रूस : विरोधियों को ज़हर देकर रास्ते से हटाने की 5 डरावनी कहानियां

रूस में विरोधियों को ज़हर देने की प्रैक्टिस पुरानी है.
रूस की सरकार (Russian Govt) या सिस्टम के खिलाफ जाना जान का जोखिम लेना रहा है. पत्रकार हों, एक्टिविस्ट या जासूस, जो भी मॉस्को की सत्ता (Anti Government) के खिलाफ गया, उसे कीमत चुकानी पड़ी. जानिए कैसे ज़हर देकर विरोधियों को खत्म करने की कहानियां रूस की पहचान बनीं.
- News18Hindi
- Last Updated: January 19, 2021, 10:27 AM IST
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russia President Vladimir Putin) के विरोधी और विपक्षी नेता एलेक्सी नवेलनी को मॉस्को में तब गिरफ्तार कर लिया गया (Navalny Detained) जब वो जर्मनी से लौटे. आपको याद होगा कि पिछले साल अगस्त में मॉस्को की फ्लाइट में अचानक नवेलनी की तबीयत बिगड़ी थी और बाद में पता चला था कि उन्हें ज़हर देकर खत्म करने की कोशिश (Poison Attack) की गई थी. पूरी दुनिया में इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी और अब भी गिरफ्तार नवेलनी के पक्ष में अमेरिका और यूरोप से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रूस में किस तरह विरोधियों का सफाया करने के लिए ज़हर देना एक परंपरा बन गया है?
वास्तव में, नवेलनी 2008 में तब सुर्खियों में आने लगे थे जब उन्होंने अपने ब्लॉग के ज़रिये रूसी राजनीति में भ्रष्टाचार को लेकर खुलासे करना शुरू किए थे. उनकी लोकप्रियता का उदाहरण यह था कि 2018 में पुतिन के खिलाफ चुनाव लड़ने से उन्हें रोका गया था. और इसके बाद अगस्त 2020 में ज़हर देकर उन्हें रास्ते से हटाने की कथित नाकाम कोशिश हुई. आपको बताते हैं कि कैसे पहले भी सत्ता विरोधी ज़हर के ज़रिये रूस में खामोश किए जाते रहे.
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क्या है रूसी जासूस स्क्रिपाल की कहानी?रूस के पूर्व जासूस सर्गी स्क्रिपाल और उसकी बेटी ब्रिटेन के शहर सैलिसबरी में दो साल पले बेसुध हालत में मिले थे. बताया गया था कि उन्हें मिलिट्री ग्रेड का नर्व एजेंट नोविचोक ज़हर के तौर पर दिया गया था. इससे पहले 2006 में स्क्रिपाल को ब्रिटेन के लिए जासूसी करने के आरोप में 13 साल के लिए कैद में डाल दिया गया था. हालांकि 2010 में उन्हें माफी दे दी गई थी. बताया जाता है कि अब स्क्रिपाल और उनकी बेटी न्यूज़ीलैंड में नई पहचान के साथ रह रहे हैं.

पुतिन की आलोचना वर्जि़लोव को महंगी पड़ी
रूस के प्रतिवादी समूह पूसी रायट के सदस्य के तौर पर पुतिन के आलोचक रहे एक्टिविस्ट प्योत्र वर्ज़िलोव को भी ज़हर देकर मारने की कोशिश हुई थी. सितंबर 2018 में मॉस्को से बर्लिन ले जाने के बाद पुष्टि हुई थी कि वर्ज़िलोव को ज़हर दिया गया. बीबीसी को वर्ज़िलोव ने बताया था कि सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक में ‘मार डाले गए’ तीन रूसी पत्रकारों के मामले में जांच करने के चलते उन्हें रस्ते से हटाने की कोशिश की गई थी.
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इस पुतिन विरोधी को दो बार दिया गया ज़हर
पुतिन के आलोचक रहे पत्रकार व्लादिमीर कारा मुर्ज़ा को पहले 2015 में ज़हर दिया गया था. तब मुर्ज़ा को ज़हर के कारण किडनी फेलियर की समस्या हुई थी. इसके बाद, 2017 में कथित तौर पर ज़हर देने की खबरें आई थीं, जिनके चलते मुर्ज़ा कोमा में चले गए थे. बताया जाता है कि तबसे मुर्ज़ा मॉस्को में ही रहते हैं.
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जब जासूस की हत्या की गई
2006 में पूर्व जासूस अलेग्ज़ेंडर लितविनेंको को लंदन में चाय में पोलोनियम 210 नाम का ज़हर देकर मौत के घाट उतार दिया गया था. इस मामले में रूसी पॉलिटिशियन एंड्री लुगोवॉय और उनके सहयोगी दिमित्री कोवतुन शक के दायरे में रहे. कहा जाता है कि अलेग्ज़ेंडर रूस के साथ स्पेन के लिंक के बारे में जांच कर रहे थे और उन्हें ब्रिटेन की जासूसी एजेंसी एमआई6 से रकम मिली थी.

जब यूक्रेन के विरोधी नेता को दिया गया ज़हर
यूक्रेन के चुनाव में रूस समर्थित उम्मीदवार के खिलाफ खड़े होने के कारण विक्तोर यूशेंको को ज़हर देकर मारने की कोशिश हुई थी. एजेंट ऑरेंज में पाया जाने वाला केमिकल डायोक्सिन उनके शरीर में पाया गया था. हालांकि इस ज़हर के कारण वो एक तरफ से चेहरे के लकवे के शिकार हो गए थे. बाद में यूशेंको ठीक हुए और राष्ट्रपति चुनाव जीतने में भी कामयाब हुए. राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने यूक्रेन की सत्ता पर ज़हर देकर मारने के आरोप लगाए थे.
इन तमाम कहानियों से साफ है कि रूस में विरोधियों को रास्ते से हटाने के लिए ज़हर देना खास तरीका रहा है. एक थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल के लेख में यह भी कहा गया कि पिछले कुछ समय में ज़्यादातर हमले नाकाम रहने से ज़ाहिर होता है कि अब ‘साज़िशन हत्या’ में प्रोफेशनलिज़्म कम हो गया है.
वास्तव में, नवेलनी 2008 में तब सुर्खियों में आने लगे थे जब उन्होंने अपने ब्लॉग के ज़रिये रूसी राजनीति में भ्रष्टाचार को लेकर खुलासे करना शुरू किए थे. उनकी लोकप्रियता का उदाहरण यह था कि 2018 में पुतिन के खिलाफ चुनाव लड़ने से उन्हें रोका गया था. और इसके बाद अगस्त 2020 में ज़हर देकर उन्हें रास्ते से हटाने की कथित नाकाम कोशिश हुई. आपको बताते हैं कि कैसे पहले भी सत्ता विरोधी ज़हर के ज़रिये रूस में खामोश किए जाते रहे.
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क्या है रूसी जासूस स्क्रिपाल की कहानी?रूस के पूर्व जासूस सर्गी स्क्रिपाल और उसकी बेटी ब्रिटेन के शहर सैलिसबरी में दो साल पले बेसुध हालत में मिले थे. बताया गया था कि उन्हें मिलिट्री ग्रेड का नर्व एजेंट नोविचोक ज़हर के तौर पर दिया गया था. इससे पहले 2006 में स्क्रिपाल को ब्रिटेन के लिए जासूसी करने के आरोप में 13 साल के लिए कैद में डाल दिया गया था. हालांकि 2010 में उन्हें माफी दे दी गई थी. बताया जाता है कि अब स्क्रिपाल और उनकी बेटी न्यूज़ीलैंड में नई पहचान के साथ रह रहे हैं.

रूस में विपक्ष के नेता एलेक्सी नवेलनी को गिरफ्तार किया गया.
पुतिन की आलोचना वर्जि़लोव को महंगी पड़ी
रूस के प्रतिवादी समूह पूसी रायट के सदस्य के तौर पर पुतिन के आलोचक रहे एक्टिविस्ट प्योत्र वर्ज़िलोव को भी ज़हर देकर मारने की कोशिश हुई थी. सितंबर 2018 में मॉस्को से बर्लिन ले जाने के बाद पुष्टि हुई थी कि वर्ज़िलोव को ज़हर दिया गया. बीबीसी को वर्ज़िलोव ने बताया था कि सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक में ‘मार डाले गए’ तीन रूसी पत्रकारों के मामले में जांच करने के चलते उन्हें रस्ते से हटाने की कोशिश की गई थी.
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इस पुतिन विरोधी को दो बार दिया गया ज़हर
पुतिन के आलोचक रहे पत्रकार व्लादिमीर कारा मुर्ज़ा को पहले 2015 में ज़हर दिया गया था. तब मुर्ज़ा को ज़हर के कारण किडनी फेलियर की समस्या हुई थी. इसके बाद, 2017 में कथित तौर पर ज़हर देने की खबरें आई थीं, जिनके चलते मुर्ज़ा कोमा में चले गए थे. बताया जाता है कि तबसे मुर्ज़ा मॉस्को में ही रहते हैं.
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जब जासूस की हत्या की गई
2006 में पूर्व जासूस अलेग्ज़ेंडर लितविनेंको को लंदन में चाय में पोलोनियम 210 नाम का ज़हर देकर मौत के घाट उतार दिया गया था. इस मामले में रूसी पॉलिटिशियन एंड्री लुगोवॉय और उनके सहयोगी दिमित्री कोवतुन शक के दायरे में रहे. कहा जाता है कि अलेग्ज़ेंडर रूस के साथ स्पेन के लिंक के बारे में जांच कर रहे थे और उन्हें ब्रिटेन की जासूसी एजेंसी एमआई6 से रकम मिली थी.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन
जब यूक्रेन के विरोधी नेता को दिया गया ज़हर
यूक्रेन के चुनाव में रूस समर्थित उम्मीदवार के खिलाफ खड़े होने के कारण विक्तोर यूशेंको को ज़हर देकर मारने की कोशिश हुई थी. एजेंट ऑरेंज में पाया जाने वाला केमिकल डायोक्सिन उनके शरीर में पाया गया था. हालांकि इस ज़हर के कारण वो एक तरफ से चेहरे के लकवे के शिकार हो गए थे. बाद में यूशेंको ठीक हुए और राष्ट्रपति चुनाव जीतने में भी कामयाब हुए. राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने यूक्रेन की सत्ता पर ज़हर देकर मारने के आरोप लगाए थे.
इन तमाम कहानियों से साफ है कि रूस में विरोधियों को रास्ते से हटाने के लिए ज़हर देना खास तरीका रहा है. एक थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल के लेख में यह भी कहा गया कि पिछले कुछ समय में ज़्यादातर हमले नाकाम रहने से ज़ाहिर होता है कि अब ‘साज़िशन हत्या’ में प्रोफेशनलिज़्म कम हो गया है.