पिछले कुछ सालों से हांगकांग के प्रदर्शन लगातार खबरें बनते रहे हैं. हर बार चीन उसको अपनी तरह से नियंत्रित करने के लिए नए प्रावधान करती है और हर बार ही वहां व्यापक प्रदर्शनों के चलते उसे झटका लगता है लेकिन इस बार चीन ने हांगकांग को लेकर एक ऐसा कानून बनाया है, जिससे हांगकांग ना केवल पूरी तरह चीन के कंट्रोल में आ जाएगा बल्कि वहां के लोगों की आजादी भी खत्म हो जाएगी.
इन दिनों पूरी दुनिया में चीन के हांगकांग के बारे में बनाए गए नए कानून की ही चर्चा है. अमेरिका, ब्रिटेन और कई देश इसकी आलोचना कर चुके हैं. इसे लेकर हांगकांग खुद सुलग रहा है.
क्या है ये राष्ट्रीय सुरक्षा कानून
चीन ने हांगकांग के लिए नया राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून पास किया है. इससे हांग कांग के लोगों के तमाम अधिकार खत्म हो जाएंगे. उनकी अनूठी आजादी गुजरे जमाने की बात हो जाएगी. आखिर क्या है इस कानून में, क्यों हांग कांग के लोग इससे ड़रे हुए हैं.
दरअसल चीन लंबे समय से ऐसा कोई कानून चाहता था, जिससे वो सीधे हांग कांग के मामलों में दखलंदाजी कर सके. कुल मिलाकर ये सुरक्षा कानून हांग कांग के किसी भी शख्स को अपराधी करार दे सकता है. इस कानून का मतलब ये भी होगा कि हांग कांग में ना तो चीन का कोई विरोध कर सकेगा ना ही उसके खिलाफ कोई प्रदर्शन कर सकेगा और खुलेआम कुछ भी बोल सकेगा.
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हांग कांग में बनेगा नया सुरक्षा आफिस
चीन इस कानून के तहत हांग कांग में नया नेशनल सेक्युरिटी आफिस बनाएगा. जो वहां के हालात पर नजर रखेगा. खुफिया जानकारी इकट्ठा करेगा. अगर इस कार्यालय ने किसी के खिलाफ कोई मामला दर्ज किया, तो इसकी सुनवाई चीन में भी हो सकती है. कानून ये भी कहता है कि चीन का ये कार्यालय किसी सुपर वॉच डॉग की तरह काम करेगा. हांगकांग के उसके साथ तालमेल के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग बनाना होगा. साथ ही उसकी बात भी माननी सुननी होगी.
सारी बागडोर चीन के हाथ में आ जाएगी
यही नहीं चीन का ये नेशनल सेक्युरिटी आफिस हांग कांग में राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों की सुनवाई के लिए खुद ही जज भी नियुक्त करेगा. कुल मिलाकर इसके जरिए चीन का सारा कंट्रोल हांग कांग के मामलों पर हो जाएगा. अब हांग कांग में अगर कोई सुरक्षा कानून से खिलवाड़ करने का दोषी पाया जाएगा तो उसे आजीवन कारावास भी हो सकता है यानि उसकी आवाज पूरी तरह से बंद कराने की पूरी व्यवस्था रहेगी.

चीन के नए सुरक्षा कानून के तहत हांग कांग में एक राष्ट्रीय सुरक्षा आफिस बनाएगा, जो वहां पर नजर रखेगा और सुरक्षा से खिलवाड़ होने संबंधी अपराधों पर कार्रवाई भी करेगा
सबसे बड़ी बात ये भी होगी कि चीन और उसका हांग कांग में बना ये राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यालय किस तरह से इस कानून की व्याख्या करेगा और किस तरह इसे लागू करेगा. कुल मिलाकर ये आफिस हांग कांग का सबसे ज्यादा अधिकारसंपन्न नियामक बन जाएगा. ये किसी तानाशाह की तरह कुछ भी कर सकेगा. आमतौर पर ये समझ सकते हैं कि सबकुछ चीन के रहमोकरम पर निर्भर हो जाएगा.
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23 साल पहले हांग कांग पर खत्म हुआ था ब्रिटेन का कंट्रोल
हांग कांग से 23 साल पहले ब्रिटेन का कंट्रोल खत्म हुआ था. तभी से ये कयास लगते रहे हैं कि चीन यहां की आजादी खत्म करके यहां अपने तरीके से शासन चलाएगा. यहां लोगों को जिस तरह अब तक अभिव्यक्ति की आजादी के साथ विरोध प्रदर्शनों की छूट थी, वो खत्म हो जाएगी. ये कानून 01 जुलाई से लागू हो जाएगा. चीन की अगर अब तक कार्यशैली देखें तो वो कहता कुछ है और करता वही है, जो उसका असली एजेंडा होता है.
क्या डर सता रहा है इस कानून से
हांग कांग के लोगों को ये डर भी है कि इससे वहां की न्यायिक आजादी भी बीते दिनों की बात हो जाएगी. पूरी व्यवस्था और शासन की कार्यशैली वैसी ही हो जाएगी जैसी चीन में है. हांग कांग चीन का अकेला शहर है, जहां कॉमन लॉ लागू है. लोगों को ये भी डर है कि हांग कांग ह भी चिंता है कि हॉन्ग कॉन्ग की स्वतंत्रता को ख़तरा हुआ तो यहां के व्यापार और आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ेगा.

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एक अनूठे करार के तहत 1997 में ब्रिटेन ने हांग कांग को चीन को सौंपा था. तब ये कहा गया था कि हांग कांग को चीन "एक देश, दो प्रणाली" सिद्धांत के आधार पर ही चलाता रहेगा. इसके अनुसार हांग कांग के लोगों की अभिव्यक्ति की आज़ादी बनी रहेगी और वहां स्वतंत्र न्यायपालिका काम करती रहेगी. साथ ही लोगों के गणतांत्रिक अधिकार भी सुनिश्चित रहेंगे.
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क्या चाहते हैं हांगकांग के लोग
1. प्रत्यर्पण बिल को वापस ले लिया जाए.
2. पुलिस के हिंसक और बर्बरतापूर्ण व्यवहार की निष्पक्ष जांच हो दोषियों को दंड दिया जाए.
3. प्रदर्शनकारियों को दंगाई की संज्ञा न दी जाए और उन पर लगे सारे आरोपों को वापस लिया जाए.
4. विधायी परिषद और मुख्य कार्यकारी के चुनाओं में सर्वव्यापक मताधिकार की व्यवस्था की जाए.
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Tags: China, Development model of china, Hong kong, India and china
FIRST PUBLISHED : July 01, 2020, 13:40 IST