ब्रह्माण्ड की उम्र की गणना करना आसान नहीं है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
सीधी ही बात करते हैं. ब्रह्माण्ड की उम्र 13.8 अरब साल की है. लेकिन यह संख्या कैसे निर्धारित हुई. आखिर वैज्ञानिकों को पता चला कि ब्रह्माण्ड की शुरुआत 13.8 साल पहले हुई थी क्योंकि अभी तक तो हमें पूरे ब्रह्माण्ड का अवलोकित कर ही नहीं सके हैं और हमें यह भी नहीं पता है कि हम उसका कितना हिस्सा जान पाए हैं. ऐसे में अवलोकित ब्रह्माण्ड से हमें उसकी उम्र का अदाजा कैसे हो गया. या फिर भविष्य में हमें ऐसे नए अवलोकरने के मौका मिले जिससे ब्रह्माण्ड की उम्र की नई गणना संभव हो जाए. आइए जानते हैं कि इस पर क्या कहता है विज्ञान (What does Science Say)?
एक मत नहीं रहे वैज्ञानिक
फिलहाल अवलोकित ब्रह्माण्ड की बात करें तो यहां के तारे गैलेक्सी और कई अन्य पिंडों की उम्र अरबों साल की है. वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्रह्माण्ड की उम्र का आंकलन गहरे अंतरिक्ष से आने वाले प्रकाश और अन्य प्रकार के विश्लेषण से हो सकता है. लेकिन यह भी सच है कि वैज्ञानिक कभी ब्रह्माण्ड की उम्र पर एकमत नहीं हुए, हां उनके निष्कर्ष बेहतर जरूर होते गए.
गणना एक प्रक्रिया
यान ब्रह्माण्ड की उम्र की गणना एक प्रक्रिया के तहत निश्चित हुई है. शुरुआत 1920 में एडविन हबल नाम के खगोलविद से हुई जब उन्होंने किसी वस्तु की दूरी इस आधार पता करने का तरीका निकाले कि उससे आने वाले प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में कितना समय लगता है. इसी के साथ पता चला कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पैक्ट्रम के जरिए यह भी पता लगाया जा सकता है कि कोई पिंड हमसे कितनी तेजी से दूर जा रहा है.
हबल कॉन्सटेंट की भूमिका
हबल कॉन्सटेंट नाम से प्रसिद्ध यह ईकाई ब्रह्माण्ड के विभिन्न इलाकों में हो रहे विस्तार की व्याख्या करती है. नासा के मुताबिक हबल कॉन्सटेंट दूर के पिंडों के लिए अधिक है और पास के पिंडों के लिए कम है जिसका सीधा अर्थ यही है कि ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति की दर भी बढ़ रही है. इसका एक मतलब यही है कि ब्रह्माण्ड की उम्र क सिद्ध करना मुश्किल है.
कैसे की गणनाएं
ब्रह्माण्ड की वर्तमान आयु वैज्ञानिकों के कई समूहों ने अपनी अपनी गणनाओं के आधार पर 2020 में निकाली थी जिसके लिए उन्होंने यूरोपीय स्पेस एजेंसी के प्लैंक स्पेसक्राफ्ट के आंकड़ों का फिर से आंकलन कर और आटाकामा कॉस्मोलॉजी टेलीस्कोप के आंकड़ों का विश्लेषण किया. नई उम्र 2013 की गणना से केवल 10 करोड़ साल अधिक थी. इन दोनों उपकरणों से वैज्ञानिकों ने कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड या सीएमबी का नक्शा बनाया जो कि बिग बैंग के बाद बचा हुआ प्रकाश है.
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बिग बैंग के बाद
इन आंकड़ों को वर्तमान प्रतिमानों से मिलाया गया जो बताते हैं कि सबकुछ शुरू होने के बाद पदार्थ और अन्य पिंड कितनी जल्दी अस्तित्व में आए होंगे. इससे वैज्ञानिक यह अनुमान लगा सके की ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति कब हुई होगी. वैज्ञानिकों को लगता है कि सीएमबी की उत्पत्ति बिग बैंग के चार लाख साल बाद हुई होगी. पहले ब्रह्माण्ड से प्लाज्मा निकला होगा जिसमें प्रकाश इलेक्ट्रॉन से जुड़ा होगा जो ठंडा होने पर मुक्त होकर चारों ओर फैला होगा जिसे हम सीएमबी कहते हैं.
2020 की गणना का नतीजा
इसी बिखरे प्रकाश की दूरी का आंकलन कर वैज्ञानिक ब्रह्माण्ड की उम्र का अंदाजा लगाते हैं. हाल में बिखरे फोटोन या प्रकाश के कण की ज्यादा दूरी का मतल यही होता है कि ब्रह्माण्ड ज्यादा पुराना है क्योंकि सीएमबी को हम तक पहुंचने में ज्यादा लंबा समय लगता है. 2020 की नई गणना से ब्रह्माण्ड की उम्र 13.8 अरब साल निकली. इस आंकलन में मापन सटीक और विभेदन बेहतर था.
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सटीक मापन से गहराई से त्रुटियों की भी पता चलता है जिससे गणना को सुधारने का मौके मिलते हैं. जैसा कि 2020 के एटीसी के आंकड़े के जरिए किया जा सका जो कि बहुत ज्यादा संवेदी टेलीस्कोप है. इसी तरह के कुछ और अध्ययनों ने भी ब्रह्माण्ड की उम्र यही पाई है. लेकिन यह भी सच है कि ब्रह्माण्ड इससे भी पुराना हो सकता है क्योंकि सब कुछ अवलोकनों की सटीकता पर निर्भर करता है. भविष्य में टेलीस्कोप इन अवलोकनों को और सटीक और बेहतर कर देंगे इससे इनकार नहीं किया जा सकता है.
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Tags: Big bang, Research, Science, Space
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