रविवार को साप्ताहिक अवकाश की शुरुआत अंग्रेजों ने की थी.
अपने देश में रविवार को सार्वजनिक साप्ताहिक अवकाश होता है. दुनिया के अधिकतर देशों में भी रविवार को ही साप्ताहिक अवकाश होता है. हालांकि इस्लामिक मुल्कों में शुक्रवार को अवकाश होता है. ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर संडे की जगह सोमवार, मंगलवार, बुधवार या कोई अन्य दिन सार्वजनिक साप्ताहिक अवकाश क्यों नहीं होता? दुनिया के तमाम देशों के साथ-साथ भारत में भी रविवार को सार्वजनिक साप्ताहिक अवकाश घोषित किए जाने के पीछे का लॉजिक क्या है?
रविवार को ही साप्ताहिक अवकाश क्यों? इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए हमने क्वेरा वेबसाइट पर सर्च किया. इसपर कई रोचक जवाब मिले. इसी तरह लिंक्डइन पर भी एक स्टोरी मिली. लिंक्डइन पर सुरेश कोच लिखते हैं कि भारत में रविवार को साप्ताहिक अवकाश रखने की शुरुआत 1843 में अंग्रेजों ने की. इसके पीछे का लॉजिक यह था कि ईसाई धर्म में ईश्वर ने छह दिनों में दुनिया की रचना की और रविवार के दिन उन्होंने अवकाश लिया. ये तो एक धार्मिक नजरिया है. लेकिन तकनीकी तौर पर देखें तो रविवार सप्ताह का पहला दिन होता है. ऐसा मानने वालों के मुताबिक सप्ताह के सात दिनों में से एक दिन आराम करने के लिए होता है. ईसाई धर्म के मानने वाले रविवार को और यहूदी समुदाय शनिवार को सामूहिक प्रार्थना का दिन मानता है.
एक दूसरा लैटिन मत यह कहता है कि रविवार का दिन सूर्य का दिन होता है. पश्चिमी पौराणिक कथाओं (Germanic and Norse mythology) में सूर्य को एक देवी के रूप में माना गया है. अब हम थोड़ी भारतीय परंपरा की भी बात कर लेते हैं. भारत की धार्मिक मान्यताओं को मुताबिक भी रविवार यानी रवि का दिन यानी सूर्य दिन माना गया है. भारत में सूर्य को एक देवता का प्रतीक माना जाता है.
भारत में संडे को ऑफ क्यों
भारत में रविवार को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा के पीछे हिंदू या सनातन धर्म की कोई मान्यता नहीं है. बल्कि ब्रिटिश राज के दौरान अंग्रेजों ने रविवार को सार्वजनिक अवकाश की शुरुआत की. दरअसल, उस वक्त भारत में मिल मजदूरों की स्थिति बहुत बुरी थी. उनका शोषण किया जाता था. उन्होंने कोई छुट्टी नहीं मिलती थी. दूसरी तरफ अंग्रेज अफसर और कर्मचारी हर रविवार को चर्च जाया करते थे. जबकि भारतीयों में ऐसी कोई परंपरा नहीं थी. फिर एक समय भारतीय मिल मजदूरों के नेता नारायण मेघाजी लोखंडे ने ब्रिटिश राज के समक्ष भारतीय मजदूरों को भी रविवार को छुट्टी देने का प्रस्ताव पेश किया. उन्होंने तर्क दिया की छह दिन तक लगातार काम करने के बाद मजदूरों को एक दिन अपने समाज और देश की सेवा के लिए मिलना चाहिए. शुरू में अंग्रेजों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. लेकिन, लोखंडे ने हार नहीं मानी और अपनी लड़ाई जारी रखी. फिर 10 जून 1890 को भारत में पहली बार रविवार को साप्ताहिक अवकाश की घोषणा की गई.
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1844 में स्कूल में दी गई रविवार को छुट्टी
इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर स्टैंडर्डाइजेशन (ISO) 8601 के मुताबिक रविवार सप्ताह का अंतिम दिन होता है. 1844 में ब्रिटिश गवर्नर जनरल ने रविवार को स्कूलों में सार्वजनिक छुट्टी की घोषणा की. इसके पीछे तर्क दिया गया कि छह दिन पढ़ाई करने के बाद बच्चों के एक दिन रचनात्कम कार्य करने के लिए दिया जाना चाहिए.
रविवार से शुरू होता है सप्ताह
भारतीय सनातन कैलेंडर के मुताबिक रविवार से दिन की शुरुआत होती है. यह सूर्य देवता का दिन है. इस दिन सूर्य और अन्य देवताओं की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि जीनव में सुख और समृद्धि के लिए ऐसा करना जरूरी होता है. इसके साथ ही यह माना गया कि पूजा-पाठ का दिन होने के कारण लोगों को इस दि कोई परेशान न हो इसलिए इस सार्वजनिक छुट्टी का दिन करार दे दिया जाए.
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