ओबामा टीम में रह चुकीं किरण आहूजा बाइडेन टीम में भी, क्यों?

बाइडेन टीम में नॉमिनेट हुईं किरण आहूजा.
पेशे से वकील भारतीय मूल (Indian-American) की किरण को जिस भूमिका के लिए चुना गया है, वो इसलिए खास है क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की नीतियों के चलते एक तरह से यह विभाग दम तोड़ चुका है, जिसे फिर से खड़ा करने की चुनौती है.
- News18Hindi
- Last Updated: February 25, 2021, 9:21 AM IST
अमेरिका के राष्ट्रपति (US President) जो बाइडेन ने अपने प्रशासन में एक और भारतीय अमेरिकी महिला (Indian American Woman) को शामिल करने का मन बनाया है. अमेरिका के संघीय मुख्यालय में पर्सनेल मैनेजमेंट विभाग (OPM) के प्रमुख के तौर पर बाइडेन ने किरण आहूजा को नॉमिनेट किया है. यह विभाग अस्ल में अमेरिका में सिविल सर्विसेज़ (Civilian Services) से जुड़ा पूरा प्रबंधन देखता है और अमेरिका की संघीय एजेंसी के तौर पर काम करता है. सरल शब्दों में कहें तो अमेरिकी नौकरशाही से जुड़े मैनेजमेंट की चाबी इस विभाग के पास होती है.
इससे पहले कि आपको किरण आहूजा के बारे में सब कुछ बताएं, याद दिला दें कि इससे पहले एक दर्जन से ज़्यादा भारतीय मूल की महिलाएं और करीब दो दर्जन भारतीय अमेरिकी बाइडेन प्रशासन में शामिल किए जा चुके हैं. उप राष्ट्रपति कमला हैरिस का नाम इस फेहरिस्त में सबसे पहले लिया जाता है.
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कौन हैं किरण आहूजा, जिन्हें मिला खास पदअमेरिका के इस महत्वपूर्ण विभाग में पहली बार कोई भारतीय अमेरिकी प्रमुख की भूमिका में होगा. जॉर्जिया के सवाना क्षेत्र में पली बढ़ीं किरण 49 वर्षीय अमेरिकी वकील हैं. उनका प्रोफाइल सिर्फ कमला हैरिस ही नहीं बल्कि सीनेट की मंज़ूरी मिलने पर मैनेजमेंट और बजट के दफ्तर की हेड बनने की संभावना रखने वाली नीरा टंडन से भी मेल खाती है.
किरण फिलहाल क्षेत्रीय इंस्टिट्यूशनों के नेटवर्क फिलान्थ्रपी नॉर्थवेस्ट की सीईओ के तौर पर काम कर रही हैं. इससे पहले किरण ओबामा प्रशासन में शामिल रह चुकी हैं और तब उन्होंने एशियाई अमेरिकियों और प्रशांत क्षेत्र को केंद्र में रखने के मकसद से व्हाइट हाउस द्वारा बनाए गए विभाग में पर्सनेल मैनेजमेंट दफ्तर का दायित्व संभाला था.

जॉर्जिया स्कूल की यूनिवर्सिटी से लॉ में डिग्री लेने वाली किरण ने अपना करियर अमेरिका के न्याय विभाग में सिविल लॉयर के तौर पर शुरू किया था. किरण ही पहली महिला थीं, जिन्होंने विभाग का स्टूडेंट के साथ पहला नस्लवादी हैरासमेंट केस दायर किया था. किरण अपने करियर में अश्वेत महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई के साथ जुड़ी रही हैं और अब भी फिलान्थ्रपी में एशियाई/पैसिफिक आईलैंडर्स बोर्ड में शामिल हैं.
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क्यों OPM में चुनी गईं किरण?
सामाजिक सेवा के क्षेत्र समेत फेडरल ढांचे के साथ काम करने का उनका अनुभव बेहतरीन रहा है और उनकी नियुक्ति इन मायनों में भी खास है कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल के दौरान इस विभाग को कई विशेषज्ञों ने छोड़ा था. एक तरह से यह संस्था बेमतलब की होकर रह गई थी.
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अब तक जो खबरें और विश्लेषण आ रहे हैं, उनके मुताबिक किरण की नियुक्ति को एक सोचा समझा और सार्थक कदम बताया जा रहा है. ट्रंप के कार्यकाल की सिविल सर्विसेज़ नीतियों को बदलने और सुधारने के लिए किरण के नाम को आगे लाने के फैसले को वॉशिंग्टन पोस्ट ने काफी तवज्जो दी है.
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सिर्फ मीडिया ही नहीं बल्कि प्रशासन से जुड़े विशेषज्ञ भी बाइडेन के इस नॉमिनेशन को महत्वपूर्ण मान रहे हैं. कांग्रेस की जूडी चू के हवाले से समाचार एजेंसी ने रिपोर्ट किया कि चूंकि बाइडेन प्रशासन देश की विविधता को पूरी तरह से प्रतिनिधित्व देने के लिए प्रतिबद्ध है तो ऐसे नाज़ुक मोड़ पर किरण अपनी योग्यताओं के कारण खास हैं.
इससे पहले कि आपको किरण आहूजा के बारे में सब कुछ बताएं, याद दिला दें कि इससे पहले एक दर्जन से ज़्यादा भारतीय मूल की महिलाएं और करीब दो दर्जन भारतीय अमेरिकी बाइडेन प्रशासन में शामिल किए जा चुके हैं. उप राष्ट्रपति कमला हैरिस का नाम इस फेहरिस्त में सबसे पहले लिया जाता है.
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किरण फिलहाल क्षेत्रीय इंस्टिट्यूशनों के नेटवर्क फिलान्थ्रपी नॉर्थवेस्ट की सीईओ के तौर पर काम कर रही हैं. इससे पहले किरण ओबामा प्रशासन में शामिल रह चुकी हैं और तब उन्होंने एशियाई अमेरिकियों और प्रशांत क्षेत्र को केंद्र में रखने के मकसद से व्हाइट हाउस द्वारा बनाए गए विभाग में पर्सनेल मैनेजमेंट दफ्तर का दायित्व संभाला था.

किरण आहूजा के ट्विटर से साभार तस्वीर.
जॉर्जिया स्कूल की यूनिवर्सिटी से लॉ में डिग्री लेने वाली किरण ने अपना करियर अमेरिका के न्याय विभाग में सिविल लॉयर के तौर पर शुरू किया था. किरण ही पहली महिला थीं, जिन्होंने विभाग का स्टूडेंट के साथ पहला नस्लवादी हैरासमेंट केस दायर किया था. किरण अपने करियर में अश्वेत महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई के साथ जुड़ी रही हैं और अब भी फिलान्थ्रपी में एशियाई/पैसिफिक आईलैंडर्स बोर्ड में शामिल हैं.
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क्यों OPM में चुनी गईं किरण?
सामाजिक सेवा के क्षेत्र समेत फेडरल ढांचे के साथ काम करने का उनका अनुभव बेहतरीन रहा है और उनकी नियुक्ति इन मायनों में भी खास है कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल के दौरान इस विभाग को कई विशेषज्ञों ने छोड़ा था. एक तरह से यह संस्था बेमतलब की होकर रह गई थी.
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अब तक जो खबरें और विश्लेषण आ रहे हैं, उनके मुताबिक किरण की नियुक्ति को एक सोचा समझा और सार्थक कदम बताया जा रहा है. ट्रंप के कार्यकाल की सिविल सर्विसेज़ नीतियों को बदलने और सुधारने के लिए किरण के नाम को आगे लाने के फैसले को वॉशिंग्टन पोस्ट ने काफी तवज्जो दी है.
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सिर्फ मीडिया ही नहीं बल्कि प्रशासन से जुड़े विशेषज्ञ भी बाइडेन के इस नॉमिनेशन को महत्वपूर्ण मान रहे हैं. कांग्रेस की जूडी चू के हवाले से समाचार एजेंसी ने रिपोर्ट किया कि चूंकि बाइडेन प्रशासन देश की विविधता को पूरी तरह से प्रतिनिधित्व देने के लिए प्रतिबद्ध है तो ऐसे नाज़ुक मोड़ पर किरण अपनी योग्यताओं के कारण खास हैं.