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विरासत में मिले करोड़ों रुपयों का पालतू कुत्ते या बिल्ली क्या करते हैं?

ऐसे कई पालतू जानवर हैं, जिनके मालिकों ने अपनी वसीयत में उन्हें भी हिस्सेदार बनाया

ऐसे कई पालतू जानवर हैं, जिनके मालिकों ने अपनी वसीयत में उन्हें भी हिस्सेदार बनाया

साल 2019 में दुनिया के सबसे बड़े फैशन डिजाइनरों (fashion designer) में से एक Karl Lagerfeld की मौत के बाद उनकी पालतू बि ...अधिक पढ़ें

    कई सारे रईस हैं जो अपनी मौत के बाद अपने कुत्ते-बिल्लियों या अपने दूसरे जानवरों को लावारिस नहीं छोड़ना चाहते. यही वजह है कि विल तैयार करते हुए वे उनके नाम भी काफी हिस्सा छोड़ जाते हैं ताकि उनकी जिंदगी उसी ऐशोआराम से चल सके, जैसी चलती आई है. लेकिन जानवर तो पढ़-लिख नहीं सकते, वे तो खरीदारी नहीं कर सकते. फिर उन करोड़ों रुपयों का आखिर क्या होता है, जानिए.

    क्या कहता है कानून
    तकनीकी रूप से एक जानवर के नाम विरासत नहीं की जा सकती क्योंकि जानवर खुद ही एक प्रॉपर्टी है. यानी कानून के अनुसार एक प्रॉपर्टी दूसरी प्रॉपर्टी को नहीं सौंपी जा सकती. ऐसे में पशु-प्रेमी रईसों के लिए नया रास्ता देखा गया. उनके नाम पर प्रॉपर्टी तो की जाए लेकिन इस तरह से कि उनका काम उसी शान से चले, इसके लिए पेट ट्रस्ट बनाया जाता है. इस ट्रस्ट के नाम जायदाद इसलिए की जाती है ताकि वो जानवर की जरूरतों का उसी तरह से ध्यान रख सके, जैसा मालिक के जिंदा रहते में होता आया हो.

    ट्रस्ट का इंतजाम ऐसे होता है कि ट्रस्टी की जानकारी में ही बेनिफिशयरी यानी कुत्ते या बिल्ली को जरूरत का सारा सामान मिले


    ट्रस्टी की जिम्मेदारी
    इसमें ट्रस्ट का इंतजाम ऐसे होता है कि ट्रस्टी की जानकारी में ही बेनिफिशयरी यानी कुत्ते या बिल्ली को जरूरत का सारा सामान मिलता है. ट्रस्टी के पास फंड होता है जो उसे जानवर के वर्तमान केयरटेकर को देता है. ये ट्रस्टी की जिम्मेदारी होती है कि वो ये पक्का करे कि जानवर के पास उसकी जरूरत के मुताबिक सारी चीजें आ रही हैं या नहीं. पशु की मौत के बाद ट्रस्टी ही फंड को किसी चैरिटी में दे सकता है जो जानवरों की देखभाल करती हो. या फिर ये पैसे कहीं और खर्च किए जा सकते हैं.

    बिल्ली खुद है अमीर
    अब कहानी पढ़ें, उस बिल्ली Choupette की, जो अब करोड़ों की मालकिन है. बर्मीज मूल की इस बिल्ली के पास अपनी खुद की अच्छी-खासी संपत्ति है. इंस्टाग्राम पर 250,000 से ज्यादा फॉलोवर रखने वाली इस बिल्ली के पास लगातार ब्यूटी प्रोडक्ट्स के विज्ञापनों में काम के प्रस्ताव आते रहते हैं. साथ ही एक फ्रेंच कार मॉडल की एंबेसेडर है. यहां तक कि इस बिल्ली पर 2 किताबें तक लिखी जा चुकी हैं.




    जानवरों पर खतरे भी हैं
    वैसे रईसों के जानवरों के नाम हुई विरासत के कई खतरे भी हैं. जैसे कई बार असली जानवर के मरने पर केयरटेकर उससे मिलता-जुलता पशु ले आता है ताकि पैसे मिलते रहें और नए जानवर के मरने पर उसे भी रिप्लेस कर दिया जाता है. कई बार पैसों के कारण लोग मासूम जानवर की जान के पीछे पड़ जाते हैं. जैसे साल 2007 में रियल एस्टेट एजेंट Leona Helmsley की मौत के बाद वे अपनी 12 मिलियन डॉलर की संपत्ति अपने कुत्ते के नाम कर गई थीं. इसके बाद रिश्तेदार भड़क उठे और कुत्ते पर जानलेवा हमले भी हुए. बाद में जज ने कुत्ते के पैसे घटकर 2 मिलियन डॉलर कर दिए.

    कई ऐसे भी मामले देखे गए हैं, जिनमें उत्तराधिकारी इतना लंबा जी लेता है कि उसका सारा फंड खत्म होने को आ जाता है. ऐसे में स्थानीय संस्थाएं परिवार के लोगों की निगरानी में तय करती हैं कि उन्हें कहां रखा जाना चाहिए. जैसे कछुओं की उम्र आमतौर पर 100 बरस से ज्यादा होती है, ऐसे में विल तैयार करते हुए वकील उन्हें पहले से ही एक ट्र्स्ट बनाकर रखने की सलाह देते हैं.

    कई बार असली जानवर के मरने पर केयरटेकर उससे मिलता-जुलता पशु ले आता है ताकि धोखा दे सके


    कहां खर्च होता है जानवरों का पैसा
    जानवर के लिए उसकी नस्ल के मुताबिक खास तरह की डायट दी जाती है. आमतौर पर पेट-ऑनर इसे लेकर काफी पक्के होते हैं कि उनके कुत्ते या बिल्ली को फलां चीज ही दी जाएगी या फलां के लिए वो एलर्जिक है. उसे समय-समय पर वेट क्लिनिक ले जाना होता है. इसमें रुटीन चेकअप से लेकर वैक्सिनेशन भी शामिल होता है. कुत्तों या बिल्लियों के लिए अगर से ब्यूटी उत्पाद होते हैं, जो उनकी स्किन पर कोई खराब असर न करे. यहां तक कि मौसम के अनुसार और अलग-अलग मौकों पर पहनने के लिए भी उनके पास अलग से वॉडरोब होती है, जिसमें कपड़े और जेवर होते हैं. उनका कमरा और बिस्तर भी अक्सर अलग होता है, जो खासा महंगा होता है. उन्हें वॉक कराने के लिए एक अलग व्यक्ति अपॉइंट होता है, जिसे डॉग वॉकर कहते हैं.

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    Tags: Animal husbandry, BJP, Maneka gandhi, National animal, PETA India

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