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किसी बड़े और बेहतरीन कलेक्शन वाले बुक स्टोर (Book Store) में जाएं तो आपको रूसी राष्ट्रपति पुतिन (Vladimir Putin Biography) की जीवनी मिल जाएगी, नॉर्थ कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन (Kim Jong Un Biography) की 2019 और 2020 में छपी जीवनियां मिलेंगी… फिलीपीन्स प्रेसिडेंट डुटर्टे और हंगरी के पीएम विक्टर ओर्बान की बायोग्राफी तक मिलेगी, लेकिन अंग्रेज़ी या हिंदी में कोई प्रामाणिक जीवनी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नहीं मिलेगी. करीब एक दशक से चीन के सबसे ताकतवर नेता और दुनिया के सबसे प्रमुख नेताओं में शुमार (World Leaders) जिनपिंग की आधिकारिक जीवनी बाज़ार में क्यों नहीं है, कभी आपने सोचा?
ऐसा नहीं है कि जिनपिंग के बारे में किताबें नहीं हैं. हैं, जैसे चीनी बाज़ार के लिए संक्षिप्त जीवन परिचयनुमा किताब है, चीनी भाषा में ही गॉसिप आधारित किताबें भी हैं. एक किताब सीक्रेट लाइफ के बारे में भी है, जो चीन में प्रतिबंधित है. चीनी राष्ट्रपति के बारे में अंग्रेज़ी या अन्य भाषाओं में आपको कुछ विस्तृत लेख या पॉडकास्ट तो मिल जाएंगे लेकिन कोई ढंग की जीवनी नहीं मिलती.
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क्यों नहीं है मार्केट में जिनपिंग की जीवनी?
इस सवाल का जवाब किसने और कैसे खोजा और इस सवाल की ज़रूरत क्यों पड़ी, यह भी आपको बताएंगे, पहले देखते हैं कि इस सवाल का जवाब क्या है. न्यूयॉर्कर अखबार में कार्यरत इवान की मानें तो पहली वजह है कि जिनपिंग को करीब से जानने वाले प्रामाणिक लोग कम हैं, जो राज़ की बातें करना भी चाहें. वहीं, न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए चीन को कवर करने वाले स्टीवन ली एक तुलनात्मक वजह सामने लाते हैं.
पुतिन की जीवनी लेखक ली के मुताबिक पुतिन भले ही विदेशी मीडिया को बहुत करीब फटकने नहीं देते लेकिन फिर भी कुछ लोगों से मिलते हैं और सवालों के जवाब विस्तार से देते भी हैं. वहीं, जिनपिंग सवालों को पसंद नहीं करते, भले ही वो दोस्ताना लहजे के भी हों. नॉर्थ कोरिया के किम की जीवनी लिखने वाली एना इस बात का एक और एंगल सामने लाती हैं.
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एना के मुताबिक जिनपिंग भी लेखक के लिए किम की तरह बहुत मुश्किल शख्सियत हैं, लेकिन जिनपिंग की जीवनी लिखने के लिए लेखकों को रोके जाने का मकसद यह रहा है कि लोग उनके बारे में ज़्यादा न जान लें. लेकिन क्या इतने ही कारण हैं, जिनकी वजह से जिनपिंग की जीवनी नहीं मिलती?
क्या कोई डर भी है वजह?
दबे सुरों में इस सवाल का जवाब हां कहा जाता है. सीधे तौर पर तो नहीं, लेकिन एक उदाहरण से आप इस डर को समझ सकते हैं. पिछले कुछ सालों में चीनी लीडरों की प्राइवेट लाइफ को एक्सपोज़ करने संबंधी किताबें छापने वाले हांगकांग के 5 किताब विक्रेता किडनैप किए गए. किडनैप करने के बाद इन्हें कथित तौर पर चीन ले जाया गया और एक केस में थाईलैंड. वहां इनके साथ क्या हुआ, इस बारे में सिर्फ अंदेशे ही सामने आते रहे.
जब चीन के अन्य नेताओं के जीवन के बारे में खुलासे के लिए इतना जोखिम है, तो आप समझ सकते हैं कि जिनपिंग के बारे में कुछ लिखने का खतरा कितना होगा. अब आपको बताते हैं कि जिनपिंग की जीवनी न होने के बारे में इतनी पड़ताल हुई कैसे. अमेरिका में इरविन यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेसर जेफरी वॉज़रस्टॉर्म ने विवादास्तपद नेताओं की जीवनी लिखने वाले पत्रकारों से बातचीत करके समझना चाहा कि जिनपिंग की जीवनी क्यों नहीं लिखी जाती, तो ये सब खुलासे हुए, जिन्हें जेफरी ने अपने लेख में दर्ज किया.
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जीवनी नहीं है तो इतना हंगामा क्यों?
राजनीति के प्रोफेसर जोसेफ कहते हैं कि राजनीति विज्ञान के अकादमिक लेखकों को अब जीवनी लिखने में रुचि भी नहीं रही, इसलिए भी जिनपिंग की जीवनी सामने न आना हैरत की बात नहीं है. लेकिन जिनपिंग की जीवनी न होने का सवाल खड़ा ही क्यों होता है? इस बारे में आप हालात को समझकर अंदाज़ा लगा सकते हैं. उपन्यासकार यान लिआंके के शब्दों पर गौर करें :
इसी कन्फ्यूज़न को आप जिनपिंग के व्यक्तित्व में भी पाते हैं. एक तरफ, वो मुक्त व्यापार, वैश्वीकरण और सहयोगात्मक रवैये की बात करते हैं तो दूसरी ओर, सीमाएं हड़पने, व्यापार की आड़ में धमकाने और दुनिया की बड़ी ताकतों पर वर्चस्व के लिए दुश्मनी खुलकर मोल लेने की फितरत दिखाते हैं. व्यक्तित्व, नीति और विचार के तौर पर जिनपिंग को जानने के लिए उनके मन के साथ ही अतीत को खंगालना होगा और ज़ाहिर तौर पर यहां कुछ ऐसे राज़ हैं, जो अब तक सामने नहीं आए हैं.
कभी पुतिन, कभी किम, कभी माओ तो कभी गोर्बाचोव की तुलना में देखे जाने वाले जिनपिंग लेखकों को जीवनी इसलिए भी नहीं लिखने देते क्योंकि इससे चीन की एक समझ भी बनेगी और यह उनकी राजनीति के हिसाब से खतरा है. अर्थव्यवस्था, सेना और व्यापार के सबसे बड़े केंद्र चीन की बागडोर अपने हाथ में रखने वाले जिनपिंग की जीवनी अंग्रेज़ी या प्रमुख गैर चीनी भाषाओं में न होना चीन के किरदार पर भी बड़ा सवाल तो है ही.
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