिर्फ 28 फीसदी काम लायक पानी मिल जाता है. इस समस्या से निपटने के लिए ब्राजील ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर काम किया. ब्राजील ने एक प्रोजेक्ट चलाया जिसमें टारगेट रखा गया कि दस लाख लोगों के घरों पर रुफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के जरिए पानी की समस्या को दूर किया जाएगा. इस तकनीक के जरिए बारिश के पानी को गर्मी के मौसम में इस्तेमाल के लिए जमा करके रखा जाता है. ब्राजील की सरकार इस तकनीक के लिए आर्थिक मदद भी मुहैया करवाती है.
सिंगापुर ने नहरों का जाल बिछाकर दूर किया पानी का संकट
सिंगापुर छोटा लेकिन घनी आबादी वाला देश है. यहां प्रदूषित पानी की बड़ी समस्या थी. पीने का साफ पानी मिलने में मुश्किल होती थी. 1977 में सिंगापुर ने सफाई का बड़े पैमाने पर अभियान चलाया. सबसे ज्यादा प्रदूषित पानी की समस्या पर ध्यान दिया गया. इसी का नतीजा रही कि सिंगापुर नदी 1987 तक पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त हो गई. नदियों को साफ करने के बाद भी सिंगापुर साफ पानी की कमी की समस्या से जूझ रहा था. सिंगापुर ने स्टॉर्मवाटर ऑप्टीमाइजेशन के जरिए समस्या का हल निकाला. इस तकनीक में बाढ़ के पानी को नहरों के जरिए कंट्रोल कर उसे इस्तेमाल लायक बनाया जाता है. नहरों के लंबे चौड़े नेटवर्क ने सिंगापुर की पानी की समस्या काफी हद तक सुलझा दी.

पानी की समस्या से निपटने के लिए नई-नई तकनीकों पर काम चल रहा है
चीन ने चलाया 121 नाम से खास प्रोजेक्ट
रेन वाटर हार्वेस्टिंग के मामले में चीन ने भी अच्छा काम किया है. चीन में पूरी दुनिया की 22 फीसदी आबादी निवास करती है लेकिन फ्रेश वाटर के यहां सिर्फ 7 फीसदी रिसोर्सेज हैं. आबादी बढ़ने के बाद पानी की समस्या और बढ़ी है. चीन ने इसके लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग का बेहतर इस्तेमाल किया है. 1990 से ही यहां इस तकनीक पर काम हो रहा है. 1995 में जब यहां सूखा पड़ा तो सरकार ने 121 नाम से एक प्रोजेक्ट चलाया. जिसके तहत हर एक परिवार को बारिश का पानी इकट्ठा करने के लिए कम से कम 2 कंटेनर रखने होंगे. ये प्रोजेक्ट काफी सफल रहा.
जर्मनी में लोगों ने मिलजुल कर पानी बचाने का काम किया
जर्मनी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग छोटे स्तर पर शुरू हुआ. इस शुरू करने के पीछे पर्यावरण के प्रति संवेदनशील लोग थे. लेकिन धीरे-धीरे इसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से पब्लिक बिल्डिंग और यहां तक इंडस्ट्री भी जुड़ने लगे. रेन वाटर का ज्यादातर इसतेमाल यहां पीने के अलावा दूसरे कामों जैसे टॉयलेट आदि में होता है.

पानी का कम से कम इस्तेमाल भी एक उपाय है
आस्ट्रेलियाई सरकार पानी बचाने वालों को देती है आर्थिक मदद
आस्ट्रेलिया के कई राज्यों में 2003 से लेकर 2012 तक भीषण सूखा पड़ा. आस्ट्रेलियाई राज्य विक्टोरिया में पानी का लेवल 20 फीसदी कम हो गया. सरकार ने इससे निपटने के लिए लोगों को वाटर को रिसाइकल करने और रेन वाटर हार्वेस्टिंग के प्रति जागरुक किया. जर्मनी की सरकार ने नेशनल रेन वाटर और ग्रे वाटर के नाम से प्रोजेक्ट चलाए. सरकार ने पानी की बचत वाली तकनीक अपनाने वालों को आर्थिक मदद भी दी. इस तरह से वहां पानी का संकट दूर हो सका.
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FIRST PUBLISHED : July 03, 2019, 12:34 IST