जानिए इजराइल कैसे बना सबसे ज्यादा और तेजी से टीका लगाने वाला देश

इजरायल (Israel) में टीकाकरण (Vaccination) कार्यक्रम बहुत ही प्रतिबद्धता के साथ लागू किया जा रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
इजलायल (Israel) एक सुनियोजित और प्रतिबद्ध कार्यक्रम के कारण दुनिया में सबसे ज्यादा टीकाकरण (Vaccination) करने वाला देश बनने के साथ ही सबसे तेजी से टीकाकरण करने वाला देश भी बन गया है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 15, 2021, 3:10 PM IST
इजरायल (Israel) दुनिया मे तेजी से कोविड-19 (Covid-19) महामारी का टीकाकरण (Vaccination) करने वाले देशों में सबसे आगे हैं. पिछले महीने की 19 तारीख को शुरु हुए टीकाकरण अभियान के एक ही महीने के भीतर देश की 20 प्रतिशत आबादी (Poputlationका टीकाकरण हो चुका है. 14 जनवरी तक देश की 90 लाख की आबादी में से करीब 20 लाख लोगों को टीके लग चुके हैं. अभी तक इजराल दुनिया में सबसे ज्यादा टीका लगाने वाले देश तो था ही वह सबसे तेजी से टीके लागने वाले देश भी है.
तेजी से लगाई जा रही है वैक्सीन
पिछले कुछ सप्ताह में ही इजरायल में 1.5 लाख लोगों को प्रतिदिन टीके लग चुके हैं. इसमें प्राथमिकता उन लोगों की है जिनकी उम्र 60 से अधिक है. इसके अलावा स्वास्थ्य कर्मियों को भी प्राथमिकता दी जा रही है. वैक्सीन बेकार न जाए इसलिए सही समय पर सही जगह मौजूद होने पर आमलोगों को भी वैक्सीन दी जा रही है.
एक ऑपरेशन की तरह हो रहा है टीकाकरणयरूशलम का पायस एरीना नाम का खेल स्टेडियम एक विशाल कोविड टीकाकरण केंद्र में बदल चुका है. यहां पर लोग अपने इंश्योरेंस कार्ड के साथ आते हैं. उसे स्वाइप करने पर उन्हें एक नंबर मिलता है जब इस नंबर को पुकारा जाता है तो उन्हें टीकाकरण बूथ तक पहुंचाया जाता है. यहां का मेडिकल स्टाफ उनकी बांह में फाइजर/बायोएनटेक वैक्सीन लगाता है. यह मेडिकल स्टाफ इसे एक आर्मी ऑपरेशन की तरह मानता है.

चुनौतियों के बाद भी प्रतिबद्धता
तेजी से टीकाकरण बहुत ही सुनियोजित ढंग से अमल में लाया जा सका है. फिर भी देश जल्दी ही टीकों के डोजों की कमी का सामना कर सकता है. इसके बाद भी इसरायल की सरकार पहला डोज लग चुके लोगों को दूसरा डोज देने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके लिए उसने दूसरे डोज को बचाकर रखना भी शुरू कर दिया है. पहली खुराक के 21 दिन बाद संभवतः उसी घंटे में लोगों को उनका दूसरा डोज मिल जाएगा.
जानिए कैसे काम करते हैं टैंपरेचर कंटेनर्स, जिनमें आ रही है कोरोना वैक्सीन
यह है लक्ष्य
बीते 7 जनवरी को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजेमिन नेतनयाहू ने घोषणआ की थी कि देश का फाइजर से और ज्यादा वैक्सीन देने के लिए समझौता हो चुका है. इसके जरिए इजराइल का लक्ष्य मार्च के अंत तक 16 साल की उम्र से अधिक देश के सभी नागरिकों को टीका लगाने का है. नेतनयाहू ने तब बताया था कि 60 साल के ऊपर की उम्र लोगों में से 70 प्रतिशत लोगों को टीका पहले ही लग चुका है.

और तेजी लाने की कोशिश
उस समय नेतनयाहू ने कहा था कि जल्दी ही 60 साल की उम्र के लोगों के समूह में 50 साल और उसके ऊपर के लोगों को शामिल किया जाएगा और दैनिक टीकाकरण का लक्ष्य 1.7 लाख तक ले जाया जाएगा. नेतनयाहू का कहना है कि इजलायल कोरोना वायरस से उबरने वाला दुनिया का पहले देश होगा. इस टीकाकरण अभियान को ही ऑपरेशन बैक टू द लाइफ नाम दिया गया है. नेतनयाहू खुद को दूसरा डोज भी लगवा चुके हैं. इस अभियान के लिए इजरायल की छोटी जनसंख्या के लिए पूरा सिस्टम डिजिटल किया जा चुका है. इसमें हर गतिविधि पर निगरानी से लेकर मरीज से संचार-संवाद तक को शामिल किया गया है.
वैक्सीन और हम- आखिर क्यों जरूरी है वैक्सीन के दो डोज के बीच कुछ दिनों का गैप
सफलता का प्रमुख कारण
इजराइल की इस सफलता के पीछे उसके यूनिवर्सल हेल्थ केयर सिस्टम का हाथ है. सभी इजराइली नागरिकों का चार हेल्थ मेंटिनेन्स ऑर्गनाइजेशन (HMO) में से एक में पंजीकरण है. यह सिस्टम डिजिटाइज है और हर नागरिक का एक आईडी नंबर हैं. इससे रिकॉर्ड रखने में और उस तक पहुंचने में सुविधा होती है. इसी सिस्टम की वजह से इजरायल में 60 से अधिक उम्र के लोगों के समूह को बनाया जा सका और उनका टीकाकरण प्राथमिकता के तौर पर किया जा सका. इसी सिस्टम के तहत टीकाकरण का रिकॉर्ड भी रखा जा सका है.
तेजी से लगाई जा रही है वैक्सीन
पिछले कुछ सप्ताह में ही इजरायल में 1.5 लाख लोगों को प्रतिदिन टीके लग चुके हैं. इसमें प्राथमिकता उन लोगों की है जिनकी उम्र 60 से अधिक है. इसके अलावा स्वास्थ्य कर्मियों को भी प्राथमिकता दी जा रही है. वैक्सीन बेकार न जाए इसलिए सही समय पर सही जगह मौजूद होने पर आमलोगों को भी वैक्सीन दी जा रही है.
एक ऑपरेशन की तरह हो रहा है टीकाकरणयरूशलम का पायस एरीना नाम का खेल स्टेडियम एक विशाल कोविड टीकाकरण केंद्र में बदल चुका है. यहां पर लोग अपने इंश्योरेंस कार्ड के साथ आते हैं. उसे स्वाइप करने पर उन्हें एक नंबर मिलता है जब इस नंबर को पुकारा जाता है तो उन्हें टीकाकरण बूथ तक पहुंचाया जाता है. यहां का मेडिकल स्टाफ उनकी बांह में फाइजर/बायोएनटेक वैक्सीन लगाता है. यह मेडिकल स्टाफ इसे एक आर्मी ऑपरेशन की तरह मानता है.

इजराइल (Israel) में अब तक 20 प्रतिशत से ज्यादा आबादी को वैक्सीन लग चुकी है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)
चुनौतियों के बाद भी प्रतिबद्धता
तेजी से टीकाकरण बहुत ही सुनियोजित ढंग से अमल में लाया जा सका है. फिर भी देश जल्दी ही टीकों के डोजों की कमी का सामना कर सकता है. इसके बाद भी इसरायल की सरकार पहला डोज लग चुके लोगों को दूसरा डोज देने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके लिए उसने दूसरे डोज को बचाकर रखना भी शुरू कर दिया है. पहली खुराक के 21 दिन बाद संभवतः उसी घंटे में लोगों को उनका दूसरा डोज मिल जाएगा.
जानिए कैसे काम करते हैं टैंपरेचर कंटेनर्स, जिनमें आ रही है कोरोना वैक्सीन
यह है लक्ष्य
बीते 7 जनवरी को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजेमिन नेतनयाहू ने घोषणआ की थी कि देश का फाइजर से और ज्यादा वैक्सीन देने के लिए समझौता हो चुका है. इसके जरिए इजराइल का लक्ष्य मार्च के अंत तक 16 साल की उम्र से अधिक देश के सभी नागरिकों को टीका लगाने का है. नेतनयाहू ने तब बताया था कि 60 साल के ऊपर की उम्र लोगों में से 70 प्रतिशत लोगों को टीका पहले ही लग चुका है.

इजरायल (Israel) के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू ने मार्च के अंत तक पूरे देश में टीकाकरण की लक्ष्य रखा है. (फोटो : AP)
और तेजी लाने की कोशिश
उस समय नेतनयाहू ने कहा था कि जल्दी ही 60 साल की उम्र के लोगों के समूह में 50 साल और उसके ऊपर के लोगों को शामिल किया जाएगा और दैनिक टीकाकरण का लक्ष्य 1.7 लाख तक ले जाया जाएगा. नेतनयाहू का कहना है कि इजलायल कोरोना वायरस से उबरने वाला दुनिया का पहले देश होगा. इस टीकाकरण अभियान को ही ऑपरेशन बैक टू द लाइफ नाम दिया गया है. नेतनयाहू खुद को दूसरा डोज भी लगवा चुके हैं. इस अभियान के लिए इजरायल की छोटी जनसंख्या के लिए पूरा सिस्टम डिजिटल किया जा चुका है. इसमें हर गतिविधि पर निगरानी से लेकर मरीज से संचार-संवाद तक को शामिल किया गया है.
वैक्सीन और हम- आखिर क्यों जरूरी है वैक्सीन के दो डोज के बीच कुछ दिनों का गैप
सफलता का प्रमुख कारण
इजराइल की इस सफलता के पीछे उसके यूनिवर्सल हेल्थ केयर सिस्टम का हाथ है. सभी इजराइली नागरिकों का चार हेल्थ मेंटिनेन्स ऑर्गनाइजेशन (HMO) में से एक में पंजीकरण है. यह सिस्टम डिजिटाइज है और हर नागरिक का एक आईडी नंबर हैं. इससे रिकॉर्ड रखने में और उस तक पहुंचने में सुविधा होती है. इसी सिस्टम की वजह से इजरायल में 60 से अधिक उम्र के लोगों के समूह को बनाया जा सका और उनका टीकाकरण प्राथमिकता के तौर पर किया जा सका. इसी सिस्टम के तहत टीकाकरण का रिकॉर्ड भी रखा जा सका है.