जानें क्या है गोहत्या निरोधक कानून और किस तरह हो रहा दुरुपयोग
जानें क्या है गोहत्या निरोधक कानून और किस तरह हो रहा दुरुपयोग
भारत के संविधान में गोहत्या पर रोक का प्रावधान है लेकिन इस पर अलग अलग राज्यों के अलग कानून भी हैं.
उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिंता जाहिर की है कि राज्य में गोहत्या निरोधक कानून का दुरुपयोग हो रहा है. निर्दोषों में इसमें फंसाया जा रहा है. जानते हैं कि क्या गोहत्या निरोधक कानून और क्यों इसमें अलग अलग राज्यों में सजा भी अलग अलग है
भारत के कानून में गोहत्या के खिलाफ कड़े प्रावधान हैं. लेकिन कुछ राज्य इसको लागू करते हैं और कुछ नहीं. देश के अलग अलग राज्यों में गोहत्या निरोधक कानून के तहत सजाओं के प्रावधान भी अलग अलग हैं. लेकिन आमतौर पर इन कानूनों का दुरुपयोग ज्यादा हो रहा है. ऐसे ही कुछ मामले उत्तर प्रदेश में भी सामने आए हैं.
क्या कहता है संविधान
भारत के संविधान के अनुच्छेद 48 में राज्यों को गायों और बछड़ों की हत्या को प्रतिबंधित करने का आदेश दिया गया है. 26 अक्टूबर 2005 को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में भारत में विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा गाय हत्या कानूनों की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा. भारत में 29 राज्यों में 20 में गोहत्या या गोमांस बिक्री को प्रतिबंधित करने संबंधी अलग अलग नियम हैं.
किन राज्यों में नहीं है प्रतिबंध
दस राज्यों - केरल, पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम और एक केंद्र शासित राज्य लक्षद्वीप में गो-हत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है.वहां ये बाजार में बिकता भी है और खाया भी जाता है. ये वहां के रेस्टोरेंट और होटलों में भी परोसा जाता है. यहां गाय, बछड़ा, बैल, सांड और भैंस का मांस खुले तौर पर बाज़ार में बिकता है और खाया जाता है. आठ राज्यों और लक्षद्वीप में तो गो-हत्या पर किसी तरह को कोई क़ानून ही नहीं है.
असम और पश्चिम बंगाल में जो क़ानून है उसके तहत उन्हीं पशुओं को काटा जा सकता है जिन्हें 'फ़िट फॉर स्लॉटर सर्टिफ़िकेट' मिला हो. ये उन्हीं पशुओं को दिया जा सकता है जिनकी उम्र 14 साल से ज़्यादा हो, या जो प्रजनन या काम करने के क़ाबिल ना रहे हों.
वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक़ इनमें से कई राज्यों में आदिवासी जनजातियों की तादाद 80 प्रतिशत से भी ज़्यादा है. इनमें से कई प्रदेशों में ईसाई धर्म मानने वालों की संख्या भी अधिक है.
क्या है देश की मांग निर्यात नीति
भारत में मौजूदा मांस निर्यात नीति के अनुसार, गोमांस (गाय, बैल का मांस और बछड़ा) का निर्यात प्रतिबंधित है. इसे निर्यात करने की अनुमति नहीं है. केवल भैंस, बकरी, भेड़ और पक्षियों के मांस को निर्यात की अनुमति है.
देश में 10 राज्यों में गो-हत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है.वहां ये बाजार में बिकता भी है और खाया भी जाता है.
क्या हालिया केंद्र सरकार ने भी इस पर कोई कदम उठाया था
26 मई 2017 को, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पूरे देश में पशु बाजारों में वध के लिए मवेशियों की बिक्री और खरीद पर प्रतिबंध लगा था. लेकिन जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मवेशियों की बिक्री पर प्रतिबंध को निलंबित कर दिया.
उत्तर प्रदेश में क्या है गोहत्या निरोधक कानून
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश सरकार ने गोहत्या निरोधक कानून को कड़ा कर दिया है. अब गोहत्या के दोषी को 10 साल तक की जेल और 5 लाख तक जुर्माना भरना होगा. पहले इसके लिए 7 साल की जेल का प्रावधान था. योगी सरकार ने एक अध्यादेश के जरिए कानून में बदलाव किया है. अब सिर्फ गोहत्या नहीं बल्कि तस्करी में भी कड़ी सजा का प्रावधान होगा.
गाय को चोट पहुंचाने या उसकी जान को खतरे में डालने वाला कोई भी काम करना सजा की वजह बन सकता है. यही नहीं तस्करी या चोट पहुंचाने जैसे मामलों में पीड़ित गाय का एक साल तक का खर्च भी दोषी को उठाना होगा. अगर कोई दोबारा गोहत्या कानून के तहत दोषी पाया गया तो सजा डबल हो जाएगी.गो तस्करी में ड्राइवर और गाड़ी मालिक को भी सजा होगी.
उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और कई राज्यों में गोहत्या और इसके निर्यात पर कड़ी सजा का प्रावधान है लेकिन लगातार इन कानूनों के गलत इस्तेमाल की भी खबरें आती रही हैं. (तस्वीर साभार: Rashtriya Kamdhenu Aayog website)
गुजरात में उम्रकैद
गुजरात में गो हत्या करने वालों को उम्र क़ैद की सज़ा हो सकती है. गुजरात सरकार ने गुजरात पशु संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2011 को कुछ साल पहले पारित किया था. गुजरात में कानून में नए संशोधनों के तहत इससे जुड़े सभी अपराध अब ग़ैर ज़मानती हो गए. सरकार उन गाड़ियों को ज़ब्त कर लेगी, जिनमें बीफ़ ले जाया जाएगा.
हरियाणा में भी कड़ी सजा
हरियाणा में लाख रुपए का जुर्माना और 10 साल की जेल की सज़ा का प्रावधान है. महाराष्ट्र में गो-हत्या पर 10,000 रुपए का जुर्माना और पांच साल की जेल की सज़ा है. छत्तीसगढ़ के अलावा इन सभी राज्यों में भैंस के काटे जाने पर कोई रोक नहीं है.
कुछ राज्यों में सजा नरम
कुछ राज्यों में सज़ा और जुर्माना कुछ नरम है. जेल की सज़ा छह महीने से दो साल के बीच है जबकि जुर्माने की अधितकम रक़म सिर्फ़ 1,000 रुपए है. ये वो राज्य हैं जहां गोहत्या पर आंशिक प्रतिबंध है. ये हैं - बिहार, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा और चार केंद्र शासित राज्यों - दमन और दीव, दादर और नागर हवेली, पांडिचेरी, अंडमान ओर निकोबार द्वीप समूह.
किस तरह कानून का हो रहा है दुरुपयोग
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निर्दोष व्यक्तियों को फंसाने के लिए उत्तर प्रदेश गोहत्या निरोधक कानून, 1955 के प्रावधानों के लगातार दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की
- कानून का निर्दोष व्यक्तियों के खिलाफ दुरुपयोग किया जा रहा है
गो हत्या कानून को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि निर्दोष लोगों के खिलाफ गोहत्या निरोधक कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है. लोगों को नाहक फंसाया जा रहा है.
- जब भी कोई मांस बरामद किया जाता है, तो इसे सामान्य रूप से गाय के मांस (गोमांस) के रूप में दिखाया जाता है, बिना इसकी जांच या फॉरेंसिक प्रयोगशाला द्वारा विश्लेषण किए बगैर.
- अधिकांश मामलों में, मांस को विश्लेषण के लिए नहीं भेजा जाता है.
- व्यक्तियों को ऐसे अपराध के लिए जेल में रखा गया है जो शायद किए नहीं गए थे.
भारत सबसे ज्यादा बीफ निर्यात करने वाला देश
भारत की 80 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी हिंदू है जिनमें ज़्यादातर लोग गाय को पूजते हैं. लेकिन ये भी सच है कि दुनियाभर में 'बीफ़' का सबसे ज़्यादा निर्यात करनेवाले देशों में भारत एक है.