दुनियाभर में बजुर्गों की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में हर देश में बेहर पेंशन व्यवस्था लागू होना जरूरी है.
Best Pension System: अमेरिका के सीएफए इंस्टीट्यूट की ओर से जारी किए गए वैश्विक पेंशन सूचकांक के मुताबिक, बेहर पेंशन व्यवस्था के मामले में भारत 41वें नंबर पर आता है. सूचकांक में 44 देशों को बेहतर पेंशन व्यवस्था के आधार पर शामिल किया गया है. भारत को इस मामले में ग्रेड डी में रखा गया है. इस बीच, देश में नई और पुरानी व्यवस्था में बेहतर को लेकर बहस जारी है. कुछ राज्यों ने अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल कर दी है तो कुछ इसकी तैयारी में हैं. भारत की हालत इस मामले में तब से खराब है, जब सीएफए की इस सूची में सिर्फ 16 देश ही होते थे.
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाले ऑटोनॉमस रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक के मुताबिक, देश में फिलहाल 85 फीसदी कामगारों के लिए पेंशन जैसी कोई व्यवस्था ही नहीं होती है. उन्हें सरकार की ओर से मिलने वाली सामाजिक पेंशन पर ही अपना बुढ़ापा गुजारना होता है. वहीं, इस समय 57 फीसदी वरिष्ठ नागरिक ऐसे हैा, जिनको किसी तरह की पेंशन मिलती ही नहीं है. वहीं, बीपीएल के 26 फीसदी बुजुर्गों को पेंशन की सुविधा मिल रही है. वहीं, दुनिया में कई देश ऐसे हैं, जहां लागू बेहतर पेंशन व्यवस्था के कारण बुजुर्गों का जीवन काफी आसान हो जाता है. आइए जानते हैं कि भारत के इतर दुनिया के दूसरे देशों में पेंशन की क्या हालत है और किस देश की पेंशन व्यवस्था सबसे बेहतर मानी जाती है?
क्या है पेंशन और इसका फायदा?
सबसे पहले समझते हैं कि पेंशन क्या है और इसके क्या फायदे हैं. किसी भी व्यक्ति के बुढ़ापे में काम नहीं करने पर भी आर्थिक तौर पर सहारा देने वाली राशि पेंशन होती है. सरकारी कर्मचारी, प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले लोगों को इसका फायदा मिलता है. कुछ सेक्टर्स में इसके लिए कर्मचारियों को भी अंशदान करना होता है. अगर किसी देश में बुजुर्गों की तादाद बढ़ जाएगी तो उस देश पर पेंशन फंड का भार भी ज्यादा हो जाएगा. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक, मानव इतिहास में पहली बार 65 वर्ष या ज्यादा आयु वाले लोगों की तादाद 5 साल या कम उम्र के बच्चों के मुकाबले ज्यादा हो चुकी है. ऐसे में हर देश को अपने बुजुर्गों के बेहतर जीवन के लिए अच्छी पेंशन व्यवस्था लागू करनी ही होगी ताकि वे आर्थिक आजादी के साथ सम्मानजनक जीवन जी सकें.
दूसरे देशों में कैसी है पेंशन प्रणाली?
दुनिया के दूसरे देशों में बेहतर पेंशन व्यवस्था वाली 2022 की सूची में अमेरिका का 20वें पायदान पर है. सीएफए इंस्टीट्यूट के ग्लोबल पेंशन इंडेक्स में 44 ग्लोबल पेंशन सिस्टम्स का आकलन किया गया है. बता दें कि इन 44 देशों में दुनिया की 65 फीसदी आबादी रहती है. सीएफए ने इन देशों को बेहतर से सबसे खराब व्यवस्था के आधार पर सूची में ऊपर से नीचे की ओर शामिल किया है. मर्सर में सीनियर पार्टनर और अध्ययन के लेखक डॉ. डेविड नॉक्स का कहना है कि लगातार बढ़ती महंगाई, ब्याज दरों में वृद्धि और भविष्य की अनिश्चितताओं को देखते हुए काम करते समय ही हर व्यक्ति के लिए एक मजबूत रिटायरमेंट प्लान बना लेना बहुत महत्वपूर्ण होता है.
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कौन सा देश है सूची में सबसे ऊपर?
डॉ. नॉक्स कहते हैं कि लोगों को भविष्य के जोखिम, सेवानिवृत्त होने के बाद की अनिश्चितताओं, बुढ़ापे में जीवन की सुरक्षा, आर्थिक आजादी और आमदनी को लागतार जारी रखने के लिए संतुलित निवेश व बेहतर पेंशन सिस्टम पर विचार करना ही चाहिए. हमारे लिए ये समझना भी जरूरी है कि दुनिया भर में सेवानिवृत्ति आय प्रणाली आने वाले दशकों के लिए अपने लोगों की जरूरतों और अपेक्षाओं को पूरा करने में सक्षम होंगी या नहीं. सूची के मुताबिक, आइसलैंड दुनियाभर में बेहतर पेंशन प्रणाली के मामले में सबसे ऊपर है. पहले पायदान पर खड़े आइसलैंड की पेंशन व्यवस्था को 84.7 के स्केर के साथ ग्रेड ए में रखा गया है.
आइसलैंड में किसे मिलती है पेंशन?
आइसलैंड में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के पेंशन का अच्छा मिश्रण पाया गया है. यूरोपीय आयोग की वेबसाइट के अनुसार, आइसलैंड में वृद्धावस्था पेंशन का पूरा लाभ लेने के लिए आपको 16 से 67 वर्ष की आयु तक देश में कम से कम 40 वर्ष या उससे अधिक समय तक रहना चाहिए. देश के पेंशन कार्यक्रम आय से संबंधित हैं, जिसका मतलब है कि अगर आपकी अन्य आय है तो राशि घट सकती है. वहीं, अगर आपकी आय एक निश्चित राशि से अधिक है तो इसे पूरी तरह से रद्द कर दिया जा सकता है. साल 2022 की सूची में आइसलैंड के बाद नीदरलैंड्स, डेनमार्क, इजरायल, फिनलैंड, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे, स्वीडन, सिंगापुर, इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और नॉर्दर्न आयरलैंड को रखा गया है.
जल्दी रिटायरमेंट पर क्या है व्यवस्था?
बेहतर पेंशन व्यवस्था वाले देशों की सूची में दूसरे पायदान पर मौजूद नीदरलैंड्स 84.6 स्कोर के साथ ग्रेड ए में है. डच पेंशन सिस्टम के तीन प्रमुख स्तंभ हैं. इनमें जनरल ओल्ड एज पेंशन एक्ट, सप्लीमेंट्री एक्यूरल वाया द एम्प्लॉयर और स्प्लीमेंट्री इंडीविजुअल पेंशन पॉलिसीज शामिल हैं. अगर आप नीदरलैंड्स में रहते या काम करते हैं तो आप जनरल ओल्ड एज पेंशन एक्ट के तहत इंश्योर्ड होते हैं. जैसे ही आप 66 साल 7 महीने के होंगे, आप इसके हकदार हो जाते हैं. डेनमार्क 82 स्कोर के साथ ग्रेड ए में है. ये सूची में तीसरे पायदान पर आता है. डेनमार्क में रहने या काम करने वाले लोग सामान्य सेवानिवृत्ति की उम्र से 1-3 साल पहले अगर रिटायरमेंट ले लेते हैं तो भी पेंशन के हकदार होते हैं.
सूची में 20वें पायदान पर मौजूद अमेरिका 63.9 स्कोर के साथ सी प्लस ग्रेड में रखा गया है. पुर्तगाल को पहली बार इस सूची में शामिल किया गया है और ये देश 24वें स्थान पर है. वहीं, मेक्सिको का रिपोर्ट में खास तौर पर जिक्र किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मेक्सिको ने पेंशन सुधार कार्यक्रमों के जरिये काफी अच्छा प्रदर्शन किया है. इस सबके बीच फ्रांस का जिक्र बहुत जरूरी है. फ्रांस में लोग पेंशन व्यवस्था में सुधार को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
फ्रांस में पेंशन पर क्यों हो रहा विरोध?
फ्रांस की सरकार ने पेंशन सुधार विधेयक को बिना वोटिंग के ही पारित करा दिया है. लोग इस बिल का करीब दो महीने से विरोध कर रहे थे. बिल बिना वोटिंग के ही पारित होने के बाद फ्रांस में लोग विरोध प्रदर्शन के लिए सड़क पर उतर आए. माहौल इतना बिगड़ गया कि गुस्साए लोगों ने आगजनी तक कर डाली. दरअसल, राष्ट्रपति इमेनुअल मैक्रों सरकार के पेंशन रिफॉर्म बिल में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 62 साल से बढ़ाकर 64 वर्ष कर दी गई है. ऐसे में नए विधेयक के लागू होने पर कर्मचारियों को पेंशन का हकदार बनने के लिए दो साल ज्यादा काम करना पड़ेगा. इससे एक तरफ उनके जीवन पर असर पड़ेगा. वहीं, दूसरी तरफ नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को एक पद के लिए दो साल अतिरिक्त इंतजार करना होगा.
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