क्या है Donald Trump का लगाया मुस्लिम बैन, जिसे जो बाइडन हटा सकते हैं?

ट्रंप प्रशासन ने आते ही कई मुस्लिम देशों के नागरिकों का अमेरिका में आना प्रतिबंधित कर दिया था- सांकेतिक फोटो (news18 via PTI)
ट्रंप प्रशासन ने आते ही कई मुस्लिम देशों के नागरिकों का अमेरिका में आना प्रतिबंधित (Muslim travel ban by Trump administration) कर दिया था. इसे मुस्लिम बैन भी कहते हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: January 18, 2021, 12:10 PM IST
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन 20 जनवरी को शपथ ग्रहण करने जा रहे हैं. इसके तुरंत बाद वो जो काम सबसे पहले करेंगे, उनमें से एक है कुछ मुस्लिम देशों पर अमेरिका की ओर से लगा ट्रैवल बैन हटाना. ये बैन डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में लगा था, जिसके पीछे ट्रंप का तर्क था कि वो अमेरिका को आतंकियों से सुरक्षित रखना चाहते हैं. जानिए, वे कौन से देश थे और इस बैन में क्या खास था.
ट्रंप ने आते ही लिया फैसला
साल 2017 में ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली. तत्काल बाद ही वो एक के बाद एक आदेश लेकर आए, जो कथित तौर पर आतंकवाद नियंत्रण के लिए थे. इसी के तहत पहला एग्जीक्यूटिव ऑर्डर कई मुस्लिम बहुल राष्ट्रों के अमेरिका आने पर रोक को लेकर था. इसे Protecting the Nation from Foreign Terrorist Entry भी कहा गया. विपक्षी दल हालांकि इसे सीधे मुस्लिम बैन कहने लगे. इस बैन के तहत इराक, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन के लोग यूएस नहीं आ सकते थे.
इस बैन का अमेरिका में ही काफी विरोध हुआ
इसके बाद ट्रंप ने दूसरा एग्जीक्यूटिव ऑर्डर निकाला, जिसमें कुछ संशोधन थे. इसके तहत सूची में से इराक को हटा दिया गया. साल 2018 में इसमें एक बार फिर से संशोधन हुआ, जिसे ट्रैवल बैन 3.0 कहा गया. इसके तहत जो फाइनल सूची बनी, उसमें उत्तर कोरिया, वेनेजुएला और चाड को शामिल किया गया, जबकि सूडान को हटा दिया गया.
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ये देश हुए शामिल
राष्ट्रपति चुनाव से कुछ महीनों पहले ट्रंप ने एक बार फिर से ट्रैवल बैन पर नजर दौड़ाई और कई सुधार किए. इसके तहत 6 अन्य देश भी ट्रैवल बैन में शामिल हो गए. ये देश हैं इरिट्रिया, किर्गिस्तान, म्यांमार, नाइजीरिया, सूडान और तंजानिया. हालांकि इन देशों को अमेरिका ने पूरी तरह से प्रतिबंधित नहीं किया, बल्कि केवल कुछ खास तरह के वीजा पर ही रोक लगाई, जिसके जरिए ट्रंप प्रशासन को डर है कि विदेशी अमेरिका में आतंक फैला सकते हैं.

किन लोगों पर बैन से फर्क पड़ा
विपक्षी दल का कहना रहा कि अमेरिका के दुनिया का सबसे ताकतवर देश होने के कारण आतंक प्रभावित लोग शरण लेने के लिए यहां आते रहे हैं. ऐसे में अमेरिका के ही अपने दरवाजे बंद करने से काफी शरणार्थी बाहर रह गए. पढ़ाई के लिए जो लोग भी इन मुस्लिम देशों से अमेरिका आना चाहते थे, उनका वीजा भी रिजेक्ट कर दिया गया. इससे पढ़ाई पर असर हुआ.
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किनको पड़ा फर्क
इसके अलावा किसी भी तरह की आपदा से जूझ रहे देशों के नागरिक केवल इसलिए अकेले पड़ गए क्योंकि अमेरिका ने उनके आने पर रोक लगा दी. यहां बता दें कि सोमालिया, सीरिया, यमन और सूडान जैसे देश इसी श्रेणी में आते हैं. इन्हें Temporary Protected Status (TPS) का दर्जा मिला हुआ है. इसे दर्जे के तहत युद्ध, प्राकृतिक आपदा, और दूसरे तरह के संकट होते हैं, जिनमें नागरिक अगर अपना देश छोड़ना चाहें तो उन्हें अस्थायी तौर पर कहीं और रहने की अनुमति मिल जाती है. लेकिन ट्रंप प्रशासन के मुस्लिम बैन के चलते युद्ध और भुखमरी से जूझते इन देशों के नागरिक भारी मुश्किल में रहे.

बाइडन की मुस्लिम नीति
अब बाइडन आते ही जिन मुद्दों को प्राथमिकता पर देखेंगे, मुस्लिम बैन उनमें से एक रहने वाला है. ये बात खुद बाइडन कह चुके हैं. वैसे साल 2020 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रचार के दौरान भी बाइडन मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए इस तरह की बातें और वादे कर चुके हैं. ट्रंप से लाइव डिबेट के दौरान बाइडन ने एक शब्द का इस्तेमाल किया था- इंशाअल्लाह. इस पर्शियन शब्द का अर्थ है, जैसी ईश्वर की इच्छा. इस शब्द ने तुरंत ही बहस सुनने वाले अमेरिकी मुस्लिम वोटरों और अरब देशों का भी ध्यान अपनी ओर खींचा था.
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बाइडन ओबामा प्रशासन के दौरान उप-राष्ट्रपति थे, उस दौरान भी वो लगातार मुस्लिम हितों की बात करते रहे. उन्होंने कई बार चीन के उइगर मुसलमानों और म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर बात की थी. चुनाव के दौरान उन्होंने ये वादा भी किया था कि राष्ट्रपति बनने पर वो चीन के शिनजियांग प्रांत में मुस्लिमों पर जो हिंसा हो रही है, उसके खिलाफ भी आवाज उठाएंगे.
ट्रंप ने आते ही लिया फैसला
साल 2017 में ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली. तत्काल बाद ही वो एक के बाद एक आदेश लेकर आए, जो कथित तौर पर आतंकवाद नियंत्रण के लिए थे. इसी के तहत पहला एग्जीक्यूटिव ऑर्डर कई मुस्लिम बहुल राष्ट्रों के अमेरिका आने पर रोक को लेकर था. इसे Protecting the Nation from Foreign Terrorist Entry भी कहा गया. विपक्षी दल हालांकि इसे सीधे मुस्लिम बैन कहने लगे. इस बैन के तहत इराक, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन के लोग यूएस नहीं आ सकते थे.

विपक्षी दल हालांकि इसे सीधे मुस्लिम बैन कहने लगे- सांकेतिक फोटो (pixabay)
इसके बाद ट्रंप ने दूसरा एग्जीक्यूटिव ऑर्डर निकाला, जिसमें कुछ संशोधन थे. इसके तहत सूची में से इराक को हटा दिया गया. साल 2018 में इसमें एक बार फिर से संशोधन हुआ, जिसे ट्रैवल बैन 3.0 कहा गया. इसके तहत जो फाइनल सूची बनी, उसमें उत्तर कोरिया, वेनेजुएला और चाड को शामिल किया गया, जबकि सूडान को हटा दिया गया.
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ये देश हुए शामिल
राष्ट्रपति चुनाव से कुछ महीनों पहले ट्रंप ने एक बार फिर से ट्रैवल बैन पर नजर दौड़ाई और कई सुधार किए. इसके तहत 6 अन्य देश भी ट्रैवल बैन में शामिल हो गए. ये देश हैं इरिट्रिया, किर्गिस्तान, म्यांमार, नाइजीरिया, सूडान और तंजानिया. हालांकि इन देशों को अमेरिका ने पूरी तरह से प्रतिबंधित नहीं किया, बल्कि केवल कुछ खास तरह के वीजा पर ही रोक लगाई, जिसके जरिए ट्रंप प्रशासन को डर है कि विदेशी अमेरिका में आतंक फैला सकते हैं.

अमेरिका के अपने दरवाजे बंद करने से काफी शरणार्थी बाहर रह गए- सांकेतिक फोटो (pixabay)
किन लोगों पर बैन से फर्क पड़ा
विपक्षी दल का कहना रहा कि अमेरिका के दुनिया का सबसे ताकतवर देश होने के कारण आतंक प्रभावित लोग शरण लेने के लिए यहां आते रहे हैं. ऐसे में अमेरिका के ही अपने दरवाजे बंद करने से काफी शरणार्थी बाहर रह गए. पढ़ाई के लिए जो लोग भी इन मुस्लिम देशों से अमेरिका आना चाहते थे, उनका वीजा भी रिजेक्ट कर दिया गया. इससे पढ़ाई पर असर हुआ.
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किनको पड़ा फर्क
इसके अलावा किसी भी तरह की आपदा से जूझ रहे देशों के नागरिक केवल इसलिए अकेले पड़ गए क्योंकि अमेरिका ने उनके आने पर रोक लगा दी. यहां बता दें कि सोमालिया, सीरिया, यमन और सूडान जैसे देश इसी श्रेणी में आते हैं. इन्हें Temporary Protected Status (TPS) का दर्जा मिला हुआ है. इसे दर्जे के तहत युद्ध, प्राकृतिक आपदा, और दूसरे तरह के संकट होते हैं, जिनमें नागरिक अगर अपना देश छोड़ना चाहें तो उन्हें अस्थायी तौर पर कहीं और रहने की अनुमति मिल जाती है. लेकिन ट्रंप प्रशासन के मुस्लिम बैन के चलते युद्ध और भुखमरी से जूझते इन देशों के नागरिक भारी मुश्किल में रहे.

हाल में ट्रंप ने एक बार फिर से ट्रैवल बैन पर नजर दौड़ाई और बदलाव किए
बाइडन की मुस्लिम नीति
अब बाइडन आते ही जिन मुद्दों को प्राथमिकता पर देखेंगे, मुस्लिम बैन उनमें से एक रहने वाला है. ये बात खुद बाइडन कह चुके हैं. वैसे साल 2020 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रचार के दौरान भी बाइडन मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए इस तरह की बातें और वादे कर चुके हैं. ट्रंप से लाइव डिबेट के दौरान बाइडन ने एक शब्द का इस्तेमाल किया था- इंशाअल्लाह. इस पर्शियन शब्द का अर्थ है, जैसी ईश्वर की इच्छा. इस शब्द ने तुरंत ही बहस सुनने वाले अमेरिकी मुस्लिम वोटरों और अरब देशों का भी ध्यान अपनी ओर खींचा था.
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बाइडन ओबामा प्रशासन के दौरान उप-राष्ट्रपति थे, उस दौरान भी वो लगातार मुस्लिम हितों की बात करते रहे. उन्होंने कई बार चीन के उइगर मुसलमानों और म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर बात की थी. चुनाव के दौरान उन्होंने ये वादा भी किया था कि राष्ट्रपति बनने पर वो चीन के शिनजियांग प्रांत में मुस्लिमों पर जो हिंसा हो रही है, उसके खिलाफ भी आवाज उठाएंगे.