जब 'सिक्के की उछाल' ने तय किया कि कौन बनेगा मेघालय का मुख्यमंत्री
News18Hindi Updated: November 20, 2019, 4:43 PM IST

सिक्का उछाल कर चुनावी नतीजे तय करने का रिवाज नया नहीं है.
राजस्थान (Rajasthan) में निकाय चुनावों (Municipal Elections) के नतीजों के दौरान खबरें आईं कि किसी प्रत्याशी की जीत का फैसला सिक्का उछाल कर यानी टॉस (Coin Toss) करके लिया गया है. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब राजनीति में 'किस्मत' का सहारा जीत-हार तय करने के लिए लिया गया है.
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- Last Updated: November 20, 2019, 4:43 PM IST
नई दिल्ली. राजस्थान (Rajasthan) में निकाय चुनावों (Municipal Elections) के नतीजों के दौरान खबरें आईं कि किसी प्रत्याशी की जीत का फैसला सिक्का उछाल कर यानी टॉस (Coin Toss) करके लिया गया है. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब राजनीति में 'किस्मत' का सहारा जीत-हार तय करने के लिए लिया गया है. भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय में तो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होने के लिए भी टॉस का सहारा लिया गया था.
द हिंदू अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक मेघालय राज्य में लगातार राजनीतिक अस्थिरता का दौर रहा. और शायद यही वजह है कि 1972 से 2017 के बीच में राज्य में 21 मुख्यमंत्री रहे. इतना ही नहीं एक बार तो राज्य में टॉस के जरिए मुख्यमंत्री बने थे. दरअसल गठबंधन कर सरकार बनाने की कोशिशों में जुटी दो पार्टियों के बीच सिक्का उछाल कर तय किया गया था कि किसका मुख्यमंत्री पहले बनेगा.
असम निकाय चुनाव में भी हुआ फैसला
असम में 2018 में हुए पंचायत चुनाव के दौरान भी विजेता उम्मीदवार घोषित करने के लिए टॉस का सहारा लिया गया था. ये घटना असम के बांग्लादेश के साथ लगती सीमा वाले हिस्से पास हुई थी. दरअसल चुनाव में प्रत्याशियों को समान वोट मिले थे. चुनाव अधिकारियों ने काफी माथापच्ची के बाद फैसला किया था कि जीत-हार टॉस के जरिए तय की जाएगी. स्वाधीन, हेलखांडी और लालमुख पंचायत के विजेताओं का निर्णय सिक्का उछाल कर ही लिया गया.
झारखंड में भी 'सिक्के' ने बदली थी किस्मत
साल 2010 में भी कुछ ऐसा ही झारखंड के पंचायत चुनाव में देखने को मिला था. ऐसा झारखंड के इतिहास में पहली बार हुआ था. राज्य के साहेबगंज जिले के बढरवा ब्लॉक में एक पंचायत समिति के सदस्य को टॉस के जरिए चुना गया था. प्रत्याशियों नवजीत बीवी और सुगना सुल्ताना के बीच चुनाव बराबरी पर छूटा था. दोनों को 610 वोट हासिल हुए थे. इसके बाद टॉस के जरिए ही चुनावी नतीजे का ऐलान किया गया.बीएमसी के चुनाव में भी हुआ था कुछ ऐसा
साल 2017 में मुंबई के निकाय चुनाव (बीएमसी ) में कुछ ऐसा ही नतीजा सामने आया था. मुंबई के वार्ड नंबर 220 में बीजेपी के अतुल शाह का मुकाबला शिवसेना के सुरेंद्र बगलकर से था. वोटों की गिनती के बाद अतुल शाह चुनाव हार गए थे. लेकिन बाद में उन्होंने नतीजे को चुनौती दी और दोबारा काउंटिंग की मांग की. जब दोबारा गिनती हुई तो दोनों प्रत्याशियों के वोट बराबर आए. इसके बाद लॉटरी का इस्तेमाल कर चुनाव नतीजे की घोषणा की गई जिसमें अतुल शाह विजयी हुए थे.

विदेशों में भी तय हुई है हार-जीत
इसी साल फिलिपींस में हुए मेयर के चुनाव में भी टॉस का इस्तेमाल किया गया था. फिलिपींस के पश्चिमी पालावान प्रांत के आरकेली में मेयर के चुनाव का नतीजा टॉस से ही तय हुआ. इस चुनाव में टॉस सू क्यूडिला ने चुनाव जीता था. अमेरिका के वर्जीनिया में भी 2017 में हुए एक चुनाव में नतीजा टॉस के जरिए तय हुआ था. वर्जीनिया के एक जिला प्रतिनिधि का चुनाव डेमोक्रेट उम्मीदवार शैली साइमंड्स ने टॉस की बदौलत जीता था.
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द हिंदू अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक मेघालय राज्य में लगातार राजनीतिक अस्थिरता का दौर रहा. और शायद यही वजह है कि 1972 से 2017 के बीच में राज्य में 21 मुख्यमंत्री रहे. इतना ही नहीं एक बार तो राज्य में टॉस के जरिए मुख्यमंत्री बने थे. दरअसल गठबंधन कर सरकार बनाने की कोशिशों में जुटी दो पार्टियों के बीच सिक्का उछाल कर तय किया गया था कि किसका मुख्यमंत्री पहले बनेगा.
असम निकाय चुनाव में भी हुआ फैसला
असम में 2018 में हुए पंचायत चुनाव के दौरान भी विजेता उम्मीदवार घोषित करने के लिए टॉस का सहारा लिया गया था. ये घटना असम के बांग्लादेश के साथ लगती सीमा वाले हिस्से पास हुई थी. दरअसल चुनाव में प्रत्याशियों को समान वोट मिले थे. चुनाव अधिकारियों ने काफी माथापच्ची के बाद फैसला किया था कि जीत-हार टॉस के जरिए तय की जाएगी. स्वाधीन, हेलखांडी और लालमुख पंचायत के विजेताओं का निर्णय सिक्का उछाल कर ही लिया गया.

झारखंड में भी 'सिक्के' ने बदली थी किस्मत
साल 2010 में भी कुछ ऐसा ही झारखंड के पंचायत चुनाव में देखने को मिला था. ऐसा झारखंड के इतिहास में पहली बार हुआ था. राज्य के साहेबगंज जिले के बढरवा ब्लॉक में एक पंचायत समिति के सदस्य को टॉस के जरिए चुना गया था. प्रत्याशियों नवजीत बीवी और सुगना सुल्ताना के बीच चुनाव बराबरी पर छूटा था. दोनों को 610 वोट हासिल हुए थे. इसके बाद टॉस के जरिए ही चुनावी नतीजे का ऐलान किया गया.बीएमसी के चुनाव में भी हुआ था कुछ ऐसा
साल 2017 में मुंबई के निकाय चुनाव (बीएमसी ) में कुछ ऐसा ही नतीजा सामने आया था. मुंबई के वार्ड नंबर 220 में बीजेपी के अतुल शाह का मुकाबला शिवसेना के सुरेंद्र बगलकर से था. वोटों की गिनती के बाद अतुल शाह चुनाव हार गए थे. लेकिन बाद में उन्होंने नतीजे को चुनौती दी और दोबारा काउंटिंग की मांग की. जब दोबारा गिनती हुई तो दोनों प्रत्याशियों के वोट बराबर आए. इसके बाद लॉटरी का इस्तेमाल कर चुनाव नतीजे की घोषणा की गई जिसमें अतुल शाह विजयी हुए थे.

विदेशों में भी तय हुई है हार-जीत
इसी साल फिलिपींस में हुए मेयर के चुनाव में भी टॉस का इस्तेमाल किया गया था. फिलिपींस के पश्चिमी पालावान प्रांत के आरकेली में मेयर के चुनाव का नतीजा टॉस से ही तय हुआ. इस चुनाव में टॉस सू क्यूडिला ने चुनाव जीता था. अमेरिका के वर्जीनिया में भी 2017 में हुए एक चुनाव में नतीजा टॉस के जरिए तय हुआ था. वर्जीनिया के एक जिला प्रतिनिधि का चुनाव डेमोक्रेट उम्मीदवार शैली साइमंड्स ने टॉस की बदौलत जीता था.
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First published: November 20, 2019, 3:48 PM IST