अंतरिक्ष में इतनी उन्नति के बाद भी एलियन्स को क्यों नहीं खोज पा रहे हैं हम

अंतरिक्ष अनुसंधान (Space Research) में बेशक इंसानों ने बहुत तरक्की कर ली है फिर भी एलियन्स (Aliens) की तलाश में यह काफी नहीं है. (फाइल फोटो)
मंगल ग्रह (Mars) पर तीन एक साथ सफल अभियानों के बाद भी हम अभी तक एलियन्स (Aliens) की तलाश क्यों नहीं कर सके हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: February 28, 2021, 5:50 PM IST
फरवरी का महीना दुनिया में अंतरिक्ष अनुसंधान (Space Research) के लिए खासा उपलब्धि भरा रहा. दुनिया के तीन देशों के अभियान मंगल (Mars) पर सफलतापूर्वक पहुंचे. इनमें से एक का रोवर मंगल की सतह पर सुरक्षित उतरने में सफल रहा जिसकी तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. हमारे अंतरिक्ष यान सौरमंडल (Solar System) की सीमा को छूने को हैं. हमारे खगोलविदों के पास उन्नत किस्म के टेलीस्कोप (Telescope) तक पहुंच है. यहां तक कि अब हम गुरुत्व तरंगों के उत्सर्जन को भी पकड़ने लगे हैं. ऐसे में यह सवाल भी जायज है कि आखिर अब भी हम दूसरे ग्रहों के जीवों यानि एलियन्स (Aliens) को क्यों नहीं खोज पा रहे हैं.
70 सालों से पुरानी है एलियन्स की अवधारणा
पिछले दशक के मध्य से बहुत सारे वैज्ञानिक एलियन्स के होने की आशंका व्यक्त कर चुके हैं. साल 2017 में खगोलविदों को हमारे सौरमंडल के बाहर की पहली वस्तु उसके अंदर दिखाई दी थी. पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी के 85 गुना की दूरी तक आए इस पिंड का नाम ओमुआमुआ नाम दिया गया था.
इस पिंड ने मजबूत किया था एलियन्स के अस्तित्व का विचारइस पिंड की आकृति, डगमगाहट बहुत ही असामान्य थी. हार्वर्ड के प्रोफेसर एवी लोएब ने दावा किया था कि इस पिंड की आकृति ऐसी है जिससे लगता है कि यह कोई प्राकृतिक पिंड नहीं बल्कि एलिन्यस की बनाई कोई आकृति है. इस विचार को खूब प्रचार तो मिला लेकिन उसे साक्ष्य के अभावों के आधार पर वैज्ञानिक मान्यता नहीं मिल सकी जो कि विज्ञान की मूल आवश्कता में से एक है.
तो अब तक एलियन्स को क्यों नहीं खोजा जा सका
बेशक हम अंतरिक्ष तकनीक में बहुत उन्नत हो चुके हैं. लेकिन सच यह है कि अंतरिक्ष हमारी कल्पना से बहुत ही ज्यादा बड़ा है. किसी एक ग्रह पर जाने के लिए अभियान बनाना और वहां पर पुहंचने में काफी समय लग जाता है. अकेले मंगल पर जाने के लिए नासा के पर्सिवियरेंस रोवर को छह महीने से ज्यादा का समय लग गया. वह भी इसतरह का मौका 26 महीनों में एक बार आता है. वहीं नासा को इस मुकाम पर पहुंचने में दशकों का समय लग गया. फिलहाल किसी ग्रह की पड़ताल करने पर प्राथमिकता सूक्ष्म जीवन और उसके संकेतों की तलाश ही रहती है. जो खुद एक बहुत मुश्किल काम है.

इनसे है अब उम्मीद
हमारे टेलीस्कोप अपने क्षमता के सर्वोच्च नतीजे दे चुके हैं. बहुत सारी पड़तालों में शोधों को उन्नत टेलीस्कोप का इंतजार है. लेकिन अब खगोलविदों को नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से बहुत उम्मीदें हैं. इसके अलावा नासा का पर्सिवियरेंस रोवल मंगल से मिट्टी के नमूने जमा करेगा जो पृथ्वी पर लाए जाएंगे. इससे भी वैज्ञानिकों को काफी आशाएं हैं. वहीं अमेरिका में अंतरिक्ष के लिए निजी क्षेत्र का आना कार्यों में गति लाने की उम्मीद जगा रहा है.
मंगल बनी प्रयोगशाला
मंगल पर कई रोवर और बहुत से ऑर्बिटर और प्रोब पहुंचने के बाद भी वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह पर जीवन के सूक्ष्म रूप के भी स्पष्ट संकेत नहीं मिले हैं. नासा को अब मंगल की सतह के नीचे से उम्मीद है जिसकी पड़ताल पर्सिवियरेंस रोवर को करनी है. वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि एलियन्स को भी वही आशंकाएं हो सकती है जो इंसानों को होगी. जैसे कि भोजन की तलाश, किसी और का भोजन बनने से बचने की प्राथमिकता जैसी चुनौतियां एलियन्स को हम तक पहुंचने से रोक रही होंगी.
पानी पर हुए शोध ने किया खुलासा, मिल्की वे में भरमार है पृथ्वी जैसे ग्रहों की
मंगल पर ही जाना हो रहा है मुश्किल
नासा इस समय मंगल पर मानव अभियान भेजनी की तैयारी में हैं. इसमें सबसे ब़ड़ी समस्या मंगल तक की यात्रा के आने जाने के लिए ईंधन, भोजन आदि व्यवस्था करने चलना है. ऐसे में एक बहुत ही भारी मात्रा को ले जाने वाले रॉकेट की जरूरत होगी. फिलहाल ऐसी क्षमता का एक प्रतिशत वाले रॉकेट भी हमारे पास नहीं है.

मंगल के अलावा इन जगहों पर ही जीवन की उम्मीद
मंगल ग्रह केवल एक मिसाल या प्रयोगशाला की तरह ही है. जीवन के संकेत गुरू और शनि ग्रह के उपग्रह, शुक्र ग्रह के बादल, मंगल की सतह के नीचे के कुछ स्थान ये ऐसी जगहें हैं जहां जीवन के संकेत अब भी मिल सकते हैं. मंगल पर चल रहे शोधों को देखते हुए वैज्ञानिक पृथ्वी पर ही ऐसी जगहें तलाश रहे हैं जहां तापमान मंगल ग्रह के जैसा रहता है.
एलन मस्क ने मंगल ग्रह को कहा ‘बेब’, क्या है कितनी बड़ी है उनकी योजना
बेशक फिलहाल हम एलियन्स की तलाश में सक्षम नहीं हो पाए हैं. लेकिन इतना तय है कि आने वाले समय में इस प्रयास में तेजी जरूर आएगी. मंगल के अभियान इसमें उत्प्रेरक की भूमिका निभाएंगे तो वहीं उन्नत टेलीस्कोप के आंकड़े हमें ऐसी पख्ता जानकारी दे सकेंगे जिसे हमें बेहतर रास्ता मिल सकेगा.
70 सालों से पुरानी है एलियन्स की अवधारणा
पिछले दशक के मध्य से बहुत सारे वैज्ञानिक एलियन्स के होने की आशंका व्यक्त कर चुके हैं. साल 2017 में खगोलविदों को हमारे सौरमंडल के बाहर की पहली वस्तु उसके अंदर दिखाई दी थी. पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी के 85 गुना की दूरी तक आए इस पिंड का नाम ओमुआमुआ नाम दिया गया था.
इस पिंड ने मजबूत किया था एलियन्स के अस्तित्व का विचारइस पिंड की आकृति, डगमगाहट बहुत ही असामान्य थी. हार्वर्ड के प्रोफेसर एवी लोएब ने दावा किया था कि इस पिंड की आकृति ऐसी है जिससे लगता है कि यह कोई प्राकृतिक पिंड नहीं बल्कि एलिन्यस की बनाई कोई आकृति है. इस विचार को खूब प्रचार तो मिला लेकिन उसे साक्ष्य के अभावों के आधार पर वैज्ञानिक मान्यता नहीं मिल सकी जो कि विज्ञान की मूल आवश्कता में से एक है.
तो अब तक एलियन्स को क्यों नहीं खोजा जा सका
बेशक हम अंतरिक्ष तकनीक में बहुत उन्नत हो चुके हैं. लेकिन सच यह है कि अंतरिक्ष हमारी कल्पना से बहुत ही ज्यादा बड़ा है. किसी एक ग्रह पर जाने के लिए अभियान बनाना और वहां पर पुहंचने में काफी समय लग जाता है. अकेले मंगल पर जाने के लिए नासा के पर्सिवियरेंस रोवर को छह महीने से ज्यादा का समय लग गया. वह भी इसतरह का मौका 26 महीनों में एक बार आता है. वहीं नासा को इस मुकाम पर पहुंचने में दशकों का समय लग गया. फिलहाल किसी ग्रह की पड़ताल करने पर प्राथमिकता सूक्ष्म जीवन और उसके संकेतों की तलाश ही रहती है. जो खुद एक बहुत मुश्किल काम है.

इस समय इंसानों (Humans) के लिए मंगल ग्रह (Mars) एक प्रयोगशाला बना हुआ है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
इनसे है अब उम्मीद
हमारे टेलीस्कोप अपने क्षमता के सर्वोच्च नतीजे दे चुके हैं. बहुत सारी पड़तालों में शोधों को उन्नत टेलीस्कोप का इंतजार है. लेकिन अब खगोलविदों को नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से बहुत उम्मीदें हैं. इसके अलावा नासा का पर्सिवियरेंस रोवल मंगल से मिट्टी के नमूने जमा करेगा जो पृथ्वी पर लाए जाएंगे. इससे भी वैज्ञानिकों को काफी आशाएं हैं. वहीं अमेरिका में अंतरिक्ष के लिए निजी क्षेत्र का आना कार्यों में गति लाने की उम्मीद जगा रहा है.
मंगल बनी प्रयोगशाला
मंगल पर कई रोवर और बहुत से ऑर्बिटर और प्रोब पहुंचने के बाद भी वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह पर जीवन के सूक्ष्म रूप के भी स्पष्ट संकेत नहीं मिले हैं. नासा को अब मंगल की सतह के नीचे से उम्मीद है जिसकी पड़ताल पर्सिवियरेंस रोवर को करनी है. वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि एलियन्स को भी वही आशंकाएं हो सकती है जो इंसानों को होगी. जैसे कि भोजन की तलाश, किसी और का भोजन बनने से बचने की प्राथमिकता जैसी चुनौतियां एलियन्स को हम तक पहुंचने से रोक रही होंगी.
पानी पर हुए शोध ने किया खुलासा, मिल्की वे में भरमार है पृथ्वी जैसे ग्रहों की
मंगल पर ही जाना हो रहा है मुश्किल
नासा इस समय मंगल पर मानव अभियान भेजनी की तैयारी में हैं. इसमें सबसे ब़ड़ी समस्या मंगल तक की यात्रा के आने जाने के लिए ईंधन, भोजन आदि व्यवस्था करने चलना है. ऐसे में एक बहुत ही भारी मात्रा को ले जाने वाले रॉकेट की जरूरत होगी. फिलहाल ऐसी क्षमता का एक प्रतिशत वाले रॉकेट भी हमारे पास नहीं है.

सौरमंडल (Solar System) में पृथ्वी के बाहर मंगल के अलावा और भी कई जगह हैं जीवन के संकेत मिल सकते हैं. . (तस्वीर: NASA JPL)
मंगल के अलावा इन जगहों पर ही जीवन की उम्मीद
मंगल ग्रह केवल एक मिसाल या प्रयोगशाला की तरह ही है. जीवन के संकेत गुरू और शनि ग्रह के उपग्रह, शुक्र ग्रह के बादल, मंगल की सतह के नीचे के कुछ स्थान ये ऐसी जगहें हैं जहां जीवन के संकेत अब भी मिल सकते हैं. मंगल पर चल रहे शोधों को देखते हुए वैज्ञानिक पृथ्वी पर ही ऐसी जगहें तलाश रहे हैं जहां तापमान मंगल ग्रह के जैसा रहता है.
एलन मस्क ने मंगल ग्रह को कहा ‘बेब’, क्या है कितनी बड़ी है उनकी योजना
बेशक फिलहाल हम एलियन्स की तलाश में सक्षम नहीं हो पाए हैं. लेकिन इतना तय है कि आने वाले समय में इस प्रयास में तेजी जरूर आएगी. मंगल के अभियान इसमें उत्प्रेरक की भूमिका निभाएंगे तो वहीं उन्नत टेलीस्कोप के आंकड़े हमें ऐसी पख्ता जानकारी दे सकेंगे जिसे हमें बेहतर रास्ता मिल सकेगा.