क्या है Indonesia में, जिसके कारण वहां लगातार भूकंप आते रहते हैं?

इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप पर आये तेज भूकंप से भारी तबाही मची हुई है- सांकेतिक फोटो
Indonesia earthquake: विमान हादसे के बाद अब इंडोनेशिया में भूकंप ने तबाही मचा रखी है. दुनिया में सबसे ज्यादा द्वीपों वाला ये देश भूकंप और सुनामी (tsunami) के खतरे में भी सबसे ऊपर है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 16, 2021, 11:31 AM IST
इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप पर आये तेज भूकंप से भारी तबाही मची हुई है. शुक्रवार आधी रात के बाद आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.2 थी. जोरदार झटकों से कम से कम 42 लोगों की मौत हो गई और 600 से ज्यादा घायल हुए. लगभग हफ्तेभर पहले ही इंडोनेशिया में एक विमान दुर्घटना भी हो चुकी है, जिसकी वजह अज्ञात है. हालांकि एक अनुमान ये भी है कि शायद ऐसा धरती की अंदरुनी हलचल के कारण हुआ है.
इंडोनेशिया को रिंग ऑफ फायर कहते हैं. धरती के सबसे संवेदनशील हिस्सों में से होने के कारण यहां लगातार भूकंप आते रहते हैं, साथ ही दूसरी प्राकृतिक आपदाएं भी सबसे ज्यादा आती हैं.
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इंडोनेशिया में क्यों आती है सबसे ज्यादा प्राकृतिक तबाही?इंडोनेशिया में सबसे ज्यादा प्राकृतिक तबाही आने का कारण है इसका 'रिंग ऑफ फायर' में होना. इंडोनेशिया के अलावा जावा और सुमात्रा भी इसी इलाके में आते हैं. प्रशांत महासागर के किनारे-किनारे स्थित यह इलाका दुनिया का सबसे खतरनाक भू-भाग है.

रिंग ऑफ फायर एक एक्टिव भूकंप जोन है
यहां पर ज्वालामुखी फटने से तगड़े भूकंप से झटके आते हैं. इससे आस-पास के इलाकों में सुनामी भी आती है. यह इलाका करीब 40 हज़ार वर्ग किमी के इलाके में फैला हुआ है. विश्व के कुल एक्टिव ज्वालामुखी में से 75% यहीं पर हैं.
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जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ अमेरिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसी इलाके में दुनिया के 90 फीसदी भूकंप आते हैं और बड़े भूकंपों में से भी 81 फीसदी इसी इलाके में आते हैं. यहां पर लोगों ने अब बिल्डिंगों को भूकंप में ढहने से बचाने के लिए खराब हो चुके टायरों का प्रयोग शुरू किया है.
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वैसे इंडोनेशिया में मौसम तेजी से बदलता रहता है. यहां पर दुनिया के सबसे ज्यादा द्वीप हैं, जो लंदन से लेकर न्यूयॉर्क तक फैलाए जा सकते हैं. यही कारण है कि यहां पर लगातार तूफान और बिजली कड़कना आम बात है.

आखिर भूकंप क्यों आते हैं
दरअसल धरती के भीतर कई प्लेटें होती हैं जो समय-समय पर विस्थापित होती हैं. इस सिद्धांत को अंग्रेजी में प्लेट टैक्टॉनिकक और हिंदी में प्लेट विवर्तनिकी कहते हैं. इस सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी की ऊपरी परत लगभग 80 से 100 किलोमीटर मोटी होती है जिसे स्थल मंडल कहते हैं. पृथ्वी के इस भाग में कई टुकड़ों में टूटी हुई प्लेटें होती हैं जो तैरती रहती हैं.
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सामान्य रूप से यह प्लेटें 10-40 मिलिमीटर प्रति वर्ष की गति से गतिशील रहती हैं. हालांकि इनमें कुछ की गति 160 मिलिमीटर प्रति वर्ष भी होती है. भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है.

कैसे लगता है तीव्रता का अंदाज
भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र ( एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. सैंकड़ो किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है. धरती में दरारें तक पड़ जाती है। अगर धरती की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है जिससे भयानक तबाही होती है. जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता. समुद्र में भूकंप आने पर सुनामी उठती है.
इंडोनेशिया में सुनामी ने ली लाखों जानें
साल 2004 में यहां आए भूकंप और उससे उपजी सुनामी आज भी याद में ताजा है. तब रिक्टर स्केल पर 9.1 के भूकंप ने सुनामी को जन्म दिया था, जिसका बहुत बुरा असर सुमात्रा पर हुआ था. इतना बुरा कि इसे दुनिया के जाने हुए इतिहास की सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है. इसका असर 14 देशों पर पड़ा था. इस सुनामी का बड़ा शिकार इंडोनेशिया भी बना था, जहां इस दौरान लगभग 1 लाख 68 हजार लोगों की मौत हो गई थी.
इंडोनेशिया को रिंग ऑफ फायर कहते हैं. धरती के सबसे संवेदनशील हिस्सों में से होने के कारण यहां लगातार भूकंप आते रहते हैं, साथ ही दूसरी प्राकृतिक आपदाएं भी सबसे ज्यादा आती हैं.
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इंडोनेशिया में क्यों आती है सबसे ज्यादा प्राकृतिक तबाही?इंडोनेशिया में सबसे ज्यादा प्राकृतिक तबाही आने का कारण है इसका 'रिंग ऑफ फायर' में होना. इंडोनेशिया के अलावा जावा और सुमात्रा भी इसी इलाके में आते हैं. प्रशांत महासागर के किनारे-किनारे स्थित यह इलाका दुनिया का सबसे खतरनाक भू-भाग है.

इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप में तबाही लाने वाला भूकंप आया- सांकेतिक फोटो (murexdive)
रिंग ऑफ फायर एक एक्टिव भूकंप जोन है
यहां पर ज्वालामुखी फटने से तगड़े भूकंप से झटके आते हैं. इससे आस-पास के इलाकों में सुनामी भी आती है. यह इलाका करीब 40 हज़ार वर्ग किमी के इलाके में फैला हुआ है. विश्व के कुल एक्टिव ज्वालामुखी में से 75% यहीं पर हैं.
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जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ अमेरिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसी इलाके में दुनिया के 90 फीसदी भूकंप आते हैं और बड़े भूकंपों में से भी 81 फीसदी इसी इलाके में आते हैं. यहां पर लोगों ने अब बिल्डिंगों को भूकंप में ढहने से बचाने के लिए खराब हो चुके टायरों का प्रयोग शुरू किया है.
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वैसे इंडोनेशिया में मौसम तेजी से बदलता रहता है. यहां पर दुनिया के सबसे ज्यादा द्वीप हैं, जो लंदन से लेकर न्यूयॉर्क तक फैलाए जा सकते हैं. यही कारण है कि यहां पर लगातार तूफान और बिजली कड़कना आम बात है.

साल 2004 में यहां आए भूकंप और उससे उपजी सुनामी आज भी याद में ताजा है- सांकेतिक फोटो
आखिर भूकंप क्यों आते हैं
दरअसल धरती के भीतर कई प्लेटें होती हैं जो समय-समय पर विस्थापित होती हैं. इस सिद्धांत को अंग्रेजी में प्लेट टैक्टॉनिकक और हिंदी में प्लेट विवर्तनिकी कहते हैं. इस सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी की ऊपरी परत लगभग 80 से 100 किलोमीटर मोटी होती है जिसे स्थल मंडल कहते हैं. पृथ्वी के इस भाग में कई टुकड़ों में टूटी हुई प्लेटें होती हैं जो तैरती रहती हैं.
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सामान्य रूप से यह प्लेटें 10-40 मिलिमीटर प्रति वर्ष की गति से गतिशील रहती हैं. हालांकि इनमें कुछ की गति 160 मिलिमीटर प्रति वर्ष भी होती है. भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है.

इसी इलाके में दुनिया के 90 फीसदी भूकंप आते हैं और बड़े भूकंपों में से भी 81 फीसदी इसी इलाके में आते हैं- फोटो (news18 English via Reuters)
कैसे लगता है तीव्रता का अंदाज
भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र ( एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. सैंकड़ो किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है. धरती में दरारें तक पड़ जाती है। अगर धरती की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है जिससे भयानक तबाही होती है. जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता. समुद्र में भूकंप आने पर सुनामी उठती है.
इंडोनेशिया में सुनामी ने ली लाखों जानें
साल 2004 में यहां आए भूकंप और उससे उपजी सुनामी आज भी याद में ताजा है. तब रिक्टर स्केल पर 9.1 के भूकंप ने सुनामी को जन्म दिया था, जिसका बहुत बुरा असर सुमात्रा पर हुआ था. इतना बुरा कि इसे दुनिया के जाने हुए इतिहास की सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है. इसका असर 14 देशों पर पड़ा था. इस सुनामी का बड़ा शिकार इंडोनेशिया भी बना था, जहां इस दौरान लगभग 1 लाख 68 हजार लोगों की मौत हो गई थी.