पिछले सप्ताहांत दक्षिण प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में स्थित टोंगा द्वीप समूह (Tonga archipelago) के हुंगा टोंगा –हुंगा हापेई द्वीपों पर हुए भीषण ज्वालामुखी विस्फोट (Volcanic eruption) के संकेत पूरी दुनिया में दिखाई दिए. केवल इसकी आवाज ही समूचे प्रशांत महासागरों के तटीय देशों में सुनाई पड़ी. ये सुनसान इलाका टोंगे देश से 60 किलोमीटर दूर मशहूर प्रशांत रिंग ऑफ फायर में पड़ता है जो इस ज्वालामुखी विस्फोट से एक बार फिर चर्चा में हैं जिसका संबंध पृथ्वी की भूगर्भीय गतिविधियों के साथ भूकंपीय गतिविधियों से भी बहुत गहरा है.
क्या है ये प्रशांत की रिंग ऑफ फायर
प्रशांत की रिंग ऑफ फायर जिसे पैसिफिक रिम या सर्कम पैसिफिक बेल्ट भी कहते हैं प्रशांत महासागर को घेरता हुए वह क्षेत्र जहां के सक्रिय ज्वालामुखी और बार बार आने वाले भूकंप इसे विशेष बनाते हैं. यहां दुनिया के 75 प्रतिशत ज्वालामुखी हैं जिनकी संख्या 450 से ज्यादा है और इसके साथ ही इस इलाके में दुनिया के 90 प्रतिशत भूकंप आते हैं
40 हजार किलोमीटर पट्टी
इस पट्टी की लंबाई 40 हजार किलोमीटर है जो न्यूजीलैंड से वृत्ताकार में घूमते हुए टोंगा, करमैडेकद्वीप, इंडोनेशिया, फिलीपीन्स, जापान तक जाती है और वहां से पूर्व की ओर एल्यूटियन द्वीपों से होते हुए दक्षिण की ओर मुड़ कर उत्तरी अमेरीका और दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमीतटो से दक्षिण की ओर जाती है.
एक नहीं बहुत सारी टेक्टोनिकप्लेट
यह क्षेत्र बहुत सारी टेक्टोनिक प्लेटों के किनारों से बना है जिसमें प्रशांत प्लेट, फिलीपीन प्लेट, जॉन डी फूका प्लेट, कोकोस प्लेट, नाजका प्लेट, और उत्तरी अमेरीकी प्लेट शामिल है. इन्हीं प्लेट की गतिविधि से या टेक्टोनिक गतिविधि से इन इलाकों में हर साल बहुत सारे भूकंप और सुनामी आते हैं.
निम्नस्खलन की प्रक्रिया
रिंग ऑफ फायर के इलाकों में टेक्टोनिक प्लेट एक दूसरे की ओर आती हैं और निम्नस्खलन क्षेत्र बना देती है जहां एक प्लेट दूसरी प्लेट के ऊपर चढ़ जाती है. यह बहुत ही धीमी प्रक्रिया जिसकीवजह से प्लेटसाल में एक या दो ही इंच खिसकती हैं. इसमें चट्टानें पिघलकर मैग्मा बन जाती हैं जिससे पृथ्वी की सतह गतिमान होती हैं और ज्वालामुखी गतिविधियों का कारण बन जाती हैं.
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यह इलाका भी इसी क्षेत्र में
टोंगा मामले में प्रशांत प्लेट इंडो ऑस्ट्रेलियन प्लेट के नीचे खिसक रही थी. इससे पिघला हुआ मैग्मा ऊपर आने की कोशिश करने लगा जिससे ज्वालामुखियों की शृंखला शुरू हो गई. निम्नस्खलन क्षेत्र में पृथ्वी के बहुत सारे प्रचंड भूकंप भी आते हैं. दिसंबर 26 2004 को आया भूकंप भी उस निम्नस्खनल क्षेत्र में आया था जहां भारतीय प्लेट बर्मा प्लेट के नीचे आ गई थी.
टेक्टोनिक गतिविधि
दरअसल पृथ्वी की सतह या पर्पटी का ऊपरी भाग जो सबसे ठोस है उससे महाद्वीप और महासगरों के तल बने हैं. यह पतली ठोस परत वास्तव में एक समान भूमि नहीं बल्कि पिघले हुए प्लास्टिक पर तैरती प्लेट हैं इन प्लेटों की गतिविधि ही महाद्वीपों की आकार और स्थिति निर्धारित करती हैं. इन प्लेट के किनारे भूकंप और ज्वलामुखियों के लिहाज से ज्यादा संवेदनशील होते हैं.
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टोंगा में आया भीषण ज्वालामुखी का प्रभाव भारत में भी वायुमंडलीय दाब के क्षणिक उछाल के रूप में देखा गया था. इस विस्फोट से पूरे प्रशांत महासागर में अलग अलग जगहों पर अलग तरह की सुनामी देखने को मिली थी. रिंग ऑफ फायर में कहीं भी हुआ इस तरह का ज्वालामुखी विस्फोट बाकी हिस्सों केलिए खतरे की घंटी होती है
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