चीन का दावा है कि वो साल 2025 तक देश के आधे से ज्यादा हिस्से में जब चाहे बारिश करवा सकेगा.
सीमा पार चीन के साथ तनाव बना हुआ है. इस बीच खबर आ रही है कि वो कूटनीतिक मोर्चों पर कमजोर पड़ने के बाद भारत को हराने के लिए नए-नए तरीके आजमा सकता है. ऐसा ही एक तरीका क्लाउड सीडिंग है. इसमें चीन अपने यहां तो कृत्रिम बारिश तैयार करेगा, साथ ही तकनीक के जरिए ऐसे हालत पैदा कर सकता है कि भारत के कई हिस्से सूखाग्रस्त हो जाएं.
चीन ने सबसे पहले साल 2008 में अपने वेदर मॉडिफिकेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया था. तब उसने बीजिंग ओलंपिक के दौरान बारिश रोकने और आसमान खुला रखने के लिए तकनीक का सहारा लिया, जिसे क्लाउड सीडिंग कहा गया. इसके तहत उसने ओलंपिक शुरू होने के पहले आसमान में 1000 से ज्यादा रॉकेट एक साथ दागे. ताकि सारी बारिश पहले ही हो जाए और मौसम खुल जाए.
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इसमें रॉकेट के भीतर सिल्वर आयोडाइड और क्लोराइड भरकर उसे छोड़ा जाता है. इससे बादल आसपास जमा हो जाते हैं और जमकर बारिश होती है. इसके बाद एक समय तक के लिए आसमान खुला रहता है. या फिर इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब जरूरत हो, बारिश कराई जा सकती है. लेकिन यहां समझने की बात है कि क्लाउड सीडिंग से तभी बारिश हो सकती है, जब पहले से ही आसमान में बादल मौजूद हों.
अमेरिका समेत कई देश बारिश के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल कर चुके हैं लेकिन चीन इस मामले में सबको पछाड़ रहा है. खास इसी मकसद से चीन ने क्लाउड सीडिंग के लिए लगभग 35,000 लोगों को तैनात किया है.
भारत-चीन तनाव के बीच हो सकता है कि चीन मौसम बदलने की इस तकनीक का उल्टा- पुल्टा इस्तेमाल करने लगे. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट में इसका जिक्र है. मणिपाल अकादमी की असिस्टेंट प्रोफेसर धनश्री जयराम के मुताबिक बिना रेगुलेशन के जियोइंजीनियरिंग करना दो देशों जैसे भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ा सकता है. चूंकि इसका प्रभाव काफी दूर तक होता है तो ये हो सकता है कि चीन अपने इलाके में बदलाव की कोशिश करे तो इसका असर हमारे यहां भी हो और मौसम ज्यादा विपरीत हो जाए.
मिसाल के तौर पर अगर चीन अपने यहां घनघोर बारिश रोकने के लिए मौसम से छेड़छाड़ कर उसे कम करने की कोशिश करे और इसका असर भारत के उन इलाकों तक चला जाए, जहां पहले से ही कम बारिश होती है तो यहां सूखा पड़ सकता है. इस तरह से दोनों देशों में तनाव बढ़ सकता है. नेशनल ताइवान यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यहां तक कह दिया कि ये भी हो सकता है कि चीन का ये विवादित प्रोजेक्ट पड़ोसी देशों से बारिश की चोरी करने लगे और उन देशों को सूखाग्रस्त बनाने लगे.
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साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार बारिश के लिए चीन अब लगातार क्लाउड सीडिंग तकनीक अपना रहा है. जल्दी ही वो समय भी आ सकता है कि वो भारत के साझा नदियों के पानी को सुखाकर बादल बनाने लगे. ऐसे में देश के सीमावर्ती इलाकों में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) और रिमोट सेंसिंग तकनीक को उन्नत करने की जरूरत महसूस की जा रही है ताकि चीन की हरकतों पर नजर रखी जा सके.
बता दें कि चीन ने साल 2020 की बारिश के दौरान ब्रह्मपुत्र नदी में उफान को लेकर भारत को आगाह नहीं किया था, जिससे असम का बड़ा हिस्सा जलमग्न हो गया था. ये वॉटर डिप्लोमेसी का खुला उल्लंघन है. चीन लगातार ऐसी हरकतें कर रहा है. यही देखते हुए भारत अपने वेदर रडार नेटवर्क को उत्तर-पूर्व में बढ़ाने जा रहा है. यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट में ये बात मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के सेक्रेटरी एम राजीवन के हवाले से कही गई. उन्होंने बताया कि तीन रडार हिमालय में लगाए जा चुके हैं और जल्दी ही बाकी रडार लगाने का काम भी हो जाएगा. हालांकि सारे रडार कब तक लगाए जा सकेंगे, इसपर कोई पक्की जानकारी नहीं दी गई.
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