बिहार (Bihar) में बाढ़ (Flood) को लेकर खूब राजनीतिक बयानबाजी हो रही है. राज्य में बीजेपी-जेडीयू (BJP-JDU) की सरकार को आड़े हाथों लिया जा रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) पर खूब तंज कसे जा रहे हैं.
सुशील कुमार मोदी का एक फोटो वायरल हो गया है, जिसमें उन्हें परिवार समेत बाढ़ के पानी में डूबे हुए इलाके से रेस्क्यू किया गया है. सुशील कुमार मोदी का बंगला भी बाढ़ के पानी में डूबा है. उन्हें तीन दिन बाद उनके बंगले से निकाला जा सका.
सुशील कुमार मोदी के बाढ़ से रेस्क्यू किए जाने की तस्वीर ट्वीट करते हुए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने लिखा- 'बिहार की त्रासदी इस तस्वीर में है. पटनावासियों ने 35 वर्षों से सुशील मोदी और उनकी पार्टी को सभी चुनावों में जिताया है. ये खुद 15 वर्ष से सरकार में नगर विकास मंत्री रहे हैं. अगर इन्होंने drainage का फंड भ्रष्टाचार में drain करने की बजाए काम में लगाया होता तो आज इस अवस्था में नहीं होते.'
बिहार में बाढ़ पर विपक्ष के निशाने पर है नीतीश सरकार
पटना में बाढ़ की स्थिति और सुशील कुमार मोदी की वायरल तस्वीर पर राबड़ी देवी के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया- आज से 20 वर्ष पूर्व हमारी सरकार में सीवरों की नियमित सफाई होती थी. भारी बारिश के कारण अगर 1-2 घंटे में कुछ इंच भी जलजमाव होता था तो उसी 2-3 इंच पानी में सुशील कुमार मोदी नौटंकी करने धरने पर बैठ जाते थे. इनके 15 वर्ष के राज में 4 दिन से 5-6 फुट गंदा पानी जमा है. काहे नहीं नौटंकी कर धरना देता?
डिप्टी सीएम सुशील मोदी की वायरल तस्वीर
जेल में बंद आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव के ट्विटर हैंडल से भी ट्वीट आया- 'विपक्ष को गाली दे-देकर बिहार में इतना बिकासे कर दिए हैं कि अब सुशील अपने और नीतीश के 15 बरस के ‘विकास’ के साथ सड़क पर खड़ा है.' आरजेडी के सभी नेता नीतीश सरकार पर सवाल उठा रहे हैं. पटना में बाढ़ के पानी ने नीतीश सरकार पर आरोपों की बौछार कर दी है.
बाढ़ पीड़ितों का मजाक उड़ाने के लिए चर्चित रहे हैं लालू यादव
बिहार की राजनीति में बाढ़ को एक मौके के तौर पर देखा जाता है. इस स्थिति से निपटने में हर सरकार फेल रही है. आरजेडी बाढ़ के हालात पर नीतीश सरकार पर तंज कस रही है लेकिन बिहार में लालू राज के दौरान भी बाढ़ से निपटने के लिए कुछ नहीं किया गया. बाढ़ के हालात पर लालू यादव का मसखरापन काफी चर्चित रहा है.
लालू यादव आज भले ही नीतीश सरकार पर तंज कस रहे हैं लेकिन जब उनके राज में बाढ़ की स्थिति पर सवाल पूछा जाता था तो वो मजाकिया लहजे में जवाब देते- बिहार में बाढ़ गंगा मैय्या की कृपा है. गरीबों को फ्री में मछली खाने को मिल जाती है. अपनी चुनावी रैलियों में वो गांव के गरीबों से बाढ़ की महिमा का गुणगान करते. कहते- दो वक्त की रोटी मुश्किल से मिलती थी. देखो अब गंगा मैय्या की कृपा से फ्री में मछली मिल रही है. मछली खाओ और मौज करो.
2016 में बिहार में भयानक बाढ़ आई थी. आरजेडी चीफ लालू यादव बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने निकले. बाढ़ पीड़ितों से मिलकर बोले- हर किसी को आजकल गंगा का जल नहीं मिलता. आप लोग भाग्यशाली हैं, गंगा सबको बचाएगी. आप भाग्यशाली हैं कि गंगा आपके घर आई है. लालू का ये मसखरापन उस वक्त भी काफी चर्चित हुआ था.
लालू प्रसाद यादव
बाढ़ पर किसी सरकार ने नहीं किया कोई काम
बिहार में बाढ़ की समस्या कोई नई नहीं है. उत्तर बिहार की नदियों बागमती, बूढ़ी गंडक या कोसी बारिश के दिनों में उफनती रही हैं. इस बार काफी वर्षों बाद पटना में बारिश के पानी में डूबा है. पटना में जल जमाव ने वहां के लोगों की जिंदगी अस्त व्यस्त कर दी है. राज्य की राजधानी के इस हाल के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. लेकिन ये दुखद है कि अब तक इस स्थिति से निपटने के लिए किसी भी सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई है.
आजादी के बाद पहली बार बिहार में 1953-54 में बाढ़ की स्थिति से बचने के लिए एक परियोजना चलाई गई. इसे कोसी परियोजना का नाम दिया गया. 1953 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस परियोजना की शुरुआत की थी. नेहरू ने उस वक्त कहा था कि अगले 15 वर्षों में बिहार से बाढ़ा की समस्या पर काबू पा लिया जाएगा. लेकिन साल दर साल बीतने के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है. उसके बाद तमाम सरकारें आई गई लेकिन बिहार में बाढ़ की स्थिति में बदलाव नहीं आया.