क्यों तोड़ा जा रहा है आईएनएस विराट, कितने लोग तोड़ रहे हैं, कब तक टूटेगा?

जहाज़ तोड़े जाने के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर
सामान्य जहाज़ को तोड़ने से ज़्यादा मुश्किल होता है किसी जंगी जहाज़ (Warship INS Viraat) को तोड़ना. इसमें कई ऐसे पार्ट होते हैं जो खास, बारीक और ज़्यादा मज़बूती से तैयार किए गए होते हैं. विराट को तोड़ने का काम महीने भर से जारी है लेकिन अभी और कई महीनों तक चलेगा.
- News18Hindi
- Last Updated: January 27, 2021, 11:42 AM IST
भारतीय नौसेना (India Navy) से हटाए जाने के बाद टुकड़े-टुकड़े करने के लिए बेच दिए गए जंगी जहाज़ आईएनएस विराट को तोड़ने का 30 फीसदी काम (INS Virat Dismantling) पूरा हो चुका है. गुजरात में जो कंपनी जहाज़ को तोड़ने (Ship Breaking Company) का काम कर रही है, उसकी मानें तो अभी और 9 महीने लगेंगे, तब जाकर विराट पूरी तरह पुर्ज़ा-पुर्ज़ा हो पाएगा. खबरों में यह भी कहा गया है कि गुजरात के भावनगर स्थित अलंग (Alang Shipyard) में श्री राम ग्रुप ने पिछले साल 38.54 करोड़ रुपये में खरीदने के बाद दिसंबर से जहाज़ को तोड़ने का काम शुरू किया था.
दुनिया में सबसे ज़्यादा समय तक युद्धपोत के तौर पर सेवा देने का रिकॉर्ड विराट के नाम ही है. 1987 में भारतीय नेवी में शामिल हुए विराट को मार्च 2017 में सेवामुक्त कर दिया गया था. इसके बाद, सितंबर में मुंबई से इस जहाज़ ने अलंग में शिप ब्रेकिंग यार्ड तक के लिए आखिरी सफर किया था. अलंग में इस जहाज़ को तोड़ने का काम जारी है.
ये भी पढ़ें:- राजनीति, बिज़नेस या मुकदमों से जूझना, अब क्या होगा ट्रंप का भविष्य?
कैसे तोड़ा जा रहा है विराट?श्री राम ग्रुप ने बताया कि विराट को तोड़ने की पूरी कवायद में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के ईको फ्रेंडली तौर तरीकों को ध्यान में रखा जा रहा है. इससे पहले संसद में केंद्र सरकार ने बताया था कि भारतीय नेवी के परामर्श के आधार पर ही विराट को कबाड़ में बेचे जाने का फैसला हुआ था. फिलहाला स्थिति यह है कि विराट समुद्री किनारे से 300 मीटर की दूरी पर तोड़ा जा रहा है.

जो 30 फीसदी काम हो चुका है, उसमें गैस कटर्स और भारी क्रेनों की मदद ली गई है. अच्छा खासा हिस्सा काटे जाने के बाद आगे और तोड़ने के लिए विराट को किनारे से और दूर लाया जाएगा. डिसमैंटल प्रोसेस में सबसे पहले स्की जम्प कट किया गया अज्ञैर इस तरह जहाज़ को तोड़ा जा रहा है कि उसका बैलेंस बना रहे ताकि वो पानी पर तैर सके. जहाज़ को पीछे से काटे जाने के बाद बीच में से धातु को निकाला जा चुका है.
जहाज़ टूटने में कितना वक्त लगेगा?
विराट को पूरी तरह तोड़ पाने में श्री राम ग्रुप को अभी आठ से नौ महीने का वक्त और लगेगा. करीब एक महीने में जहाज़ को 30 फीसदी तोड़कर हल्का किया गया है. कुछ और वज़न कम होने के बाद इसे खींच पाना आसान होगा. फिर इसे डिसमैंटल करने के लिए यार्ड में खींचकर लाया जा सकेगा. अभी यह भी साफ नहीं हो पाया है कि विराट में इस्तेमाल की गई कितनी धातु को बचाया जा सकेगा.
ये भी पढ़ें:- भारतीय नेवी में हीरो रहा आईएनएस विराट टुकड़े टुकड़े हो जाएगा या बचेगा?
यह भी बताया गया कि विराट को कबाड़ कंपनी को सौंपे जाने से पहले नेवी ने जहाज़ के कुछ स्मारक रूपी पार्ट्स जैसे स्टेयरिंग व्हील वगैरह निकाल लिये थे. हालांकि इंजन और प्रोपलर और शाफ्ट जैसे पार्ट नहीं निकाले गए.
कितने लोग तोड़ रहे हैं विराट?
मुबई में 2014 में आईएनएस विक्रांत को तोड़े जाने के बाद छह साल बाद विराट को तोड़ने वाली कंपनी अपने एक प्लॉट पर खड़ा करके पूरी टीम के साथ तोड़ रही है. कारीगरों से लेकर विशेषज्ञों की इस पूरी टीम में करीब 300 ट्रेंड वर्कर शामिल हैं. इससे पहले खतरनाक मटेरियल टीम के मुआयने का काम पूरा हो चुका है और ज़रूरत पड़ने वाली इस टीम को फिर लगाया जाएगा.

अस्ल में, 1940 के दशक से बनना शुरू हुए आईएनएस विराट में ओज़ोन को नुकसान पहुंचाने वाली गैसों के साथ ही कुछ और खतरनाक धातुएं व गैसें होने की आशंकाएं थीं इसलिए इस विशेष HAZMAT टीम को लगाया गया था. जहाज़ को तोड़ने और काटने की प्रक्रिया में पूरी सावधानी और सतर्कता बरती जा रही है ताकि कोई हादसा न हो और खतरनाक वेस्ट को सही ढंग से निकाला जा सके.
ये भी पढ़ें:- Explained : बेअंत सिंह हत्याकांड में दोषी बलवंत सिंह राजोआना कौन है?
रही बात कि तोड़ने के बाद जो पार्ट श्री राम ग्रुप को मिलेंगे, उनका क्या होगा? तो इसका जवाब यह है कि इनहें बेचकर या तो कंपनी मुनाफा कमाएगी या फिर इन्हें रीसाइकिल करके किसी और उत्पादन में इस्तेमाल किए जाने का रास्ता भी होगा. पहले बताया जा चुका है कि विराट के स्टील व धातु के इस्तेमाल के लिए कुछ ऑटोमोबाइल कंपनियां पहले ही दिलचस्पी ज़ाहिर कर चुकी हैं.
दुनिया में सबसे ज़्यादा समय तक युद्धपोत के तौर पर सेवा देने का रिकॉर्ड विराट के नाम ही है. 1987 में भारतीय नेवी में शामिल हुए विराट को मार्च 2017 में सेवामुक्त कर दिया गया था. इसके बाद, सितंबर में मुंबई से इस जहाज़ ने अलंग में शिप ब्रेकिंग यार्ड तक के लिए आखिरी सफर किया था. अलंग में इस जहाज़ को तोड़ने का काम जारी है.
ये भी पढ़ें:- राजनीति, बिज़नेस या मुकदमों से जूझना, अब क्या होगा ट्रंप का भविष्य?
कैसे तोड़ा जा रहा है विराट?श्री राम ग्रुप ने बताया कि विराट को तोड़ने की पूरी कवायद में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के ईको फ्रेंडली तौर तरीकों को ध्यान में रखा जा रहा है. इससे पहले संसद में केंद्र सरकार ने बताया था कि भारतीय नेवी के परामर्श के आधार पर ही विराट को कबाड़ में बेचे जाने का फैसला हुआ था. फिलहाला स्थिति यह है कि विराट समुद्री किनारे से 300 मीटर की दूरी पर तोड़ा जा रहा है.

जहाज़ के जिस हिस्से से वायुयानों को उड़ान भरने में मदद मिलती है, उसे स्की जंप कहते हैं और जहाज़ तोड़ने की प्रोसेस में सबसे पहले इसे ही डिसमैंटल किया जाता है.
जो 30 फीसदी काम हो चुका है, उसमें गैस कटर्स और भारी क्रेनों की मदद ली गई है. अच्छा खासा हिस्सा काटे जाने के बाद आगे और तोड़ने के लिए विराट को किनारे से और दूर लाया जाएगा. डिसमैंटल प्रोसेस में सबसे पहले स्की जम्प कट किया गया अज्ञैर इस तरह जहाज़ को तोड़ा जा रहा है कि उसका बैलेंस बना रहे ताकि वो पानी पर तैर सके. जहाज़ को पीछे से काटे जाने के बाद बीच में से धातु को निकाला जा चुका है.
जहाज़ टूटने में कितना वक्त लगेगा?
विराट को पूरी तरह तोड़ पाने में श्री राम ग्रुप को अभी आठ से नौ महीने का वक्त और लगेगा. करीब एक महीने में जहाज़ को 30 फीसदी तोड़कर हल्का किया गया है. कुछ और वज़न कम होने के बाद इसे खींच पाना आसान होगा. फिर इसे डिसमैंटल करने के लिए यार्ड में खींचकर लाया जा सकेगा. अभी यह भी साफ नहीं हो पाया है कि विराट में इस्तेमाल की गई कितनी धातु को बचाया जा सकेगा.
ये भी पढ़ें:- भारतीय नेवी में हीरो रहा आईएनएस विराट टुकड़े टुकड़े हो जाएगा या बचेगा?
यह भी बताया गया कि विराट को कबाड़ कंपनी को सौंपे जाने से पहले नेवी ने जहाज़ के कुछ स्मारक रूपी पार्ट्स जैसे स्टेयरिंग व्हील वगैरह निकाल लिये थे. हालांकि इंजन और प्रोपलर और शाफ्ट जैसे पार्ट नहीं निकाले गए.
कितने लोग तोड़ रहे हैं विराट?
मुबई में 2014 में आईएनएस विक्रांत को तोड़े जाने के बाद छह साल बाद विराट को तोड़ने वाली कंपनी अपने एक प्लॉट पर खड़ा करके पूरी टीम के साथ तोड़ रही है. कारीगरों से लेकर विशेषज्ञों की इस पूरी टीम में करीब 300 ट्रेंड वर्कर शामिल हैं. इससे पहले खतरनाक मटेरियल टीम के मुआयने का काम पूरा हो चुका है और ज़रूरत पड़ने वाली इस टीम को फिर लगाया जाएगा.

अलंग में खड़ा आईएनएस विराट. फाइल फोटो.
अस्ल में, 1940 के दशक से बनना शुरू हुए आईएनएस विराट में ओज़ोन को नुकसान पहुंचाने वाली गैसों के साथ ही कुछ और खतरनाक धातुएं व गैसें होने की आशंकाएं थीं इसलिए इस विशेष HAZMAT टीम को लगाया गया था. जहाज़ को तोड़ने और काटने की प्रक्रिया में पूरी सावधानी और सतर्कता बरती जा रही है ताकि कोई हादसा न हो और खतरनाक वेस्ट को सही ढंग से निकाला जा सके.
ये भी पढ़ें:- Explained : बेअंत सिंह हत्याकांड में दोषी बलवंत सिंह राजोआना कौन है?
रही बात कि तोड़ने के बाद जो पार्ट श्री राम ग्रुप को मिलेंगे, उनका क्या होगा? तो इसका जवाब यह है कि इनहें बेचकर या तो कंपनी मुनाफा कमाएगी या फिर इन्हें रीसाइकिल करके किसी और उत्पादन में इस्तेमाल किए जाने का रास्ता भी होगा. पहले बताया जा चुका है कि विराट के स्टील व धातु के इस्तेमाल के लिए कुछ ऑटोमोबाइल कंपनियां पहले ही दिलचस्पी ज़ाहिर कर चुकी हैं.