भगवान राम (shutterstock)
रामनवमी पर देश राममय हो जाता है. देश में कोई भी रामनाम से अछूता रह ही नहीं पाता. राम हम सभी के जीवन में गहरे बैठे हैं. राम के राज्य और प्रशासन को प्रतिमान माना गया. श्रीराम रघु वंश के थे. इस वंश की जड़ें इक्ष्वाकु और विवस्वान (सूर्य) से जुड़ी रही हैं. राम के बाद लव और कुश ने इस वंश आगे बढ़ाया. अब राम के वंशज कहां हैं. क्या वो आज भी हैं. वो लोग कौन हैं, जो खुद को उनका वंशज मानते हैं.
राम ने कुश को दक्षिण कौशल, कुशस्थली (कुशावती) और अयोध्या राज्य सौंपा तो लव को पंजाब. लव ने लाहौर को राजधानी बनाया. तक्षशिला में भरत पुत्र तक्ष और पुष्करावती (पेशावर) में पुष्कर को राज मिला. हिमाचल में लक्ष्मण पुत्रों का शासन था. मथुरा में शत्रुघ्न के पुत्र सुबाहु को दिया गया तो उनके दूसरे पुत्र शत्रुघाती का भेलसा (विदिशा) के सिंहासन पर बिठाया गया.
लव से कौन सा वंश चला
राजा लव से राघव राजपूतों का जन्म हुआ, जिनमें बड़गुजर, जयास और सिकरवारों का वंश चला. इसकी दूसरी शाखा थी सिसोदिया राजपूतों, वंश की जिनमें बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) वंश के राजा हुए. कुश से कुशवाह राजपूतों का वंश चला.
कुश वंश से कौन हुए
कुश वंश से ही कुशवाह, मौर्य, सैनी, शाक्य संप्रदाय की स्थापना मानी जाती है. सूर्य वंश भी कुश से निकली शाखाओं से निकला. कुश की ही 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े. कुश महाभारतकाल के 2500 वर्ष पूर्व से 3000 वर्ष पूर्व हुए थे यानि आज से 6,500 से 7,000 वर्ष पहले. जो लोग खुद को शाक्यवंशी कहते हैं वे भी श्रीराम के वंशज हैं.
सिसोदिया, कछवाह, बैसला, शाक्य राम के वंशज
माना जाता है वर्तमान में जो सिसोदिया, कुशवाह (कच्छवाहा), मौर्य, शाक्य, बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) आदि जो राजपूत वंश हैं वो सभी प्रभु श्रीराम के वंशज है.
जयपुर राजघराना है राम का वंशज
जयपुर राजघराना राम का वंशज है. जयपुर राजघराने की महारानी पद्मिनी और परिवार के लोग राम के पुत्र कुश के वंशज हैं. कुछ समय पहले महारानी पद्मिनी ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के 307वें वंशज थे.
इस घराने की बात करें तो महाराज मानसिंह द्वितीय ने तीन शादियां कीं. पहली पत्नी मरुधर कंवर, दूसरी पत्नी किशोर कंवर थीं. तीसरी पत्नी महारानी गायत्री देवी थीं. मानसिंह और उनकी पहली पत्नी से जन्मे पुत्र का नाम भवानी सिंह था. उनका विवाह राजकुमारी पद्मिनी से हुआ. दोनों का कोई बेटा नहीं है. एक बेटी है, जिसका नाम दीया है, जिनका विवाह नरेंद्र सिंह के साथ हुआ. दीया राजनीति में भी हैं. उनके दो बेटे हैं पद्मनाभ सिंह और लक्ष्यराज सिंह.
तब जयपुर राजघराने ने पेश किया था सबूत
अयोध्या में राम मंदिर को लेकर जब अदालत में सुनवाई चल रही थी, तब जयपुर राजघराने के पूर्व महाराजा भवानी सिंह की बेटी दीया कुमारी ने सार्वजनिक तौर पर कुछ सबूत पेश किये थे, जिससे जाहिर होता है कि ये राजपरिवार भगवान राम के बड़े बेटे कुश की वंशावली में आता है. वो कच्छवाहा या कुशवाहा वंश के वंशज हैं.
पूर्व राजकुमारी और राजस्थान के राजसमंद से मौजूदा भाजपा सांसद दीयाकुमारी ने इसके कई सबूत भी दिए. उन्होंने एक पत्रावली दिखाई, जिसमें भगवान श्रीराम के वंश के सभी पूर्वजों का नाम क्रमवार दर्ज हैं. इसी में 289वें वंशज के रूप में सवाई जयसिंह और 307वें वंशज के रूप में महाराजा भवानी सिंह का नाम लिखा है.
कुश के नाम पर कुशवाहा या कच्छवाहा वंश
कच्छवाहा वंश काे भगवान राम के बड़े बेटे कुश के नाम पर कुशवाहा वंश भी कहा जाता है. इसकी वंशावली के मुताबिक 62वें वंशज राजा दशरथ, 63वें वंशज श्रीराम, 64वें वंशज कुश थे. 289वें वंशज आमेर-जयपुर के सवाई जयसिंह, ईश्वरी सिंह और सवाई माधाे सिंह और पृथ्वी सिंह रहे. भवानी सिंह 307वें वंशज थे.
सिटी पैलेस जयपुर के पाेथीखाना में रखे 09 दस्तावेज और 02 नक्शे साबित करते हैं कि अयाेध्या के जयसिंहपुरा और राम जन्मस्थान सवाई जयसिंह द्वितीय के अधीन थे. प्रसिद्ध इतिहासकार आर नाथ की किताब “द जयसिंहपुरा ऑफ सवाई राजा जयसिंह एट अयाेध्या” के एनेक्सचर-2 के मुताबिक अयाेध्या के रामजन्म स्थल मंदिर पर जयपुर के कच्छवाहा वंश का अधिकार था.
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