Explained : पाकिस्तान की तुलना में हम क्यों चुकाते हैं पेट्रोल व डीजल की डबल कीमत?

न्यूज़18 कार्टून
कीमतें लगातार बढ़ने (Petrol Prices Increasing) की खबरों के बीच कहा गया कि इतनी भारी महंगाई के बावजूद तेल कंपनियां (Oil Companies) अपना मुनाफा घटाने को तैयार नहीं हैं. वहीं, पड़ोसी देशों में पेट्रोल के दाम काबू में हैं. तो भारत में क्या कहानी है?
- News18Hindi
- Last Updated: February 22, 2021, 2:31 PM IST
पाकिस्तान में पेट्रोल 51 रुपये (Petrol Price Comparison) प्रति लीटर के आसपास है, जबकि भारत में जहां 90 रुपये प्रति लीटर से कम कीमत में पेट्रोल मिल रहा है, वहां के लोगों को बधाइयां मिल रही हैं. राजस्थान (Rajasthan) और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) समेत कुछ राज्यों में तो पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर पार हो चुकी है. आंकड़ों के हिसाब से आप कह सकते हैं कि भारत में पेट्रोल और डीज़ल की कीमत (Petrol-Diesel Prices) पाकिस्तान की तुलना में तकरीबन दोगुनी है. यह फैक्ट भी है कि कीमतों के हिसाब से पाकिस्तान दुनिया में 31वें नंबर का देश है और 115वें. अब सोचिए कि माजरा क्या है.
देश में इसी महीने पिछले ही दिनों पेट्रोल और डीज़ल के दाम फिर बढ़े तो फरवरी के 20-22 दिनों में ऐसा 11वीं बार हुआ. जनवरी के महीने में इन कीमतों में 10 बार इज़ाफ़ा हुआ था. एक साल का आंकड़ा देखा जाए तो पेट्रोल 17 रुपये प्रति लीटर तक महंगा हो गया. अब वजह क्या है? कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों पर दोष मढ़ दिया जाए या रुपये के मुकाबले डॉलर के मज़बूत होने पर? इन कारणों से यह तो तय नहीं हो पाता कि फिर पाकिस्तान या अन्य पड़ोसी देशों में कीमतें कम क्यों हैं?
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पड़ोस में कितनी कम हैं कीमतें?
सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं बल्कि भारत के तमाम पड़ोसी देशों में पेट्रोल भारत की तुलना में सस्ता है. दिए गए ग्राफिक्स में बताई गई कीमतें साफ इशारा देती हैं कि भारत में कीमतें ज़्यादा होने का कारण डॉलर का मूल्य नहीं होना चाहिए क्योंकि ऐसा होता तो इन देशों की मुद्रा भारत की तुलना में डॉलर के मुकाबले ज़्यादा कमज़ोर है. उदाहरण के लिए भारत के 72.56 रुपये का एक 1 डॉलर 159.26 पाकिस्तानी रुपये के बराबर है.
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इस साल भारत में कितना महंगा हुआ पेट्रोल?
दिल्ली में फरवरी के महीने में ही बार बार बढ़ी कीमतों के चलते पेट्रोल 3.24 रुपये प्रति लीटर तक महंगा हो गया. इससे पहले जनवरी में भी 10 बार कीमतों में बढ़ोत्तरी देखी गई तो कुल मिलाकर इस साल के करीब दो महीनों के भीतर पेट्रोल करीब 6 रुपये तक महंगा हो चुका है. यही रफ्तार रही तो इस साल पेट्रोल के दाम 36 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ जाएंगे. अब कारणों की पड़ताल करते हैं.
भारत में टैक्स सिस्टम क्या है?
पेट्रोल और डीज़ल यानी पेट्रोलियम के मामले में भारत में केंद्र और राज्य का एक अलग सिस्टम है. केंद्र अलग से टैक्स लगाता है और राज्य अलग से. इसके चलते हर राज्य और हर शहर में पेट्रोल व डीज़ल की कीमतें अलग हैं. वहीं, दुनिया के अन्य देशों के साथ तुलना करें तो पता चलता है कि यूरोप में पेट्रोल की कीमतें भारत से ज़्यादा हैं, फिर भी वहां टैक्स भारत की तुलना में कुछ कम है.

दूसरी ओर, जापान और अमेरिका के साथ भारत के टैक्स आंकड़ों में तो ज़मीन और आसमान का फर्क दिखता है. अमेरिका में पेट्रोल की कीमत भारत के मुकाबले 35 से 40 फीसदी कम है. अब रही बात पाकिस्तान की, तो पाकिस्तान में भी पेट्रोलियम पर टैक्स की एक स्तरीय व्यवस्था है यानी हर जगह अलग अलग टैक्स नहीं लिया जाता. अब ज़रा भारत में टैक्स की इस बाज़ीगरी को आसान शब्दों में देखिए.
कैसे आपकी जेब पर पड़ता है बोझ?
देखिए 1 जनवरी को जब दिल्ली में पेट्रोल 83.71 रुपये बिका, तो फ्यूल का बेस प्राइस 27.37 रुपये प्रति लीटर था. आपको जेब से 56 रुपये अतिरिक्त क्यों देना पड़े? इस बेस प्राइस पर सबसे पहले 0.37 रुपये प्रति लीटर माल भाड़ा लगा तो डीलर के लिए बेस प्राइस बना 27.74 रुपये. अब यहां से टैक्स लगना शुरू हुआ.
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एक्साइज़ ड्यूटी 32.98 रुपये हुई जो केंद्र सरकार ने वसूली. फिर 3.67 रुपये डीलर ने हर लीटर पर कमीशन वसूला. उसके बाद राज्य ने VAT व अन्य कमीशन के तौर पर 19.32 रुपये वसूले. सामान्य जोड़ लगाइए, आपके लिए कीमत हुई 83.71 रुपये. इस तरह अन्य राज्यों में यह टैक्स काफी ज़्यादा भी है. चलिए आंकड़ों के हिसाब कुछ और जादू भी देखिए.

* पेट्रोल की एक्चुअल कीमत के हिसाब से टैक्स 227% हैं और डीज़ल के मामले में 191%.
* मध्य प्रदेश, केरल, राजस्थान, कर्नाटक जैसे राज्य सबसे ज़्यादा 30 फीसदी तक VAT लगाते हैं.
* अगर सरकार पेट्रोल पर 13 और डीज़ल पर 10 रुपये प्रति लीटर एक्साइज़ ड्यूटी बढ़ाती है (लॉकडाउन के दौरान तेल कीमतें बेहद सस्ती होने के वक्त हुआ) तो उसके खज़ाने में एक साल में अनुमानित 1.6 लाख करोड़ रुपये का इज़ाफ़ा होता है.
* दुनिया में पेट्रोल की कीमत का औसत निकाला जाए तो करीब 78.65 रुपये होता है. भारत में सबसे सस्ता पेट्रोल अरुणाचल में 83.19 है यानी दुनिया के औसत से भी करीब 5 रुपये प्रति लीटर महंगा है.
* प्रति व्यक्ति प्रतिदिन जीडीपी के हिसाब से पेट्रोल और डीज़ल की पंप कीमतों के मामले में 157 देशों में से भारत का नंबर 131वां है.
क्या है जीएसटी का गणित?
एक देश में एक जैसे टैक्स के नारे के साथ जीएसटी की व्यवस्था हुई थी लेकिन पेट्रोलियम को इसके दायरे में नहीं रखा गया. अब अगर पेट्रोल को जीएसटी में शामिल करें और सबसे बड़ा स्लैब 28% पेट्रोल पर लगा दें तो कीमत कितनी होगी?
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अगर केंद्र और राज्य के टैक्सों के सिस्टम को हटाकर एक जैसे टैक्स की यह तरकीब अपनाई जाए तो फ्यूल की कीमत में कुल 50% इज़ाफ़ा होगा क्योंकि 22% सेस भी लगेगा. यानी आप ऐसे समझिए कि पेट्रोल पंप पर बेस प्राइस के तौर पर अगर पेट्रोल 23 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से पहुंचेगा तो जीएसटी के बाद आपको अपनी जेब से करीब 37 रुपये देने होंगे. यानी यह 227% टैक्स के मुकाबले बेहद कम होगा.

कितना है पाकिस्तान में टैक्स?
वहीं, अमेरिका में 17 तो पाकिस्तान में पेट्रोल पर लोगों को करीब 23.5% टैक्स देना होता है. पाकिस्तान सरकार ने पेट्रोल पर टैक्स सिस्टम के बारे में सुप्रीम कोर्ट को इस तरह बताया था.
पेट्रोल का एक्चुअल प्राइस अगर 62.38 पाकिस्तानी रुपये हो तो उस पर 8.83 रुपये मालभाड़ा जोड़कर 9.85 रुपये टैक्स कमोडिटी का होता है. इसके अलावा, सरकार 15 फीसदी टैक्स लगाती है तो पेट्रोल की कीमत 91.96 पाकिस्तानी रुपये होती है. गौरतलब है कि पाकिस्तानी रुपये के हिसाब पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमतें बढ़ रही हैं, लेकिन भारतीय रुपये के हिसाब से यहां के मुकाबले अब भी तकरीबन आधी हैं.
देश में इसी महीने पिछले ही दिनों पेट्रोल और डीज़ल के दाम फिर बढ़े तो फरवरी के 20-22 दिनों में ऐसा 11वीं बार हुआ. जनवरी के महीने में इन कीमतों में 10 बार इज़ाफ़ा हुआ था. एक साल का आंकड़ा देखा जाए तो पेट्रोल 17 रुपये प्रति लीटर तक महंगा हो गया. अब वजह क्या है? कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों पर दोष मढ़ दिया जाए या रुपये के मुकाबले डॉलर के मज़बूत होने पर? इन कारणों से यह तो तय नहीं हो पाता कि फिर पाकिस्तान या अन्य पड़ोसी देशों में कीमतें कम क्यों हैं?
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सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं बल्कि भारत के तमाम पड़ोसी देशों में पेट्रोल भारत की तुलना में सस्ता है. दिए गए ग्राफिक्स में बताई गई कीमतें साफ इशारा देती हैं कि भारत में कीमतें ज़्यादा होने का कारण डॉलर का मूल्य नहीं होना चाहिए क्योंकि ऐसा होता तो इन देशों की मुद्रा भारत की तुलना में डॉलर के मुकाबले ज़्यादा कमज़ोर है. उदाहरण के लिए भारत के 72.56 रुपये का एक 1 डॉलर 159.26 पाकिस्तानी रुपये के बराबर है.
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इस साल भारत में कितना महंगा हुआ पेट्रोल?
दिल्ली में फरवरी के महीने में ही बार बार बढ़ी कीमतों के चलते पेट्रोल 3.24 रुपये प्रति लीटर तक महंगा हो गया. इससे पहले जनवरी में भी 10 बार कीमतों में बढ़ोत्तरी देखी गई तो कुल मिलाकर इस साल के करीब दो महीनों के भीतर पेट्रोल करीब 6 रुपये तक महंगा हो चुका है. यही रफ्तार रही तो इस साल पेट्रोल के दाम 36 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ जाएंगे. अब कारणों की पड़ताल करते हैं.
भारत में टैक्स सिस्टम क्या है?
पेट्रोल और डीज़ल यानी पेट्रोलियम के मामले में भारत में केंद्र और राज्य का एक अलग सिस्टम है. केंद्र अलग से टैक्स लगाता है और राज्य अलग से. इसके चलते हर राज्य और हर शहर में पेट्रोल व डीज़ल की कीमतें अलग हैं. वहीं, दुनिया के अन्य देशों के साथ तुलना करें तो पता चलता है कि यूरोप में पेट्रोल की कीमतें भारत से ज़्यादा हैं, फिर भी वहां टैक्स भारत की तुलना में कुछ कम है.

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दूसरी ओर, जापान और अमेरिका के साथ भारत के टैक्स आंकड़ों में तो ज़मीन और आसमान का फर्क दिखता है. अमेरिका में पेट्रोल की कीमत भारत के मुकाबले 35 से 40 फीसदी कम है. अब रही बात पाकिस्तान की, तो पाकिस्तान में भी पेट्रोलियम पर टैक्स की एक स्तरीय व्यवस्था है यानी हर जगह अलग अलग टैक्स नहीं लिया जाता. अब ज़रा भारत में टैक्स की इस बाज़ीगरी को आसान शब्दों में देखिए.
कैसे आपकी जेब पर पड़ता है बोझ?
देखिए 1 जनवरी को जब दिल्ली में पेट्रोल 83.71 रुपये बिका, तो फ्यूल का बेस प्राइस 27.37 रुपये प्रति लीटर था. आपको जेब से 56 रुपये अतिरिक्त क्यों देना पड़े? इस बेस प्राइस पर सबसे पहले 0.37 रुपये प्रति लीटर माल भाड़ा लगा तो डीलर के लिए बेस प्राइस बना 27.74 रुपये. अब यहां से टैक्स लगना शुरू हुआ.
ये भी पढ़ें:- 'लट्ठ हमारा ज़िंदाबाद' कहकर किसान आंदोलन खड़ा करने वाला संन्यासी
एक्साइज़ ड्यूटी 32.98 रुपये हुई जो केंद्र सरकार ने वसूली. फिर 3.67 रुपये डीलर ने हर लीटर पर कमीशन वसूला. उसके बाद राज्य ने VAT व अन्य कमीशन के तौर पर 19.32 रुपये वसूले. सामान्य जोड़ लगाइए, आपके लिए कीमत हुई 83.71 रुपये. इस तरह अन्य राज्यों में यह टैक्स काफी ज़्यादा भी है. चलिए आंकड़ों के हिसाब कुछ और जादू भी देखिए.

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* पेट्रोल की एक्चुअल कीमत के हिसाब से टैक्स 227% हैं और डीज़ल के मामले में 191%.
* मध्य प्रदेश, केरल, राजस्थान, कर्नाटक जैसे राज्य सबसे ज़्यादा 30 फीसदी तक VAT लगाते हैं.
* अगर सरकार पेट्रोल पर 13 और डीज़ल पर 10 रुपये प्रति लीटर एक्साइज़ ड्यूटी बढ़ाती है (लॉकडाउन के दौरान तेल कीमतें बेहद सस्ती होने के वक्त हुआ) तो उसके खज़ाने में एक साल में अनुमानित 1.6 लाख करोड़ रुपये का इज़ाफ़ा होता है.
* दुनिया में पेट्रोल की कीमत का औसत निकाला जाए तो करीब 78.65 रुपये होता है. भारत में सबसे सस्ता पेट्रोल अरुणाचल में 83.19 है यानी दुनिया के औसत से भी करीब 5 रुपये प्रति लीटर महंगा है.
* प्रति व्यक्ति प्रतिदिन जीडीपी के हिसाब से पेट्रोल और डीज़ल की पंप कीमतों के मामले में 157 देशों में से भारत का नंबर 131वां है.
क्या है जीएसटी का गणित?
एक देश में एक जैसे टैक्स के नारे के साथ जीएसटी की व्यवस्था हुई थी लेकिन पेट्रोलियम को इसके दायरे में नहीं रखा गया. अब अगर पेट्रोल को जीएसटी में शामिल करें और सबसे बड़ा स्लैब 28% पेट्रोल पर लगा दें तो कीमत कितनी होगी?
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अगर केंद्र और राज्य के टैक्सों के सिस्टम को हटाकर एक जैसे टैक्स की यह तरकीब अपनाई जाए तो फ्यूल की कीमत में कुल 50% इज़ाफ़ा होगा क्योंकि 22% सेस भी लगेगा. यानी आप ऐसे समझिए कि पेट्रोल पंप पर बेस प्राइस के तौर पर अगर पेट्रोल 23 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से पहुंचेगा तो जीएसटी के बाद आपको अपनी जेब से करीब 37 रुपये देने होंगे. यानी यह 227% टैक्स के मुकाबले बेहद कम होगा.

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कितना है पाकिस्तान में टैक्स?
वहीं, अमेरिका में 17 तो पाकिस्तान में पेट्रोल पर लोगों को करीब 23.5% टैक्स देना होता है. पाकिस्तान सरकार ने पेट्रोल पर टैक्स सिस्टम के बारे में सुप्रीम कोर्ट को इस तरह बताया था.
पेट्रोल का एक्चुअल प्राइस अगर 62.38 पाकिस्तानी रुपये हो तो उस पर 8.83 रुपये मालभाड़ा जोड़कर 9.85 रुपये टैक्स कमोडिटी का होता है. इसके अलावा, सरकार 15 फीसदी टैक्स लगाती है तो पेट्रोल की कीमत 91.96 पाकिस्तानी रुपये होती है. गौरतलब है कि पाकिस्तानी रुपये के हिसाब पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमतें बढ़ रही हैं, लेकिन भारतीय रुपये के हिसाब से यहां के मुकाबले अब भी तकरीबन आधी हैं.